देश के कई राज्यों में कोरोना में मरीजों और लाशों को ढोने के लिए प्राइवेट एम्बुलेंस 10 से 15 किलोमीटर के लिए 15 से 30 हज़ार रुपये की कर रही मांग, जोखिम चार्ज बताकर मरीजों और उनके परिजनों पर पड़ रही दोहरी मार, 3 हज़ार रुपये प्रति किलोमीटर चार्ज कर रही निजी एंबुलेंस के खिलाफ परिवहन विभाग में शिकायत, कोरोना का खौफ इनके लिए बना लूटमार का धंधा

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दिल्ली वेब डेस्क / देश में कोरोना काल जैसी आपदा को लाभ के अवसर में तब्दील करने के लिए प्राइवेट एम्बुलेंस संचालित करने वाले कोई कसर बाकि नहीं छोड़ रहे है | उनकी अवैध मांग से कोरोना मरीजों और उनके परिजनों का बुरा हाल है | देश की राजधानी दिल्ली में भी प्राइवेट एम्बुलेंस के रवैये से लोग निराश है | दरअसल इन लोगों ने इस आपदा को लाभ के नए अवसर में बदल दिया है | दरअसल दिल्ली में सरकारी एम्बुलेंस इतनी व्यस्त है कि वो मरीजों को फ़ौरन उपलब्ध नहीं हो पा रही है | इसके लिए घंटों इंतज़ार करना पड़ता है | उधर मरीजों की जान जोखिम में देखकर परिजन उन्हें फ़ौरन अस्पताल ले जाना चाहते है | इसके लिए उन्हें प्राइवेट एम्बुलेंस की सहायता लेनी पड़ रही है | लेकिन प्राइवेट एम्बुलेंस ने कोरोना जोखिम का हवाला देकर 3 हज़ार रुपये प्रति किलोमीटर चार्ज करना शुरू कर दिया है | वे इसका बिल भी दे रहे है |

कोरोना संक्रमण के दौरान इस तरह की रोजाना कई शिकायतें सामने आ रही हैं, जिसमें मरीजों से 10-15 किलोमीटर के लिए एंबुलेंस का 10,000-30,000 रुपये तक का चार्ज लिया जा रहा है। ये शिकायते सिर्फ दिल्ली ही नहीं बल्कि बंगलुरु, हैदराबाद और मुंबई से भी सामने आ रही है | केंद्रीय परिवहन मंत्रालय को पीड़ित लगातार शिकायत कर रहे है | हालांकि कुछ राज्यों ने एंबुलेंस का खर्चा तय कर दिया है लेकिन इसके बावजूद भी कुछ निजी ऑपरेटर्स इस समय कमाई में कोई कसर बाकि नहीं छोड़ रहे है |

कोरोना को लेकर संवेदनशील हो चुकी मुंबई में एंबुलेंस ऑपरेटर की ओर से कोरोना मरीजों से हजारों में किराया वसूला गया | कोरोना मरीजों से 10-15 किलोमीटर के लिए 30,000 रुपये वसूलने जैसी शिकायतें सामने आईं है | इसमें कहा गया है कि कोरोना मरीज से एक किलोमीटर के लिए तीन हजार रुपये वसूले जा रहे थे।

इन शिकायतों के बाद महाराष्ट्र की सरकार ने इस मुद्दे में दखल दिया है | परिवहन विभाग ने कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए है | बावजूद इसके अभी भी मुंबई – पुणे में एक कोविड-19 मरीज से सात किलोमीटर के लिए आठ हजार रुपये वसूले गए। इस मामले की भी शिकायत की गई है |

उधर कर्नाटक से भी इसी तरह की शिकायतें सामने आ रही है | बंगलुरू में एक शख्स ने अपनी 54 वर्षीय मां को निजी अस्पताल में भर्ती करने के लिए एंबुलेंस का 15,000 रुपये का भुगतान किया | हालांकि ये दूरी उसके घर से मात्र छह किलोमीटर से भी कम थी। इसके अलावा कोलकाता में भी मरीजों से पांच किलोमीटर तक ले जाने के लिए छह से आठ हजार रुपये तक वसूले गए। पश्चिम बंगाल में तीन सौ किलोमीटर की दूरी के लिए 1.4 लाख रुपये वसूलने का मामला सामने आया था।

ऐसी कई खबरें भी सुनाई दे रही है कि एंबुलेंस की कमी की वजह से कई कोरोना मरीजों की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि कोरोना से होने वाली मौत और इसके खौफ से ज्यादातर राज्यों में निजी संचालकों ने एंबुलेंस की किराया बढ़ा दिया है। कोरोना से पहले झारखंड और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य प्रति किलोमीटर का दस रुपये वसूलते थे लेकिन अब एक किलोमीटर का 13 रुपये वसूल रहे हैं। झारखंड में मारुति वैन एंबुलेंस दस किलोमीटर का पांच सौ रुपये लेती थी लेकिन अब 900 रुपये ले रही है। इसके अलावा बिहार में भी एंबुलेंस के किराए का पांच से दस गुना ज्यादा वसूला जा रहा है। हालांकि परिवहन विभाग से शिकायत करने के बाद पी़ड़ित को एक लाख रुपया लौटा दिया गया था लेकिन उस एंबुलेंस का ऑपरेटर फरार है।

यही हाल तेलंगाना, पंजाब और राजस्थान का है | जबकि छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, केरल और गोवा जैसे राज्यों में सरकारी एंबुलेंस की मदद से मुफ्त में मरीजों की घरों से अस्पताल तक आवाजाही की जा रही है | हालाँकि उड़ीसा में राज्य सरकार ने निजी अस्पतालों के साथ समझौता कर आम मरीजों को मुफ्त में एंबुलेंस की सुविधा उपलब्ध कराइ है | यहाँ सरकारी और निजी एम्बुलेंस मुफ्त में उपलब्ध है |