मैं तेरे प्यार में पागल : प्रेमियों के लिए आंख खोलने वाली खबर, उड़ीसा हाईकोर्ट का फरमान,’शादी का वादा कर शारीरिक संबंध बनाना दुष्कर्म नहीं’, अदालत की इस टिप्पणी के बाद आरोपी को मिली जमानत, पढ़े इस खबर को

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भुवनेश्वर वेब डेस्क / उड़ीसा हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में ‘शादी का वादा कर शारीरिक संबंध बनाने को दुष्कर्म नहीं माना है | न्यायमूर्ति पाणिग्रही ने एक निचली अदालत के आदेश को दरकिनार कर दिया और दुष्कर्म के आरोपी की जमानत अर्जी को मंजूर करते हुए यह टिप्पणी की है। मामला उड़ीसा के कोरापुट जिले का है | यहाँ जिला अदालत ने दुष्कर्म के एक आरोपी की जमानत अर्जी ख़ारिज कर दी थी | मामला पिछले साल नवंबर में 19 वर्षीय एक आदिवासी युवती की शिकायत पर दुष्कर्म के आरोपमें जेल की हवा खा रहे, एक आरोपी छात्र की गिरफ्तारी से जुड़ा था।

रिकॉर्ड के अनुसार, उस युवक और उसी गांव की युवती के बीच करीब चार साल से शारीरिक संबंध थे। इस दौरान वह दो बार गर्भवती हुई थी। युवती ने बाद में पुलिस में एक शिकायत दर्ज कराई थी | इसमें आरोप लगाया गया था कि उसके प्रेमी युवक ने शादी का वादा किया था और उसकी मासूमियत का फायदा उठाते हुए उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए थे।

सांकेतिक तस्वीर 

युवती ने यह भी दावा किया था कि आरोपी ने उसे गर्भपात की गोलियों का सेवन करके गर्भ गिराने के लिए मजबूर किया था। पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपी युवक को गिरफ्तार किया था | यह युवक पिछले छह महीने से जेल में है। कोर्ट ने बृहस्पतिवार को इस शर्त पर उसकी जमानत अर्जी मंजूर कर ली कि वह जांच में सहयोग करेगा और कथित पीड़िता को धमकी नहीं देगा।

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मामले की सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति पाणिग्रही ने अपने 12 पन्नों के आदेश में दुष्कर्म कानूनों पर विस्तार से वर्णन किया है | उन्होंने अपने फैसले में कहा कि बिना किसी आश्वासन के सहमति से भी संबंध बनाना स्पष्ट रूप से आईपीसी की धारा 376 बलात्कार के तहत अपराध नहीं माना जा सकता।

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न्यायाधीश ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की है कि शादी का वादा कर शारीरिक संबंध बनाना बलात्कार के समान नहीं है। न्यायमूर्ति एस के पाणिग्रही ने इस बात पर भी सवाल उठाए कि क्या बलात्कार कानूनों का उपयोग अंतरंग संबंधों को विनियमित करने के लिए किया जाना चाहिए, खासकर उन मामलों में जहां महिलाएं अपनी मर्जी से संबंध बनाती हैं।

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उन्होंने इस मुद्दे को हल करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि अक्सर सवाल उठाए जाते हैं कि इस तरह के मामलों को कानून और न्यायिक फैसलों से कैसे हल किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि दुष्कर्म कानून अक्सर सामाजिक रूप से वंचित और गरीब पीड़ितों की दुर्दशा को ठीक करने में विफल रहे हैं, जहां वे पुरुष द्वारा किए गए शादी के झूठे वादे में फंसकर शारीरिक संबध बना लेती हैं।