भारत में जल्द 5G तकनीक, ट्रेड वॉर में भारत की ऊँची उड़ान से परेशान हुआ ड्रैगन, बड़े बाजार से हाथ धोने का मंडराया खतरा

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दिल्ली / भारत में जल्द ही 5G तकनीक उपलब्ध होगी | वो भी बगैर चीनी सहयोग से | दरअसल अचानक देश में डिजिटल क्रांति को लेकर ऐसी पहल शुरू हुई है कि उसे देखकर चीन के दांत खट्टे हो गए है | वही दूसरी ओर पहले चीनी एप और उसके बाद वहां की कंपनियों एवं निवेश पर शिकंजा कसने के बाद अब सरकार 5जी तकनीक के परीक्षणों के लिए चीनी विक्रेताओं को प्रतिबंधित़ करने की तैयारी में है | हालांकि अंतिम तौर पर अभी यह निर्णय नहीं हुआ है, लेकिन केंद्र सरकार के सूत्र बताते हैं कि चीन की कंपनी हुवावे और जेडटीई को 5जी परीक्षणों में शामिल नहीं किया जाएगा। यही नहीं दूसरी नई कंपनियों को 5G नेटवर्क के लिए मौका मिलेगा |

इसके लिए दूरसंचार विभाग जिन ऑपरेटरों के आवेदन को मंजूरी देने जा रहा है, उनमें भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया के साथ नोकिया व एरिक्सन शामिल हैं। बताया जाता है कि भरता सरकार के दूरसंचार विभाग का यह कदम ड्रैगन को काफी परेशान कर रहा है | यदि ऐसा हुआ तो चीन की भारतीय बाजार से हिस्सेदारी बेहद कम हो जाएगी | जानकार बता रहे है कि दोनों देशों के बीच पहले से जारी ट्रेड वॉर अब तेज होती जा रही है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि चीन ने भारत में बने फाइबर ऑप्टिक उत्पादों पर एंटी डंपिंग ड्यूटी पांच साल के लिए बढ़ा दी है।

टेलीकॉम ऑपरेटरों को अप्रत्यक्ष तौर पर यह कहा गया है कि वे किसी भी स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए चीन की टेलीकॉम कंपनियों जैसे हुवावे और जेडटीई के साथ नेटवर्क खरीद अनुबंध के लिए आगे न आएं। दूरसंचार विभाग बहुत जल्द ही 5जी परीक्षणों के लिए दूरसंचार ऑपरेटरों के आवेदन को फाइनल मंजूरी देने जा रहा है। इसमें ज्यादातर भारतीय कंपनियां शामिल है |

कहा जा रहा है कि दूरसंचार विभाग केवल गैर-चीनी विक्रेताओं के साथ अनुबंध को मंजूरी देगा। इससे यह बात साफ हो जाती है कि चीनी कंपनियां प्रतिस्पर्धा से बाहर हो जाएँगी | वहीँ भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया, जिन्होंने नोकिया, एरिक्सन, हुवावे और जेडटीई के साथ ट्रायल करने के लिए आवेदन जमा किया था, अब उन्हें नोकिया और एरिक्सन के साथ ही ट्रायल करना होगा।

यह भी कहा जा रहा है कि रिलायंस जियो को एरिक्सन, नोकिया और सैमसंग के साथ आगे बढ़ने की अनुमति दी जा सकती है। यदि जियो कंपनी कोई ऐसा आवेदन प्रस्तुत करती है कि वह स्वतंत्र रूप से 5जी का परीक्षण करेगी तो उसे अनुमति दिए जाने की संभावना बरकरार रहेगी। इस मामले में यह कहा जा रहा था कि 5जी का परीक्षण ट्रायल निजी दूरसंचार ऑपरेटरों द्वारा किया जाएगा, ऐसे में उन पर सीमा प्रतिबंध का वह नियम लागू नहीं होता है, जो हाल ही में भारत सरकार ने लागू किया है।

दूरसंचार विभाग के मुताबिक, चूंकि स्पेक्ट्रम एक सार्वजनिक संपत्ति है और कंपनियों द्वारा इसे दिया जाएगा, इसलिए यहां पर सरकारी दिशा निर्देश लागू किए जा सकते हैं। हालांकि नया नेटवर्क बनाने में, चीनी विक्रेताओं की लागत आमतौर पर अन्य कंपनियों के मुकाबले करीब बीस फीसदी कम रहती है।

दूसरी ओर अब एक नया मामला सामने आ गया है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने कहा कि चीनी कंपनियों की सहायक कंपनियों और उनसे जुड़े लोगों ने शेल कंपनियों से भारत में फर्जी व्यवसाय करने के लिए करीब 100 करोड़ रुपये का एडवांस लिया है। शुरुआती जांच में पता चला है कि इन पैसों से हवाला का कारोबार किया गया है। सीबीडीटी के अनुसार, इस मामले में विदेशी हवाला लेनदेन के सबूत भी मिले हैं। इसके बाद चीनी कंपनियों की बाजार से विदाई के संकेत मिलने शुरू हो गए है |