बड़ी खबर : जांच और इलाज में हुई देरी से कई कोरोना मरीजों की मौत, मध्यप्रदेश में कोरोना से होने वाली मौतों की समीक्षा से हुआ खुलासा , देश के तमाम राज्यों को इन प्रकरणों से लेनी होगी सीख , पढ़े इस खबर को

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भोपाल वेब डेस्क / मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण का फैलाव और उससे होने वाली मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ते जा रहा है | इस बीच संक्रमण की वजह से हुई मौतों को लेकर एक चौकाने वाला खुलासा सामने आया है | स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा बैठक में यह तथ्य सुर्खियों में रहा कि राज्य में कई कोरोना मरीजों की मौतें समय पर जांच न होने और मरीज को तय वक्त पर रेफर न करने के साथ साथ समय पर इलाज नहीं शुरू होने की वजह से हुई हैं |

मध्यप्रदेश में कोरोना संकटकाल के दौरान संदिग्ध मरीजों और उनके परिजनों ने समय पर इलाज नहीं मिल पाने को लेकर कई बार स्वास्थ्य विभाग को कटघरे में खड़ा किया था | उनके मुताबिक इलाज में हो रही देरी से लोग मर रहे हैं | उन्होंने यह भी कहा था कि कोरोना संदिग्धों की समय पर जांच होने और उन्हें अस्पताल रेफर करने में हो रही देरी जानलेवा सबित हो रही है |

उधर अब स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश में कोरोना की वजह से हुई मौतों की समीक्षा की है | इसमें खुलासा हुआ है कि कई मौतें मरीजों को देरी से अस्पताल में रेफर करने या इलाज शुरू करने में हुई देरी की वजह से हुई है | बैठक में कई डॉक्टरों ने दलील दी कि संदिग्ध की पहचान के दौरान कॉम्प्लिकेशन होने की वजह से उनकी सेहत बिगड़ती देखी गई | इसमें कई मरीजों की मौत भी हो गई |

उधर इस खुलासे के बाद स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव फैज अहमद किदवई ने मध्यप्रदेश के सभी कलेक्टरों और सीएमएचओ को चिट्ठी लिखकर निर्देशित किया है | इस पत्र में उन्होंने कहा है कि भविष्य में प्रोटोकॉल के तहत मरीज की जांच और रेफरल किया जाए | इससे संक्रमितों की मृत्यु में कमी लाई जा सकती है |

प्रमुख सचिव के हरकत में आने के बाद स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि ‘कोरोना के इलाज में जो कमी रह गई अब उसे दूर किया जाएगा | उन्होंने कहा कि दरअसल जहां-जहां से उन्हें इलाज में हुई कमी के बारे में पता चलता है ,सरकार उसे दूर करने का प्रयास करती है | उन्होंने दावा किया कि मध्यप्रदेश का कोरोना ग्रोथ रेट और मृत्यु दर दोनों अब कम हुए हैं | ‘

उधर मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमित 525 मरीजों की मौत हो चुकी है | अभी भी कई मरीज गंभीर अवस्था में है | बताया जाता है कि सैम्पलिंग और संदिग्ध मरीजों को शुरुआती दौर में ही डॉक्टरों द्वारा स्क्रीनिंग, सेंपलिंग और लक्षणों के आधार पर इलाज की व्यवस्था न करने से उनकी हालत लगातार बिगड़ती चली गई | उधर यह समीक्षा रिपोर्ट और इलाज को लेकर सामने आये तथ्य देश के तमाम राज्यों के लिए एक अलर्ट है | उन्हें इन घटनाओं से सबक लेकर अपने राज्यों की स्थिति का तुलनात्मक अध्ययन करना होगा | इससे कोरोना संक्रमण की रोकथाम में काफी मदद मिलने के आसार है |