कोरोना संक्रमण के चलते अब डॉक्टरों की जान जोखिम में, जिस तेजी से मामले बढ़ रहे है, उतनी ही तेजी से डॉक्टर होने लगे संक्रमित, तेलंगाना में बीते दो सप्ताह में 79 सरकारी डॉक्टर कोरोना संक्रमित, जबकि प्राइवेट डॉक्टरों का आंकड़ा आधा सैकड़ा पार

0
8

हैदराबाद वेब डेस्क / छत्तीसगढ़ से सटे तेलंगाना में बीते दो सप्ताह में 79 सरकारी डॉक्टर कोरोना वायरस की चपेट में आ चुके हैं। कल ही निजाम इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (निम्स) के चार डॉक्टर और तीन मेडिकल स्टाफ को कोरोना संक्रमित पाया गया था। अभी दो दर्जन से ज्यादा डॉक्टरों की मेडिकल रिपोर्ट आना बाकि है | इसमें से कुछ डॉक्टर क्वारेंटाइन है, तो कुछ आइसोलेटेड | निम्स रेजिडेंट मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. जी श्रीनिवास के मुताबिक अब तक ओसमानिया मेडिकल कॉलेज के 49, निम्स के 26 और गांधी मेडिकल कॉलेज के चार डॉक्टरों में संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है।

इसके अलावा लैब स्टाफ, नर्स और मेडिकल स्टाफ के कई सदस्य भी पॉजिटिव मिल चुके हैं। उन्होंने बताया कि सरकारी डॉक्टरों के अलावा कई निजी अस्पतालों के डॉक्टर भी संक्रमित मिले हैं, जिनका उन्हीं के अस्पतालों में इलाज किया जा रहा है। श्रीनिवास के मुताबिक, कोरोना का इलाज कर रहे अस्पतालों के डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ को ज्यादा सुरक्षा की आवश्यकता है।

उधर डॉक्टरों ने सरकार से मेडिकल टेस्ट में तेजी लाने की मांग की है | उन्हें अंदेशा है कि जल्द ही टेस्ट की संख्या नहीं बढ़ाई गई तो संक्रमण में जबरदस्त वृद्धि होगी | जाने अनजाने में कई नए लोग संक्रमण का शिकार होंगे | शीर्ष सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों में काम करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों ने ज्यादा टेस्ट नहीं करने के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। हेल्थकेयर रिफ़ॉर्म डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. महेश कुमार ने कहा, कम से कम अब तो सरकार को टेस्ट की संख्या में इजाफा करना चाहिए।

क्योंकि कई डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों की जान जोखिम में है। बताया जा रहा है कि सामान्य व्यक्तियों के संपर्क में आने से डॉक्टर भी बड़ी आसानी से उनसे मिलते जुलते है | चौबीसो घंटे पीपीई किट पहनना मुश्किल होता है | ऐसे में कब, कहाँ और कैसे संक्रमण की चपेट में आ जाये, निश्चित नहीं होता |

ये भी पढ़े : कोरोना से 5वीं मौत, छत्तीसगढ़ में एक और कोरोना संक्रमित की मौत, दुर्ग की युवती ने एम्स में तोडा दम, रायपुर एम्स द्वारा दी जानकारी

डॉक्टरों के मुताबिक टेस्टिंग शुरुआती चेतावनी प्रणाली होती है। सीमित टेस्ट करने की सरकार की नीति डॉक्टरों व फ्रंटलाइन वर्करों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। बड़े पैमाने पर डॉक्टरों का संक्रमित होना दिखाता है कि बड़ी संख्या में अस्पताल आने वाले लोग वायरस लेकर घूम रहे हैं और उन्हें इसके बारे में खबर तक नहीं है। इसका कारण है कि उस इलाके में टेस्ट हुआ ही नहीं, जहां से वे आते हैं।