भारत में आज भी लड़कियों को मारा जा रहा है गर्भ में, देश में 2030 तक 68 लाख बेटियां गर्भ में ही मार दी जाएंगी, पढ़िए इस रिपोर्ट को

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दिल्ली / भारत में लड़कियों को आज भी गर्भ में मारने की कुप्रथा जारी है | ना जाने क्यों लोग लड़कियों और लड़कों में भेद करते है | जबकि लड़कियां अपने भाईयों की तुलना में सिर्फ माता – पिता नहीं बल्कि परिजनों के प्रति भी काफी संवेदनशील रहती है | भूर्णहत्या के मामलों में देश में संतोषजनक रोक आज भी नहीं लग पाई है | गाहे – बगाहे सुनने मिल ही जाता है कि कई स्थानों में नवजात लड़की का भूर्ण पाया गया | एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017 से 2030 के बीच भारत में 68 लाख कम लड़कियां पैदा होंगी | सऊदी अरब की किंग अब्दुल्ला यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी की एक स्टडी में ये आकलन किया गया है |

इसके पीछे वजह बताई गई है कि अब भी लिंग जानने के बाद महिला के गर्भ में लड़की होने पर उनका अबॉर्शन करा दिया जाता है | साफ़ है कि देश के कई सोनोग्राफी सेंटर में लिंग निर्धारण की सूचना माता – पिता को दी जाती है | भले ही लिंग निर्धारण की जाँच पर क़ानूनी रूप से रोक हो | इसके लिए दोषी पाए जाने पर सजा का प्रावधान हो | लेकिन इन सबके बावजूद कई सोनोग्रॉफी सेंटर इस तरह की गैर क़ानूनी गतिविधियों में जुटे हुए है | वे अधिकृत रिपोर्ट नहीं देते, लेकिन ये जरूर बता देते है कि गर्भ में लड़का है या लड़की | 

theguardian.com में एक रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है कि 2017 से 2030 के बीच उत्तर प्रदेश में 20 लाख कम लड़कियां पैदा होंगी | जबकि आबादी और जन्मदर के मामले में यह राज्य अव्वल नंबर पर है | इसी राज्य में अब लड़कियों की जन्मदर को लेकर सबसे अधिक कमी देखने को मिल सकती है | दरअसल आबादी की फर्टिलिटी रेट और माता – पिता के बेटे या बेटी होने की चाहत के आधार पर रिसर्चर्स ने देश के 29 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का आकलन किया है | इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के उत्तर में स्थित 17 राज्यों में बेटे की चाहत काफी अधिक है | ये स्टडी इसी हफ्ते Plos One जर्नल में प्रकाशित हुई थी | स्टडी में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि लैंगिक बराबरी के लिए भारत को कड़ी नीति लागू करने की जरूरत है | 

शोधकर्ताओं ने पाया कि भारत के उत्तर में स्थित 17 राज्यों में बेटे की चाहत काफी अधिक है | हालाँकि हालात को देखते हुए 1994 में ही भारत में कानून बनाकर गर्भ में पल रहे बच्चे का लिंग जांच करना अवैध करार दिया गया था | लेकिन अलग-अलग इलाकों में इस कानून को लागू करने में असमानताएं देखी गई | कुछ राज्यों में लिंग निर्धारण करने वाले लोगों पर शिकंजा कसा तो कुछ राज्यों ने कुछ खास दिलचस्पी नहीं दिखाई | नतीजतन देश के ज्यादातर हिस्सों में लिंग अनुपात बिगड़ता चला गया | फिलहाल भारत में प्रति एक हजार पुरुष पर 900 से 930 महिलाएं हैं | लेकिन ये अनुपात लगातार घट रहा है |  ऐसे में इस रिपोर्ट का अध्ययन कर सरकार ठोस कदम उठाने होंगे |

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