नेपाल, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका और मालदीव कर्ज लेकर चीन के पैरों तले दबे, भारत के चारों ओर बसे देशों को कर्ज देकर अपना कब्जा जमाता जा रहा चीन, एशिया में प्रभुत्व के लिए भारत पर हमले की कोशिश, देश के नागरिकों को भी समझना होगा चीनी चाल, करे स्वदेशी सामानों का उपयोग, चीन के मुँह में पड़ेगा तमाचा

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दिल्ली वेब डेस्क / कोरोना संक्रमण के बाद दुनिया के ज्यादातर देश चीन से अपने कारोबारी रिश्ते ख़त्म कर रहे है | यही नहीं कोरोना से दुनिया का ध्यान हटाने के लिए चीन ने भारत पर हमले की योजना तैयार की है | हालाँकि उसकी चाल उसी पर भारी पड़ने वाली है | भारत ने साफ कर दिया है कि देश की सम्प्रभुता के साथ कोई समझौता नहीं होगा |

रक्षा और विदेश मामलों के जानकारों के मुताबिक चीन ने भारत के खिलाफ पिछले कुछ सालों से आक्रामक तरीके से एक नए हथियार का उपयोग करना शुरु किया है| ये हथियार कर्ज नीति है | चीन ने अपनी इस नीति के चलते भारत के चारों तरफ मौजूद छोटे-छोटे देशों को अपना कर्जदार बना लिया है| दरअसल वो रणनीतिक तौर पर भारत को चारों तरफ से घेरना चाहता है |

जानकर बताते है कि भारत के कमजोर होने से एशिया में चीन का दबदबा कायम होगा | चीन चाहता है कि इसके जरिए वह एशिया का सबसे ताकतवर देश बन जाएगा और अमेरिका को टक्कर दे पाएगा| इसी के चलते चीन ने भारत के सभी पड़ोसी देशों को अपनी कर्ज नीति में फंसाया | उसने उन देशों में व्यापार के जरिये जमकर निवेश किया | वहां की सत्ता पर भी अपना प्रभाव जमाया |

इन देशों में श्रीलंका, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और मालदीव शामिल है | भूटान, चीन के चक्कर में नहीं आया | जानकारी के मुताबिक चीन ने श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह, एयरपोर्ट, कोल पावर प्लांट, सड़क निर्माण में 36,480 करोड़ रुपये का निवेश किया था| 2016 में यह कर्ज 45,600 करोड़ रुपये हो गया| श्रीलंका की आर्थिक स्थिति ख़राब होने से वो यह कर्ज नहीं चुका पाया | नतीजतन इस पर उसे हंबनटोटा बंदरगाह चीन को 99 साल के लिए लीज पर देना पड़ा | ऐसा ही हो रहा पाकिस्तान में | वो भी चीन के चंगुल में फंस गया |

पाकिस्तान ने चीन के सीपीईसी प्रोजेक्ट में 4.56 लाख करोड़ रुपये निवेश किया हैं | यह बड़ी रकम पाकिस्तान ने कर्ज के तौर पर ली है | इसकी सालाना ब्याज दर 7 फीसदी है | पाकिस्तान की भी आर्थिक स्थिति ख़राब है | लिहाजा चीन ने पाकिस्तान के कई महत्वपूर्ण इलाकों में अपना प्रभाव जमा लिया है | वो ग्वादर पोर्ट के पास नौसेना का बेस बनाना चाहता है|

बांग्लादेश भी चीन की चाल का शिकार हो गया | उसने बीआरआई प्रोजेक्ट में चीन से समझौता किया था| इसके तहत चीन ने बांग्लादेश में 2.89 लाख करोड़ रुपये निवेश किये | इसके अलावा कई प्रोजेक्ट पाइप लाइन में है |

नेपाल को चीन का नया दोस्त बताया जा रहा है | नेपाल ने उसे खुश करने के लिए भारत के साथ अपने सालों पुराने रिश्ते ख़राब करना शुरू कर दिया है | विकास के नाम पर चीन ने यहाँ के रसुवा में पनबिजली प्रोजेक्ट शुरू किया है | यह इलाका तिब्बत से मात्र 32 किलोमीटर दूर है| इसमें चीन ने 950 करोड़ रुपये निवेश किये हैं | भारत से सटा म्यांमार और भूटान चीन के शिकार नहीं हो पाए | लेकिन मालदीव पर भी निवेश के नाम पर चीनी कब्ज़ा लगातार बढ़ रहा है | मालदीव ने 2016 में 16 द्वीपों को चीनी कंपनियों को लीज पर दिया था|

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अब चीन इन द्वीपों पर निर्माण कार्य कर रहा है | ताकि हिंद महासागर, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी के आसपास होने वाले अंतरराष्ट्रीय व्यापार और भारत पर नजर रख सके | मालदीव की आर्थिक स्थिति भी ख़राब है | उधर एशिया में चीन और भारत दोनों महाशक्ति के रूप में देखे जाते है | लेकिन इस बार भारत 1962 वाला नहीं बल्कि आधुनिक हथियार प्रणाली से लैस परमाणु संपन्न देश है | फ़िलहाल चीन की चाल बाजी को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने 19 जून को सर्वदलीय बैठक बुलाई है |