एक बार कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद दोबारा संक्रमण नहीं, शोध में खुलासा, कोविड-19 से ठीक होने वाले मरीजों को नहीं होता दोबारा संक्रमण, पढ़िए केस स्टडी के साथ इस खबर को

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दिल्ली / आमतौर पर कोरोना संक्रमित व्यक्ति जंग जीत कर घर लौटता है तो उसे इस बात की चिंता होती है कि कही वो दोबारा संक्रमित ना हो जाये | पूर्व में ऐसी भी खबरे भी आई थी कि कई संक्रमितों को ठीक होने के बाद फिर कोरोना का अटैक हुआ है | लेकिन अब एक नए शोध में इस बात का खुलासा हुआ है कि जो लोग कोरोना से ठीक हो जाते हैं उन्हें दोबारा वायरस का संक्रमण नहीं होता है।

अमेरिका में इसका वाकायदा परिक्षण किया गया है | यहाँ कई लोग कोरोना वायरस से उबर चुके है, इन्ही ठीक हुए लोगों में से कुछ लोगों को एक जहाज में ले जाया गया | इस जहाज में कोरोना का संक्रमण पाया गया था | ये नागरिक कई दिनों तक अमेरिका के सीटल में एक मछली पकड़ने वाले पोत में रहे, जहां कोरोना का कहर बरपा लेकिन इसका उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।

वैज्ञानिकों के मुताबिक यह निष्कर्ष एंटीबॉडी सीरोलॉजिकल के साथ-साथ वायरल डिटेक्शन रिवर्स ट्रांसक्रिपटेस-पोलीमरेज चेन रिएक्शन, या आरटी-पीसीआर परीक्षणों पर आधारित है, जो पोत के रवाना होने से पहले और उसके लौटने के बाद किए गए थे। वैज्ञानिकों ने बताया कि समुद्र में 18 दिन बिताने के दौरान, चालक दल के 122 सदस्यों में से 104 एक व्यक्ति स्रोत से वायरस की चपेट में आए थे। शेष कोरोना मुक्त रहे | ये वही थे जो पहले कोरोना से संक्रमित होने के बाद ठीक हो चुके थे |

वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के मेडिसिन क्लिनिकल वायरोलॉजी लेबोरेटरी के सहायक निदेशक अध्ययन के लेखकों में से एक अलेक्जेंडर ग्रेनिंजर ने कहा, ‘इससे पता चलता है कि एंटीबॉडी को बेअसर करने और सार्स-कोव-2 से सुरक्षा के बीच कोई संबंध है। इस पर और ज्यादा शोध करने की आवश्यकता है। उनके मुताबिक चूंकि एन नंबर एंटीबॉडी वाले लोगों की संख्या छोटी है।’ इसलिए अधिक लोगों को इस अध्यनन में शामिल कर और शोध किया जायेगा |

यह शोध और अध्ययन प्रीप्रिंट सर्वर मेडरिक्स पर पोस्ट किया गया है | शोधकर्ता यूडब्ल्यू और सिएटल के फ्रेड हच कैंसर रिसर्च सेंटर के प्रमुखों में से एक है। निष्कर्ष इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये अभी तक की निकटतम पुष्टि करते हैं कि संक्रमित व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करके महामारी को रोका जा सकता है। इससे कोरोना संक्रमण की रोकथाम को लेकर कई जटिल सवालों का जवाब मिलने में मदद मिल सकती है | खासतौर पर वैज्ञानिक इस बात पर जोर दे रहे है कि क्या रोग से बचने के लिए एंटीबॉडीज पर्याप्त हैं।

दरअसल यह शोध इसलिए काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस तरह के डाटा को प्राप्त करना आमतौर पर चुनौतीपूर्ण और कठिन होता है | इसका कारण वैज्ञानिक नैतिकता के चलते उन्हें एंटीबॉडी के कारण किसी संकमण को रोकने की जांच करने से रोकता है। शोधकर्ताओं ने अपने शोध में कहा, ‘कुल 104 व्यक्तियों की आरटी-पीसीआर रिपोर्ट पॉजिटिव पाई गई।

केवल क्रू के तीन सदस्य जीरो पॉजिटिव पाए गए और उनके शरीर में वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी मौजूद थीं। इन तीनों ही क्रू सदस्यों में वायरस के कोई लक्षण नहीं दिखाई दिए थे।’ इस शोध के सामने आने के बाद उन लोगों ने राहत की साँस ली है, जो कोरोना से जंग जीत कर भी तनाव में थे | उन्हें हर वक़्त यह डर समाया रहता था कि वे दोबारा संक्रमित ना हो जाये |