झांसी वेब डेस्क / प्रवासी मजदूरों को इधर से उधर करने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेने रोजाना दौड़ रही है | लेकिन उसमे सवार श्रमिक कितने सुरक्षित है और सेनेटाइजेशन का काम रोजाना हो रहा है या नहीं , इसकी पोल एक घटना ने खोल दी है | दरअसल कई मुश्किलें झेलकर प्रवासी मजदूरों की घर वापसी का सिलसिला चल रहा है | यात्रा के दौरान किसी के साथ कोई हादसा हो जाए तो कोई मददगार भी सामने नहीं आने वाला | जबकि इस तरह के हादसों के गवाह वे मजूदर भी बन रहे है जो उस ट्रेन में सवार है | उनकी मानसिक स्थिति और लोक व्यवहार कैसा है ? इस घटना ने उसे भी उजागर कर दिया है |
मानवता को शर्मशार करने वाली यह घटना झांसी रेलवे स्टेशन पर सामने आई है | झांसी से गोरखपुर के लिए 23 मई को रवाना हुई श्रमिक स्पेशल के शौचालय में एक शव पड़ा रहा। पांच दिन बाद जब ट्रेन को सेनेटाइज किया जा रहा था तब एक कर्मचारी को टॉयलेट में किसी व्यक्ति का शव दिखाई दिया | कर्मियों ने फौरन इसकी सूचना वरिष्ठ अधिकारियों और जीआरपी को दी | मौके पर लाश देखकर रेलवे प्रशासन सकते में आ गया। छानबीन में पता चला 23 मई को इसी ट्रेन से गोरखपुर जाने के लिए बस्ती का प्रवासी मजदूर सवार हुआ था। जीआरपी ने कोरोना जांच और पोस्टमार्टम कराने के बाद शव शुक्रवार को मृतक के परिजनों के सुपुर्द कर दिया। परिजनों ने कोविड-19 गाइडलाइन के मुताबिक झांसी में ही मृतक का दाह संस्कार कर दिया।
बताया जाता है कि गोरखपुर से 27 मई को लौटी 04168 श्रमिक स्पेशल ट्रेन को शाम के वक्त अगली यात्रा के लिए रेलवे यार्ड में तैयार किया जा रहा था। सेनेटाइज के समय एस ई 068226 बोगी का शौचालय नहीं खुल रहा था। कर्मचारियों ने काफी कोशिश करने के बाद खिड़की से अंदर झांका तो उन्हें एक युवक की लाश दिखाई दी | इसके बाद टॉयलेट का दरवाजा तोड़ कर रेलकर्मियों ने 38 वर्षीय युवक का शव बाहर निकाला | घटना की जानकारी तत्काल जीआरपी और आरपीएफ को दी गई।
तलाशी के दौरान युवक की जेब से मोबाइल फोन, 27282 रुपये नगद, आधार कार्ड, पैन कार्ड, एटीएम के अलावा 23 मई का झांसी से गोरखपुर जाने का यात्रा टिकट मिला। आधार कार्ड में मृतक का नाम मोहन शर्मा पुत्र सुभाष शर्मा निवासी हलुआ थाना गौर जिला बस्ती लिखा था। इसकी जानकारी जीआरपी ने परिजनों को दी। मृतक के परिजनों को अस्पताल बुलाया गया | तब पता पड़ा कि मोहन शुगर का मरीज था। काफी लंबे समय से उसकी दवाएं चल रही थीं। हालांकि मेडिकल कॉलेज से अभी कोरोना जांच की रिपोर्ट नहीं मिली है।
उधर पोस्टमार्टम में मौत का कारण स्पष्ट न होने पर जीआरपी ने विसरा जांच के लिए सुरक्षित रख लिया है। बताया गया कि लॉकडाउन के कारण काम धंधा बंद होने से मृतक मुंबई से घर वापस लौटने के लिए झांसी से गोरखपुर जाने वाली श्रमिक ट्रेन में सवार हुआ था। वह मुंबई से झांसी तक बस से आया था।
न्यूज टुडे को एक जानकारी में विजय नारायण पांडे, उप निरीक्षक, जीआरपी ने बताया कि सूचना मिलते ही शव को कब्जे में लेकर मेडिकल कॉलेज कोरोना जांच के लिए भेज दिया गया था । उनके मुताबिक शार्ट पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी मौत का कारण स्पष्ट नहीं है। फ़िलहाल इस घटना से साफ हो रहा है कि मजदूरों के बीच मानवता का भी टोटा है |