आपकी कोरोना जांच हो सकती है गलत, लैब किट में गड़बड़ी , लैब में मौजूद जांच किट, इक्विपमेंट्स और कंप्यूटर सॉफ्टवेयर में अचूक परिणाम देने की क्षमता नहीं , FDA ने जारी की चेतावनी 

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नई दिल्ली / भारत समेत दुनिया के कई देशों में कोरोना वायरस की बड़े पैमाने पर जांच शुरू कर दी गई है | शहरों से लेकर ग्रामीण इलाकों तक स्वास्थ्य विभाग की टीम आम लोगों का रैपिड टेस्ट कर रही है | अब अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि उसकी जांच रिपोर्ट भी गलत आ सकती है | इसका मुख्य कारण बताया गया कि लैब में मौजूद जांच किट, इक्विपमेंट्स और कंप्यूटर सॉफ्टवेयर में अचूक परिणाम देने की क्षमता नहीं है | यानी आपकी रिपोर्ट गलत आ सकती है | ऐसा कई व्यक्तियों के साथ हुआ भी है |

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वैज्ञानिकों ने उन सभी डॉक्टरों और लैब्स से कहा है कि जो लोग थर्मो फिशर्स टेकपैथ जेनेटिक टेस्ट का उपयोग कर रहे हैं | वह ठीक नहीं है , यह अचूक और सटीक परिणाम नहीं दे सकता | ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक Thermo Fisher’s TaqPath genetic test के लेबोरेटरी इक्विपमेंट्स और सॉफ्टवेयर में गड़बड़ियां पाई गई हैं , इसकी वजह से आप की कोरोना रिपोर्ट गलत आ सकती है |  

FDA ने इसे बनाने वाली कंपनी को इसकी खामियां सुधारने का निर्देश दिया है. ये खामियां तब सामने आई जब करीब एक महीने पहले कनेक्टिकट पब्लिक हेल्थ अफसरों को 90 लोगों की शिकायत आई कि उन्हें गलत रिपोर्ट मिली है. इन सभी लोगों को कोरोना पॉजिटिव बताया गया था. लेकिन सभी निगेटिव थे. अमेरिका के फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने एक चेतावनी जारी कर कहा है कि इन महत्वपूर्ण कारणों से किसी भी व्यक्ति की कोरोना रिपोर्ट गलत भी आ सकती है |    

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Thermo Fisher’s TaqPath genetic test को बनाने वाली कंपनी की प्रवक्ता ने कहा कि हम FDA के कहे अनुसार टेस्ट की जांच कर रहे हैं. लेकिन लोगों को अगर हमारा उत्पाद उपयोग में लाना है तो उन्हें हमारे बताए गए निर्देशों को मानना होगा, तभी सही परिणाम सामने आएगा | FDA ने कहा है कि हो सकता है कि लैब में बैठे टेक्नीशियन या डॉक्टर को Thermo Fisher’s TaqPath genetic test को सही से ऑपरेट करना न आता हो | इसलिए लोगों की जांच रिपोर्ट गलत हो रही है |

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Thermo Fisher’s TaqPath genetic test के साथ दूसरा मुद्दा ये है कि इसका सॉफ्टवेयर भी गड़बड़ है. इसकी वजह से भी टेस्ट के परिणाम सही से नहीं निकल रहे. FDA ने कहा है कि तत्काल इस सिस्टम के सॉफ्टवेयर को अपग्रेड किया जाए | ताकि मरीजों को संक्रमण की सही जानकारी मिल सके | दरअसल कई मरीजों की कोरोना रिपोर्ट अलग अलग लैब में अलग अलग भी आई है | मसलन एक लैब में किसी मरीज को पॉजिटिव तो दूसरी ने उसे निगेटिव बताया |