कातिल पति , पहुंचा जेल की सीखचों के भीतर ,पत्नी के कई टुकड़े कर बैग में भर फेंक दिया था हाईवे पर, कातिल कितना भी चालाक क्यों ना हो ? वो अपने पीछे कोई ना कोई सुराग छोड़ जाता है , ऐसे मिला सुराग   

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लखनऊ / अपराध शास्त्र का यह आम सिद्धांत है कि कातिल कितना भी चालाक क्यों ना हो ? वो अपने पीछे कोई ना कोई सुराग छोड़ जाता है | इस मामले में भी ऐसा ही हुआ | बेहद चालाक इस शख्स ने अपनी पत्नी को मौत के घाट उतारने की उम्दा साजिश रची | उसने अपनी पत्नी की हत्या के बाद उसकी लाश के कई टुकडे कर दिए | उसे ठिकाने लगाने के लिए एक बैग में भरा | फिर उस बैग को नेशनल हाइवे पर फेंक दिया | सड़क पर लावारिश बैग देखकर लोगों को किसी वाहन से बैग के गिरने का आभास हुआ | उन्होंने जब बैग टटोला , तो उनकी आंखे फटी की फ़टी रह गई | दरअसल बैग के भीतर से मानव अंग दिखाई दे रहे थे | उन्हें अब एहसास हो चूका था कि इस बैग में भरकर किसी शख्स की लाश ठिकाने लगाई गई है | मामले की सूचना मिलने के बाद उस बैग को पुलिस ने अपने कब्जे में लेकर लाश का पोस्टमार्टम कराया | पुलिस के सामने सबसे बड़ी उलझन  उस लाश की शिनाख्ती की थी | पुलिस ने अपनी तफ्तीश शुरू की | उसने उस बैग को अच्छी तरह से खंगाला | इस दौरान उसे इस बैग के एक पॉकेट में एक बिल दिखाई दिया | इस बिल ने कातिल की कलई खोल दी | कातिल को जरा भी उम्मीद नहीं थी कि उसका पर्दाफाश हो जायेगा | अब कातिल जेल की  सैर पर है , पीड़ित परिवार में मातम छाया है | मामला नवाबों के शहर लखनऊ का है | 

लखनऊ-बाराबंकी सीमा पर एक ट्रॉली बैग में टुकड़ों में एक महिला शव मिला था | पुलिस की पड़ताल में पता चला कि महिला की हत्या उसके पति ने इंदिरानगर के सेक्टर-14 स्थित मकान में की थी। फिर शव के टुकड़े करके ट्रॉली बैग में भरकर फेंक दिया था। कोतवाली पुलिस ने हत्यारोपी पति को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने घटना में इस्तेमाल कार, चाकू, चापड़ बरामद किया है। 

एसपी बाराबंकी डॉ. अरविंद चतुर्वेदी के मुताबिक 7 जुलाई की रात को लखनऊ-अयोध्या हाइवे के किनारे महिला के शव के टुकड़े मिले थे। बैग में रखे पैंट की जेब से जनेश्वर मिश्र पार्क की तीन टिकटें बरामद हुईं थी। और एक पुराना बिजली का बिल मिला। इसमें मीटर नंबर का उल्लेख था, जिसके सम्बंध में बिजली विभाग से सूचना मांगी गई। वहां से जानकारी मिली कि यह बिल इंदिरानगर में सेक्टर-14 के चेतन विहार निवासी रिजवाना के नाम है।

पुलिस ने रिजवाना से संपर्क किया तो पता चला कि उन्होंने यह मकान बलरामपुर के महाराजगंज थानाक्षेत्र निवासी समीर खान को बेच दिया है। उसे  गिरफ्तार कर पूछताछ की गई तो उसने गुनाह कबूल कर लिया। उसने बताया कि आयशा से उसने मुंबई में कोर्ट मैरिज की थी। लॉकडाउन में वह घर लौट आया। वह जब भी आयशा को फोन करता तो उसका फोन व्यस्त रहता। इससे उसके मन में पत्नी के प्रति शक पैदा हो गया। इस पर उसने आयशा को लखनऊ बुला लिया। पांच जुलाई को विवाद के बाद उसकी हत्या कर दी।

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समीर ने बताया कि वर्ष 2005 में वह मुंबई चला गया। वहां चिकन शॉप पर काम करता था। इस दौरान उसकी मुलाकात मुंबई के भारत नगर निवासी मालन बादशाह शेख उर्फ आयशा से हुई। आयशा बॉम्बे यूनिवर्सिटी से बीबीए पास आउट थी। नजदीकि बढ़ने पर उसने आयशा से कोर्ट मैरिज कर ली।