रायपुर / दिल्ली – सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की साख और कार्यप्रणाली पर निलंबित ADG मुकेश गुप्ता के वकीलों ने जमकर हमला बोला है | हालाँकि इस बार वे इस कुख्यात आरोपी के नहीं बल्कि उसके आरोपी पिता जयदेव गुप्ता की ओर से पैरवी कर रहे थे | मामला MGM ट्रस्ट के खिलाफ दर्ज धोखाधड़ी और सरकारी अनुदान में धांधली का था | मामले की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों को राहत देते हुए अग्रिम आदेश तक कार्रवाई पर रोक लगा दी है | गंभीर तथ्य यह है कि इस महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में शासन का पक्ष रखने के लिए राज्य सरकार की ओर से कोई वकील मौजूद नहीं था | नतीजतन अदालत में छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से आरोपियों को वाकओवर मिला |
उधर राज्य सरकार को लगे तगड़े झटके के बाद आरोपी मुकेश गुप्ता गैंग की कमान संभाल रही विषकन्या ने दावा किया है कि जल्द ही मुकेश गुप्ता की भी पुलिस मुख्यालय में ताजपोशी होगी | उसका यह भी दावा है कि सरकार और बॉस के बीच सुलह हो चुकी है | अदालत में तो सरकार की गैर मौजूदगी सिर्फ टाइटल है, आगे आगे देखिये होता है क्या ? दरअसल EOW ने निलंबित ADG मुकेश गुप्ता के जयदेव गुप्ता और उनकी करीबी डॉक्टर दीपशिखा अग्रवाल के खिलाफ कुछ माह पूर्व आपराधिक प्रकरण दर्ज किया था | इस मामले की जाँच जारी थी | इस बीच आरोपियों ने हाई कोर्ट में कार्रवाई पर रोक लगाने के लिए एक याचिका दायर की थी |
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इस मामले को सुनने के बाद बिलासपुर हाई कोर्ट ने याचिका ही खारिज कर दी थी | इसके बाद आरोपियों को धर दबोचने के बजाये पुलिस अफसरों और राज्य सरकार ने इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया था | आखिर इसकी परिणति वही हुई जो आरोपी मुकेश गुप्ता और उसका गैंग चाहता था | अदालत में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और राज्य की कांग्रेस सरकार को कठघरे में खड़ा किया गया था | आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों की दलीलों को जायज ठहराते हुए, EOW की कार्रवाई पर अग्रिम आदेश पर रोक लगा दी | सुप्रीम कोर्ट ने स्थगन आदेश देते हुए सभी पक्षों को चार हफ्ते के भीतर नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है |
बताया जाता है कि एक बार फिर वर्दीधारी विषकन्या पूरी तरह से सक्रीय हो गई है | सूत्रों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में छत्तीसगढ़ सरकार और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ व्यू रचना भिलाई और बिलासपुर में रची गई थी | इसके लिए हफ्ते भर पहले कुख्यात आरोपी ने दिल्ली से नागपुर होते हुए भिलाई में अपने गिरोह के खण्डेलवाल नामक एक सदस्य के यहाँ डेरा डाला था | इसके बाद यह कुख्यात आरोपी सरकार की नज़रों से बचते हुए बिलासपुर पहुंचा था | उसकी रणनीति को अंजाम देने के लिए समीकरणों को बिठाने की जवाबदारी विषकन्या को सौंपी गई थी | बताया जाता है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ षडयंत्र को विषकन्या ने ही अंजाम तक पहुँचाया |
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में ईओडब्डू रायपुर द्वारा दर्ज अपराध क्रमांक 18/2020 के तीन 420सी के आरोपियों में से दो सह आरोपियों की याचिका क्रमांक WP(Crl.) No. 2838/2020 की virtual सुनवाई हुई। दोनों याचिकाकर्ताओं ने माननीय छ.ग. उच्च न्यायालय में दायर याचिका क्रमांक WPCR/238/2020 में पारित फैसले को चुनौती देते हुए मंहगे वकीलों में से एक महेश जेठमलानी से पैरवी करवाई थी। इस सुनावाई में माननीय उच्चतम न्यायालय ने बिलासपुर उच्च न्यायालय के फैसले के विरूद्ध याचिकाकर्ताओं के पक्ष में, स्थगन आदेश पारित करते हुए 4 सप्ताहों में समस्त पार्टियों को नोटिस जारी करने का आदेश दिया है।
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गौरतलब है कि, इस याचिका के याचिकाकर्ताओं जय देव गुप्ता व डा० दीपशिखा अग्रवाल थे, तथा शासन द्वारा मुख्य सचिव, सीबीआई एवं ईओडब्लू परिवादी थे। याचिका में दर्ज अपराध का शिकायतकर्ता केविएटर था। लोगों के लिए ताज्जुब वाली बात यह रही कि जानकारी होने के पश्चात् भी शासन का पक्ष रखने के लिए अदालत में कोई भी अधिवक्ता मौजूद नहीं था। कानून के जानकारों के अनुसार ये वाकया आरोपियों को लगभग वाकओवर देने जैसे था। स्थानीय सूत्रों का कहना है कि छत्तीसगढ़ सरकार के कर्ताधर्ता और आरोपियों में भीतरी सुलाह होने पर ही ऐसा संभव प्रतीत होता है।
बहरहाल मामले को लेकर इस याचिका में मुकेश गुप्ता के याचिकाकर्ता पिता व एक अन्य ने, मुख्यमंत्री पर पूर्व ग्रसित होने तथा कूटरचित व गलत अपराध दर्ज करवाने का आरोप भी लगाया है। अदालत में कहा गया कि तत्कालीन कांग्रेस नेता और मौजूदा मुख्यमंत्री के खिलाफ ADG मुकेश गुप्ता ने वैधानिक कार्रवाई की थी | इसलिए उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है | बहरहाल इतने महत्वपूर्ण मामले में छत्तीसगढ़ शासन की ओर से अपना पक्ष नहीं रखा जाना हैरान करता है।