रिपोर्टर – मनोज सिंह चंदेल
राजनांदगांव / देश में पुरातन सामाजिक परंपराओं को तोड़ते हुए छत्तीसगढ़ के लोग नई परम्पराओं को अस्तित्व में ला रहे है | ये परम्पराये अब मौजूदा समय की जरुरत बन गई है | आधुनिक विचारों के साथ परम्पराओं का रचनात्मक बदलाव इस पीढ़ी को काफी राहत देने वाला है | दरअसल स्वर्गवास के बाद हिंदू परिवारों में अस्थि कलश को प्रयागराज स्थित त्रिवेणी संगम में विसर्जित करने की परंपरा है | यह परंपरा सदियों से चली आ रही है | लेकिन लॉक-डाउन के चलते पिछले कुछ महीनों से इलाहाबाद स्थित गंगा जी में कई लोगों को अपने परिजनों की अस्थि विसर्जन का मौका नहीं मिल पाया है |
ऐसे लोगों ने वक़्त को देखते हुए अस्थि कलश को सुरक्षित रख शेष सामाजिक और धार्मिक मान्यताओं को पूरा किया | लेकिन सैकड़ों परिवार अपने परिजनों के अस्थि कलश के विसर्जन की राह तकते रहे | लॉक डाउन -5 में मौका मिलते ही ऐसे परिवारों ने एकजुट होकर विशेष बस का प्रबंध किया | सरकारी नियमों का पालन करते हुए तमाम अस्थि कलश इस बस में रखे गए | इस बस में संस्कार से जुड़ी परंपराओं को निभाने वाले व्यक्ति भी सवार हुए | इलाहाबाद से पूरे विधि-विधान के साथ अस्थि विसर्जन की परंपरा फेसबुक के माध्यम से लाइव परिजनों को दिखाई जाएगी।
शहर के स्टेट स्कूल मैदान से त्रिवेणी अस्थि विसर्जन व श्रद्धांजलि बस प्रयागराज के लिए जब रवाना हुई तो सैकड़ों लोगों ने नम आँखों से अपने दिवंगत परिजनों को विदाई दी। इस दौरान प्रदेश कांग्रेस सेवादल के अध्यक्ष अरुण ताम्रकार और महापौर हेमा देशमुख ने मौके से बस को रवाना किया।