रायपुर / रायपुर सेंट्रल जेल में एक कैदी ने जेल सिस्टम को ऐसी चुनौती दी कि उसकी पोल खुलने में देर नहीं लगी | मनीष कुशवाह नामक एक कैदी सेंट्रल जेल की ऊंची दीवारों को पार करने में कामयाब रहा | हालांकि दूसरी और आखिरी दीवार पार करने से पहले शाम हो चुकी थी | जेल प्रहरियों ने विचाराधीन बंदियों की गिनती शुरू की | इस दौरान एक कैदी कम मिला | जेल प्रहरियों ने फौरन उसकी खोजबीन की | लेकिन परिसर में वो ढूंढे नहीं मिला | इसके बाद जेल प्रहरियों ने फौरन दीवार के दूसरी ओर रुख किया |
यह कैदी नए जेल के नवीन अष्टकोण की 45 फीट ऊंची दीवार पार कर दूसरी दीवार की ओर दिखाई दिया | उसे यहां देखकर जेल प्रहरियों की आँखे फटी की फटी रह गई | उन्होंने मनीष कुशवाह को फौरन अपने कब्जे में लिया और उसकी पिटाई भी की | सूत्रों के मुताबिक 7 अगस्त की देर शाम हुई इस घटना की सूचना अभी तक शासन और जेल विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को नहीं दी गई | आखिर क्यों ? न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ से चर्चा करते हुए सेंट्रल जेल अधीक्षक और डीआईजी जेल केके गुप्ता ने विचाराधीन बंदी के दीवार फांदने की घटना की पुष्टि करते हुए अपनी सफाई दी है |
रायपुर में सेंट्रल जेल की दीवारों को काफी महफूज माना जाता है | लेकिन अरसे बाद मनीष कुशवाह नामक एक विचाराधीन कैदी ने इन दीवारों को धत्ता बता दिया | बताया जाता है कि जेल में कैदियों के कपड़ों को इक्कठा कर उसने एक रस्सी बनाई | लोहे की एक रॉड को हॉकी की तरह मोड़कर उसने उस पर कपड़ों की रस्सी बाँधी | फिर उस लोहे की रॉड को लगभग 45 फीट ऊंची पहली दीवार पर फेंक कर अटका दिया |
इसके बाद इस कैदी ने हिम्मत दिखाते हुए उस दीवार को पार कर लिया | इस दौरान उसकी इस कवायद की किसी को कानो कान खबर नहीं हुई | यही नहीं इस दीवार को फांदने पर ना तो हूटर बजा और ना ही कोई सायरन | इस बीच मनीष कुशवाह की हिम्मत बढ़ी और वो दूसरी दीवार को भी फांदने की कोशिश में जुट गया | लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी | अँधेरा होने की वजह से जेल के भीतर विचाराधीन कैदियों की गिनती शुरू हो गई | इस दौरान प्रहरियों ने एक कैदी कम पाया | जब भीतर वो ढूंढे नहीं मिला , तो उन्हें शंका हुई और वे बगैर देरी किये इस दीवार के दूसरी ओर पहुँच गए | यहां मनीष कुशवाह को देखकर उन्हें हैरानी हुई |
प्रहरियों ने जेल ब्रेक के इस असफल प्रयास की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियो को दी | लेकिन घटना को अंजाम दिए तीन दिन बीत जाने के बावजूद इस गंभीर घटना की जानकारी ना तो शासन को दी गई और ना ही जेल के वरिष्ठ अफसरों को | इसका कारण क्या है , यह तो सेंट्रल जेल में पदस्थ अफसर ही जाने | इस मामले में चर्चा करते हुए जेल अधीक्षक केके गुप्ता ने सफाई दी है | उन्होंने घटना की तस्दीक की , लेकिन कहा कि कैदी ने आठ-दस फीट ऊंची दीवार ही पार की थी | लोहे की रॉड इस विचाराधीन कैदी के हाथों में आने पर सफाई देते हुए उन्होंने कहा कि जेल के भीतर सिविल वर्क चल रहा है , शायद कैदी को वहीँ से लोहे की रॉड मिली हो | फ़िलहाल इस घटना ने सेंट्रल जेल प्रशासन की लापरवाही की ओर लोगों का ध्यान खींचा है |