दूसरों की बचाई जान लेकिन खुद कोरोना से हार गया जिंदगी की जंग , सदमे में परिजन , किसान पिता ने  बेटे को डॉक्टर बनाने के लिए लगा दी थी अपनी सारी जमा पूंजी

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नई दिल्ली / कोरोना वायरस के आने के बाद भारत में कोरोना वॉरियर डॉक्टर्स दिन रात अपनी जान की परवाह किये बिना काम कर रहे हैं । कोरोना वॉरियर्स के रूप में काम कर रहे डॉक्टर्स में से भी ऐसे बहुत से डॉक्टर हैं, जिन्हें मरीजों का इलाज करने की वजह से कोरोना हो चुका है । लेकिन इनमें से कुछ डॉक्टर्स ऐसे भी हैं, जिनकी खुद की जान दूसरों का इलाज करते हुए चली गई ।

ऐसा ही दिल्ली के भीम राव अंबेडकर अस्पताल में काम करने वाले डॉ. जोगिंदर के साथ भी हुआ । 27 साल के जोगिंदर लगातार कोविड-19 के मरीजों के इलाज कर रहे थे । महीनों से कोरोना वार्ड में ड्यूटी कर रहे थे और सैकड़ों लोगों की सेवा में लगे हुए थे । लेकिन इसी बीच वो खुद कोरोना से संक्रमित हो गए । पूरा एक महीने वो कोरोना से लड़े, पर अंत में उससे हार गए ।

दिल्ली सरकार के भीम राव अंबेडकर अस्पताल में काम करने वाले रेजिडेंट डॉक्टर जोगिंदर की रविवार को कोरोना वायरस के चलते मौत हो गई । डॉक्टर जोगिंदर एक महीने से आईसीयू में भर्ती थे।जोगिंदर जून के आखिरी हफ्ते में कोरोना वार्ड में ड्यूटी करते वक्त कोरोना से संक्रमित हो गए थे ।

पहले जोगिंदर को दिल्ली के लोकनायक अस्पताल में दाखिल कराया गया, यहां प्लाज्मा थेरेपी के जरिए भी इलाज किया गया लेकिन हालात में कुछ सुधार न देखते हुए जोगिंदर के परिवार वालों के कहने पर गंगाराम अस्पताल में शिफ्ट किया गया ।
यहां 5 जुलाई से जोगिंदर का इलाज चल रहा था लेकिन अंत में कोरोना वायरस से लड़ते हुए वो शहीद हो गए ।

जोगिंदर मध्यप्रदेश के नीमच जिले के रहने वाले थे । उनके किसान पिता ने  बेटे को डॉक्टर बनाने के लिए अपनी सारी जमा पूंजी लगा दी थी ।परिवार हंसते खेलते जोगिंदर के अचानक चले जाने के कारण सदमे में है ।

अंबेडकर अस्पताल के नर्सिंग ऑफिसर ने कहा कि जोगिंदर से जब फोन पर बात होती थी, तो कहता था जल्द ही काम पर लौटूंगा । उसके दोस्तों ने बताया कि जोगिंदर काफी सहज और सरल व्यक्ति थे । एक छोटे से गांव से उन्होंने दिल्ली तक का सफर तय किया था । किसान परिवार से होने के चलते आर्थिक हालात ज्यादा अच्छे नहीं थेपिता ने लोन लेकर उनकी पढ़ाई पूरी कराई थी । 27 साल की छोटी उम्र में डॉक्टर भी बन गए थे और टॉपर थे ।

जिस वक्त डॉ. जोगिंदर की मौत हुई, उस वक्त उनका इलाज दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में चल रहा था ।आर्थिक स्थिति खराब होने के चलते दिवंगत डॉक्टर का परिवार बिल चुकाने में सक्षम नहीं था जिसके बाद अस्पताल प्रशासन द्वारा डॉक्टर के इलाज का पूरा बिल माफ कर दिया गया है ।

साथी डॉक्टर्स का कहना है कि जोगिंदर ने कर्तव्य निभाते हुए उन्होंने अपना बलिदान दिया है । डॉक्टरों की सरकार से मांग है कि उन्हें कोरोना योद्धा घोषित कर परिजनों को मुआवजा दिया जाए । बात दे कि राजधानी दिल्ली के विभिन्न अस्पतालों में अब तक करीब 24 स्वास्थ्य कर्मियों की संक्रमण से मौत हो चुकी है ।