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छत्तीसगढ़ के पीएचई विभाग में वाटर पंप से भी निकल रही है , भ्रष्ट्राचार की धारा…… क्या भ्रष्ट्राचार के लिए जारी किये गए टेंडर-निविदा की जांच करेगी राज्य सरकार ? 15 हजार करोड़ की सरकारी योजना सवालों के घेरे में
रायपुर / छत्तीसगढ़ सरकार क्या वाकई भ्रष्ट्राचार को प्रोत्साहित कर रही है , या फिर इसकी रफ्तार थामने के लिए उसके पास कोई कार्य योजना ही नहीं है | दरअसल बीजेपी की रवानगी के बाद लोगों को उम्मीद बंधी थी कि कांग्रेस सरकार भ्रष्ट्राचार में लगाम लगाएगी | लेकिन जिस तरह से राज्य के कई सरकारी दफ्तरों में खुलेआम भ्रष्ट्राचार के मामले सामने आ रहे है, उसे देखकर तो यही लग रहा है कि मात्र 18 महीने के कार्यकाल में इस राज्य में भ्रष्ट्राचार की रफ़्तार दिन दूनी और रात चौगुनी हो गई है | लिहाजा उन मतदाताओं के अरमानों पर पानी फिरता नजर आ रहा है जिन्होंने कांग्रेस के पक्ष में यह सोचकर मतदान किया था कि वो इस प्रदेश को भ्रष्ट्राचार मुक्त बनाएगी | राज्य सरकार की कार्यप्रणाली के चलते लोग मान बैठे है कि जो बीजेपी सरकार में चल रहा था , वही सब कुछ इस सरकार में भी जारी है | बल्कि इसकी गति और तेज हो गई है |
भ्रष्ट्राचारियों को दंड नहीं और ईमानदार को पुरुस्कार नहीं , मौजूदा सरकार की छवि भ्रष्ट्राचार के मोर्चे पर कुछ इसी तर्ज पर नजर आ रही है | सत्ता में बैठे जिम्मेदार लोगों को इस ओर जरूर चिंतन करना चाहिए | सिर्फ चंद भ्रष्ट बाबुओं और पटवारियों को रिश्वत लेते रंगे हाथों धर दबोचने के बजाय एसीबी और ईओडब्लयू को उन बड़े अधिकारीयों और ठेकेदारों के गिरेबान में हाथ डालना होगा जो भ्रष्ट्राचार को ही अपनी कार्यप्रणाली का हथियार बना चुके है | मामला राज्य के पीएचई विभाग का है | यहां 15 हजार करोड़ की बंदरबांट वाले ठेके से भ्रष्ट्राचार की परत , प्याज के छिलकों की तरह निकल रही है |
पीएचई विभाग ने वॉटर पंप के ठेकों में बड़ा सुनियोजित गोलमाल कर सरकार की तिजोरी में ऐसी सेंधमारी की है कि आप भी हैरत में पड़ जाए | अफसरों के एक गिरोह ने 14 हजार क्लोरीन पंप खरीदने का फैसला किया है | प्रत्येक पंप की लागत दो-ढाई लाख के लगभग बताई जा रही है | जबकि खुले बाजार में इसी कंपनी का यह क्लोरीन पंप 60-70 हजार की दर पर उपलब्ध है | इस क्लोरीन पंप का जिस कंपनी को सप्लाई आर्डर दिया गया है , उससे पहले ही झंवर-अग्रवाल(हॉर्टीकल्चर माफिया) नामक शख्स ने सांठगाठ कर उसे इम्पैनल्ड कर दिया है | अब यह कंपनी बाजार भाव से चार गुनी ज्यादा कीमत पर इसे पीएचई में सप्लाई करने की तैयारी में है | बताया जाता है कि खासतौर पर इसी कंपनी को सप्लाई आर्डर मिल सके , इसे मैनेज करने लिए निविदा-टेंडर में कुछ खास शर्ते रखी गई | यह छत्तीसगढ़ सरकार के लिए महंगा सौदा साबित होने वाला है |
बताया जा रहा है कि इन 14 हजार क्लोरीन पंप की देखभाल के लिए छत्तीसगढ़ शासन को पांच साल तक 16 हजार से ज्यादा कर्मचारियों की जरूरत पड़ेगी | उन कर्मियों के वेतन भत्ते के लिए हर माह राज्य सरकार को बजट का प्रावधान करना होगा | यही नहीं इसके लिए पंप हॉउस भी निर्मित करना पड़ेगा | जबकि बाजार में कई कंपनियों के ऐसे आधुनिक क्लोरीन पंप उपलब्ध है , जो ना केवल मेंटेनेंस फ्री है , बल्कि उनके लिए पंप हॉउस के निर्माण की आवश्यकता नहीं है | मौजूदा दौर में ऐसी उन्नत टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाना सरकार के हित में नजर आता है | लेकिन जिन अफसरों ने ऐसे पुरानी तकनीक के क्लोरीन पंप खरीदने का फैसला किया है , वे जानते है कि यह मामला जनहित का नहीं बल्कि स्वहित का है |
पीएचई विभाग ने 15-20 एचपी के साधारण सबमर्सिबल एवं अन्य पंप की खरीदी की कुछ खास ही तैयारी की है | इसके अलावा हाई कैपेसिटी के पंप भी खरीदे जा रहे है | इस पर लगभग पांच हजार करोड़ रूपये खर्च होने है | लेकिन ये सभी पंप भी सामान्य बाजार दर से चौगुनी कीमत पर मुहैया कराए जा रहे है | बताया जाता है कि इन कंपनियों की छत्तीसगढ़ में लॉटरी लग गई है | सिर्फ झंवर-अग्रवाल(हॉर्टीकल्चर माफिया) नामक विभाग के अधिकृत दलालों से आपूर्तिकर्ता को सांठगांठ करनी होगी | उनके उपकरणों की घटिया किस्म भले ही हो , लेकिन नगदी चमचमाती होनी चाहिए | यही इस टेंडर-निविदा जारी करने का मकसद बताया जा रहा है |
यह भी बताया जा रहा है कि विभाग में लगभग पांच हजार करोड़ की लागत से सभी किस्म के वॉटर पंप की आपूर्ति होनी है | इसकी भी जिम्मेदारी एक तरफा झंवर-अग्रवाल(हॉर्टीकल्चर माफिया) नामक दलालों ने संभाल ली है | इन्होने अपनी किसी ना किसी खास कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए तमाम निविदा-टेंडर में कुछ खास नियम शर्ते ऐसी जोड़ दी है , जिनके चलते विभाग की पारदर्शिता ही कचरे के डिब्बे में चली गई | बताया जाता है कि पीएचई में पाइप सप्लाई में अनियमितता पाए जाने के चलते ही तत्कालीन ईई और मौजूदा ईएनसी को राज्य सरकार ने निलंबित किया था | उनके खिलाफ जारी किया गया आरोप पत्र अभी भी प्रभावशील है | बावजूद इसके विभागीय मंत्री ने व्यक्तिगत रूचि लेते हुए तमाम कायदे कानून दरकिनार कर निलंबित आरोपी को फौरन बहाल कर सीधे विभाग का ईएनसी बना दिया | राज्य सरकार को पीएचई विभाग की दशा और दिशा दोनों ओर ध्यान देना होगा | वर्ना कुछ चुनिंदा अफसरों की चर्चित कार्यप्रणाली से केंद्र और राज्य की महती नल जल योजना का भ्रष्ट्राचार की भेंट चढ़ना लाजमी माना जा रहा है |