छत्तीसगढ़ में पाठ्य पुस्तक निगम में हुए घोटाले की आई जांच रिपोर्ट, आधा दर्जन अफसरों के खिलाफ FIR दर्ज करने के निर्देश,जांच रिपोर्ट में कंपनियों का फर्जीवाड़ा भी आया सामने, अपने फायदे के लिए सरकार को लगाया गया करोड़ों का चूना, हरकत में आया EOW

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रायपुर /  छत्तीसगढ़ में पाठ्यपुस्तक निगम में घटित घोटाले को लेकर राज्य शासन ने आधा दर्जन अधिकारीयों के खिलाफ FIR दर्ज करने के निर्देश दिए है | मामले की जांच EOW के हवाले की गई थी | जांच रिपोर्ट में यह तथ्य पाया गया कि फर्जी तरीके से 6 करोड़ रुपए से अधिक का अनियमित भुगतान किया गया था | इस मामले की जांच के लिए एक समिति बनाई गई थी | इस समिति में रूपेश गभने, प्रभारी मुद्रण, रेख राज चौरागडे, और ऑडिटर नंदकुमार नेताम शामिल थे। समिति ने अपनी जांच रिपोर्ट में बताया है कि निविदाकारों के हस्ताक्षर के बगैर प्राप्त निविदाओं में कूट रचित दस्तावेज भी प्रस्तुत किए गए थे | 

इन दस्तावेजों का छग भंडार क्रय नियम 2002 संशोधित 2004 के प्रावधानों के अनुसार परीक्षण किए बगैर निविदा स्वीकृति की अनुशंसा कर दी गई थी । इसका उद्देश्य सिर्फ कमीशनखोरी और भ्रष्ट्राचार था | फर्जी दस्तावेजों के सहारे  बनावटी प्रतियोगिता/निविदा जारी होने के प्रमाण भी मिले है | जांच रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि निविदा प्रक्रिया में फर्जी एवं बनावटी प्रतियोगी निविदाएं व कूट रचित दस्तावेजों को शामिल किया गया था | 

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तथ्यों के अनुसार मेसर्स न्यू क्रिएटिव फाइबर ग्लास रायपुर, मेसर्स मिनी सिगनासेस रायपुर तथा एसआर इंटर प्राइजेसेस के नाम से छल कटप पूर्वक फर्जी एवं बनावटी प्रतियोगी निविदाएं प्रस्तुत की गई थी | जबकि मेसर्स होप एंटरप्राइजेसेस सुंदर नगर रायपुर को अपात्र होते हुए भी निविदा स्वीकृित की अनुशंसा की गई थी । जांच रिपोर्ट में बताया गया कि इस पूरी गड़बड़ी में 6 करोड़ 55 लाख 48 हजार 598 रुपए का अनियमित भुगतान हुआ था । इस घोटाले के सामने आने के बाद EOW का अमला हरकत में आ गया है |