दिल्ली वेब डेस्क / कोरोना संक्रमण को लेकर चीन की चुप्पी रहस्यमय करार दिए जाने के बाद अमेरिका ब्रिटेन समेत यूरोप के कई देश चीन की घेराबंदी में जुट गए है | ये सभी देश आर्थिक , सामरिक समेत कई तरह की पाबंदियां चीन पर लादने की तैयारी में जुटे है | चीन की अर्थव्यवस्था पटरी पर आते ही कई देशों ने उस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाने की मांग की है | चीन को अंदेशा है कि यदि उसने अमेरिकी प्रभाव को कम नहीं किया तो भविष्य में उसे पाकिस्तान जैसे हालात का सामना करना पड़ेगा | इस बीच चीन से अपना व्यापार समेटकर दूसरे देशों का रुख कर रही मल्टी नेशनल कंपनियों ने उसे तगड़ा झटका दिया है | मामले को संभालने के लिए चीन ने अमेरिका को धमकी दी है | धमकी भी अंजाम भुगतने की | हालांकि मामला कोरोना संकट का नहीं बल्कि ताईवान को लेकर है |
चीनी विदेश मंत्रालय ने बुधवार को ताइवान मुद्दे को लेकर अमेरिका को अंजाम भुगतने की धमकी दी है। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने ट्वीट कर ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग वेन को दूसरे कार्यकाल की बधाई दी थी। इसी ट्वीट को लेकर चीन के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर नाराजगी जाहिर की है।चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने ताइवान क्षेत्र की स्थिरता और शांति के साथ-साथ अमेरिका-चीन के संबंधों को भी गंभीर नुकसान पहुंचाया है। चीन ने कहा कि वह इसके खिलाफ जरूरी कार्रवाई करेगा | उसने चेतावनी दी है कि अमेरिका को इसका अंजाम जरूर भुगतना पड़ेगा।
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने मौजूदा विश्व परिदृश्य को ध्यान में रखकर ट्वीट किया था, “ताइवान की राष्ट्रपति के दूसरे कार्यकाल के लिए डॉ। साई इंग वेन को बधाई। ताइवान का फलता-फूलता लोकतंत्र पूरी दुनिया और क्षेत्र के लिए एक प्रेरणा है। राष्ट्रपति साई के साथ ताइवान के साथ हमारी साझेदारी और मजबूत होगी।” दरअसल चीन 1949 में गृह युद्ध की समाप्ति के बाद से ही ताइवान पर अपना दावा करता आया है। एक ओर जहां ताइवान खुद को स्वतंत्र और संप्रभु मानता है, वहीं चीन हॉन्ग कॉन्ग की तरह इस पर ‘एक देश, दो व्यवस्था’ लागू करना चाहता है। चीन यहां तक कह चुका है कि जरूरत पड़ने पर बलपूर्वक ताइवान पर कब्जा किया जा सकता है। यही वजह है कि जब भी कोई देश ताइवान का समर्थन करता है तो चीन उसे धमकाने लगता है।
उधर ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग वेन ने कोरोना वायरस के खिलाफ बेहतर काम किया, और लाखों लोगों की जान बचाई | इसे लेकर पूरी दुनिया में उनकी तारीफ हो रही है। कई देशों ने उसे विश्व स्वास्थ्य संगठन की सालाना बैठक में शामिल करने की मांग की है | हालांकि चीन ने इसका विरोध किया है । उसकी दलील है कि ताइवान को एक देश का दर्जा नहीं दिया जा सकता है। जबकि दूसरी ओर साई इंग-वेन ताइवान को एक संप्रभु देश के तौर पर देखती हैं | उनकी दलील है कि ताइवान ‘वन चाइना’ का हिस्सा नहीं है। उन्होंने कहा, “हम ‘एक देश, दो व्यवस्था’ वाली दलील के नाम पर चीन का अधिपत्य नहीं स्वीकार करेंगे जिसमें ताइवान का दर्जा कम कर दिया जाएगा।
उधर राष्ट्रपति ट्रम्प ने इस धमकी को लेकर फ़िलहाल कोई प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की है | उन्होंने WHO को लताड़ लगाकर करीब 28 हजार करोड़ की सालाना आर्थिक सहायता पर रोक लगाकर चीन को झटका दिया है | यही नहीं ट्रंप ने खुले तौर पर ऐलान किया है कि कोरोना संक्रमण फ़ैलाने को लेकर उसके खिलाफ जांच और कार्रवाई होगी | यही नहीं ट्रम्प ने WHO में भारत का सम्मानजनक प्रतिनिधित्व कायम करने के लिए कूटनीतिक रूप से भारतीय केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन का नाम आगे बढ़ाया है | उन्होंने मित्र राष्ट्रों से चीन के खिलाफ एकजुट होकर कार्रवाई करने का ऐलान किया है | ऐसे समय भारत की भूमिका काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है | फिलहाल प्रधानमंत्री मोदी के रुख का इंतजार किया जा रहा है |