लॉक डाउन के चलते देश में मजदूरों को छोड़ हर कोई संयम का परिचय दे रहा है | इन मजदूरों को उनके घरों और ठिकानों तक पहुंचाने के लिए सरकार को विवश होकर ट्रेन चलानी पड़ी है | केंद्र और राज्य सरकार मजदूरों की हर संभव सहायता कर रही है | मुफ्त खाना, रहना, दवाई, जनधन के खातों में रकम, 3 माह का राशन समेत कई सुविधाएं उन्हें दी गई है | बावजूद इसके मजदूर वर्ग अपने घर जाने की जिद्द पर अड़ा हुआ है | लॉक डाउन तोड़ वे इधर से उधर भी हो रहे है | बेंगलुरु से सैकड़ो मजदूर अपने परिजनों सहित राजस्थान पहुंचे | इस हुजूम में एक ऐसा भी शख्स था जो साईकल पर अपनी माँ को लेकर चल रहा था | साईकल की पिछली सीट पर 90 वर्षीय उसकी माँ और सामने डंडे पर 6 साल की उसकी बेटी सवार थी | उस मजदूर से रूबरू होने वाले शख्स हैरत में थे | उसकी मेहनत और जस्बे को सलाम | लेकिन जनाब इतनी हड़बड़ी क्यों ?