अहमदाबाद वेब डेस्क / एक आदिवासी परिवार लगभग 20 माह से इंसाफ की गुहार लगा रहा है | लेकिन अब तक उसे सिर्फ आश्वासन ही मिल पाया है, इंसाफ नहीं | नतीजतन यह परिवार अब तक अपने प्यारे बेटे का अंतिम संस्कार तक नहीं कर पाया | उसे गांव के सरपंच से लेकर पुलिस तक सिर्फ कार्रवाई का भरोसा दे पाई है | हकीकत में उसके बेटे के हत्यारों का पता लगाने के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं हुए | लिहाजा यह परिवार अपनी सालों पुरानी परंपरा ‘चढ़ोतरू’ के आसरे इंसाफ की भीख मांग रहा है |
उत्तर गुजरात के जामरू गांव में एक पिता ने लगभग 20 महीने से अपने बेटे के कंकाल को संभालकर रखा है। उनका यह बेटा रोज उन्हें इंसाफ की याद दिलाता है | यह मामला बनासकांठा जिले का है। यहाँ आदिवासी समाज में इंसाफ न मिलने तक शव का अंतिम संस्कार न करने की परंपरा है जिसे ‘चढ़ोतरू’ कहा जाता है।
बताया जाता है कि सितंबर 2018 में नटूभाई का शव खेत में पड़ा था। पीड़ित परिवार को अंदेशा है कि उनके बेटे की हत्या के पीछे उनके पड़ोसी और कुछ लोगों का हाथ है | पीड़ित परिवार की शिकायत पर पुलिस ने गांव के ही रमणभाई सहित 10 लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने के लिए स्थानीय थाने में शिकायत की थी | लेकिन पुलिस ने मामले की तह पर जाने के बजाये युवक की आकस्मिक मौत का मामला दर्ज कर लिया।
उधर पीड़ित परिवार की मांग पर पुलिस ने शव का पंचनामा कर पोस्टमार्टम भी कराया | लेकिन एफएसएल जांच के लिए भेजी गई विसरा रिपोर्ट अभी तक नहीं आई | लिहाजा डेढ़ साल बीत जाने के बाद भी रिपोर्ट के नहीं आने से पुलिस भी उलझन में है | वो क़ानूनी दांवपेचों को ध्यान में रखकर आगे की कार्रवाई का इंतज़ार कर रही है | उधर मृतक के 64 वर्षीय पिता रोजाना थाने का चक्कर काटते है |
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उन्हें सिर्फ कार्रवाई का भरोसा ही मिल पाया है | पीड़ित परिवार ने बताया कि उनके मृतक बेटे नटू के चार बच्चों को भी उनके पिता के इंसाफ का इंतज़ार है | इस परिवार ने अपने बेटे का शव अपनी झोपरी के करीब स्थित गैर-उपयोगी कमरे में रखा है। यह शव अब कंकाल में तब्दील हो चूका है | आदिवासी परंपरा ‘चढ़ोतरू’ के चलते शव के अंतिम संस्कार को लेकर प्रशासन भी कोई हस्ताक्षेप नहीं कर रहा है |