नई दिल्ली / रेलवे के निजीकरण को लेकर अच्छी खबर सामने आ रही है | इससे ना केवल यात्रियों के समय की बचत होगी बल्कि ट्रेन के भीतर का माहौल भी सुधरेगा | साफ सफाई सुविधाओं के साथ साथ सफर के दौरान अनावश्यक समस्याओं से छुटकारा मिलने की उम्मीद है | खबर के मुताबिक जिन 109 मार्गों पर 150 निजी रेल गाड़ियां चलाने की जिम्मेदारी जिन निजी संचालकों को दी जाएगी, उन्हें उन स्टेशनों का चुनाव करने की आजादी होगी , जहां वे अपनी रेलगाड़ियों का ठहराव चाहते हैं। रेलवे द्वारा इस संबंध में जारी दस्तावेज में इसकी जानकारी दी गई है।
निजीकरण के पूर्व रेलवे संचालक पहले उन स्टेशनों की सूची रेलवे को मुहैया कराएगा जहां पर वे रेलगाड़ी के आरंभ एवं गंतव्य के अलावा अन्य ठहराव चाहते हैं। निजी संचालकों को मार्ग के बीच में पड़ने वाले स्टेशनों पर ठहराव की सूची के साथ यह भी बताना होगा कि रेलगाड़ी कितने बजे स्टेशन पर आएगी और कब रवाना होगी एवं यह रेल परिचालन योजना का हिस्सा होगा।
समझौते के मसौदे के मुताबिक निजी रेलवे संचालकों को इसकी सूचना पहले देने के साथ-साथ ठहराव की समय-सारिणी का ब्यौरा एक साल तक के लिए देना होगा | इसके बाद ही बीच के स्टेशन पर ठहराव की समीक्षा की जा सकती है। आवेदन पूर्व बैठक में शामिल एक संभावित निजी संचालक के सवाल पर रेलवे ने कहा कि कंपनी रियायत समझौते के नियम एवं शर्तों के मुताबिक स्टेशनों पर ठहराव का फैसला करने में लचीला रुख अपना सकती हैं।
हालांकि, रेलवे ने स्पष्ट किया है कि निजी रेलगाड़ियों को उस रूट पर मौजूदा समय में सबसे तेज गति से चल रही रेलगाड़ी के ठहराव स्टेशनों से अधिक ठहराव रखने की अनुमति नहीं होगी। रेलवे को उन स्टेशनों को भी ठहराव में शामिल करना होगा जिनकी जरूरत बोगियों में पानी भरने, सफाई करने आदि के लिए होगी। यह भी कहा जा रहा है कि 2023 से शुरू हो रही इन निजी रेलगाड़ियों का किराया किसी प्राधिकरण से विनियमित नहीं होगा | रेलवे संचालक बाजार की परिस्थितियों और सुविधा के अनुसार किराया तय कर सकते हैं।