सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश- ‘मजदूरों से ट्रेन या बस का कोई किराया न लिया जाए, राज्य सरकार किराया दे’ , भोजन की करे व्यवस्था 

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नई दिल्ली /  प्रवासी मज़दूरों के मुद्दों पर आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई और शीर्ष अदालत ने अंतरिम आदेश दिए है |  सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मजदूरों से ट्रेन या बस का कोई किराया न लिया जाए, राज्य सरकार किराया दे | आदेश में कहा गया है, “जो जहां फंसा है उसे वहां की राज्य सरकार भोजन दे | उन तक जानकारी पहुंचाई जाए कि मदद उपलब्ध है |” 

सुप्रीम कोर्ट ने सड़कों पर पैदल चल रहे प्रवासी मजदूरों की स्थिति पर सुप्रीम कोर्ट ने 26 मई को संज्ञान लिया था और आज सुनवाई की तारीख तय की थी | आज सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कुछ दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हुई हैं | उन्हें बार बार मीडिया में दिखाया गया | ऐसा नहीं कि सरकार कदम नहीं उठा रही है | जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम यह नहीं कह रहे कि सरकार कुछ नहीं कर रही | लेकिन ज़रूरतमंदों तक मदद पहुंच नहीं पा रही है | 

जज ने पूछा कि किराया कौन दे रहा है? सॉलिसीटर- मैं इसका विस्तृत जवाब दूंगा | या तो यात्रा का शुरुआती राज्य या अंतिम राज्य पैसे दे रहा है | सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि ट्रेन को यात्रा से पहले लगातार सैनिटाइज़ किया जाता है | सोशल डिस्टेंसिंग का पालन होता है | पहला भोजन राज्य सरकार देती है | आगे रेलवे भोजन और पानी देता है | अब तक रेलवे ने 84 लाख थाली और लगभग 1.5 करोड़ रेल नीर उपलब्ध करवाया है | उनको गंतव्य ओर पहुंचने के बाद राज्य सरकार बस दे रही है | 

उन्होंने कहा कि ज़रूरत के मुताबिक क्वारंटीन किया जा रहा है. क्वारंटीन अवधि में राज्य सरकार आश्रय, भोजन आदि उपलब्ध करवा रही है. यह अवधि पूरी होने के बाद फिर राज्य सरकार बस से उनके घर पहुंचाती है | रेलवे भी MEMU ट्रेन चलकर इस काम मे मदद दे रही है | ऐसी 350 ट्रेन चली है जो राज्य के भीतर ही चलती है | 

जज ने कहा कि आप दूसरे स्टेज पर पहुंच गए कि लोग अपने राज्य पहुंच गए | सुविधा मिल गई | हम पहले स्टेज पर हैं- बड़ी संख्या में लोग परेशान फिर रहे हैं | उनका नाम कहीं रजिस्टर तक नहीं हो रहा है | सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि हम संसाधनों का पूरा इस्तेमाल कर रहे हैं | 27 दिन में 3700 ट्रेन चलाई है | फिर जस्टिस ने कहा कि क्या यात्रा कर रहे लोगों से कभी भी पैसे लिए जा रहे हैं? क्या उन्हें भोजन मिल रहा है?