नक्सलियों के बाद अब इन इन ग्यारह गांव के लोगो ने किया चुनाव बहिष्कार |

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गरियाबंद से नेताओं के लिए एक बुरी खबर है, चुनाव के दौरान जिले के कई गांवों में नेताओं के घुसने पर ग्रामीणों ने रोक लगा दी | चुनाव बहिष्कार का ऐलान कर चुके 11 गांव के लोगो ने नेताओं पर ये प्रतिबन्ध लगाया है | बाकायदा इसके लिए कई बैनर पोस्टर बनाकर गांव के सीमाओं पर लगाए गए हैं और ग्रामीण इसका सख्ती से पालन कराने की बात कह रहे हैं | इन गांव के लोगो ने अब अपने गांवों में नेताओं के दाखिल होने पर रोक लगा दी है | मतलब किसी भी पार्टी का कोई भी नेता इस बार चुनाव में इन गांवों का दौरा नहीं कर पाएगा और ना ही इन गांवों में पहुंचकर वोट मांग सकेगा | 15 साल से लगातार मांग के बाद भी तेल नदी पर पुल नहीं बनने से नाराज़ ग्रामीणों ने नेताओ के खिलाफ अपने गुस्से का इजहार करने के लिए ये फैसला लिया है |

देवभोग एसडीएम को अपने फैसले से अवगत कराते हुए ग्रामीणों ने कहा कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होगी तब तक ना तो वे चुनाव में हिस्सा लेंगे और ना ही किसी नेता को अपने गांव में घुसने देंगे, हालांकि एसडीएम ने ग्रामीणों से चुनाव के बहिष्कार ना करने की अपील की है ।

छत्तीसगढ़ के जिला गरियाबंद में सेन्दमुड़ा समेत 11 गांव के ग्रामीण अब चुनाव बहिष्कार के साथ गांव में बेनर पोस्टर लगाए दिए जिसमे लिखा है पुल नही तो पोलिंग नही यहां नेताओ का प्रवेश निषेध है । सेनमुड़ा के साथ  पांच पंचायत के 11 गांव  के हजारों मतदाता हुए शामिल । दरअसल देवभोग के तेलनदी में सेन्दमुड़ा पर पुल नहीं बनने से नाराज ग्रामीण लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला लिए है | बता दे कि सेन्दमुड़ा सहित यह फैसला 11 गांव के  हजारों मतदाताओं ने एक जुट होकर लिया है जो, अब तूल पकड़ते जा रहा, अब ग्रामीण अपने गांव के चौक चौराहों में बेनर पोस्टर लगाए रहे है, जिसमे साफ शब्दों में लिखा है की सेन्दमुड़ा के तेलनदी में पुल नही तो पोलिंग नही यहां चुनाव बहिष्कार है | नेताओ का आना निषेध है | इससे पहले ग्रामीणों ने एक जुट होकर पिछले दिनों देवभोग एसडीएम को ज्ञापन सौंपे थे, अब ग्रामीण अपने गांवों में बेनर लगा रहे है |

आपको जान कर हैरानी होगी कि ये वही सेन्दमुड़ा है जहां विश्व का प्रशिद्ध हीरा से भी 5 गुना महंगा एलेग्जेंडर खदान है, जहा के ग्रामीण विगत 25 सालों से शासन प्रशासन से पुल निर्माण की मांग करते आ रहे है| जो अब तक पूरा नही हुआ है, पिछले विधानसभा चुनाव में भी ग्रामीण चुनाव बहिष्कार किये थे तब राजनीतिक दल और प्रशासन ने चुनाव खत्म होने के बाद पुल निर्माण का काम शुरू करने का आश्वासन दिए थे , पर आज तक काम शुरू नही हुआ तो अब ग्रामीण ठान ही लिए है कि पुल नही तो पोलिंग नही अब यहां प्रशासन के लिए चुनाव करवाना किसी बड़ी चुनौती से कम नही है ।