करनाल वेब डेस्क / भारत में आम आदमी बैंकों से लोन लेने के बाद किश्त ना चुकाए तो उसकी खैर नहीं | 5-10 हजार की अदाएगी के लिए उनकी चल-अचल संपत्ति की कुर्की हो जाती है | लेकिन करोड़ों रूपये हजम करने के बावजूद बड़े कारोबारियों पर बैंक की निगाहें तब तक मेहरबान रहती है , जब तक की वो देश छोड़कर महफूज इलाके में ना चला जाए | कुछ ऐसा ही मामला एक बार फिर सामने आया है | दरअसल राम देव इंटरनैशनल के तीन प्रमोटर्स एसबीआई की शिकायत से पहले देश छोड़कर फरार हो चुके हैं। इन तीनों प्रमोटर्स ने छह बैंकों का 411 करोड़ रूपये हजम करने के बाद देश से नौ दो ग्यारह होना ही मुनासिब समझा | यह कंपनी डिफॉल्टर है। लेकिन समय रहते बैंक ने कोई ठोस कदम नहीं उठाये | फ़िलहाल इस कंपनी के खिलाफ सीबीआई ने मामला दर्ज किया है।
विदेशों में ब्रांडेड चावल और अन्य खाद्य प्रदार्थ निर्यात करने को लेकर बैंक फ्रॉड का एक और ताजा मामला सामने आया है। राम देव इंटरनैशनल प्रमोटर्स भारतीय स्टेट बैंक की अगुवाई वाले छह बैंकों के कंसोर्टियम के साथ 411 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के बाद देश से फरार हो चुके हैं। सीबीआई ने इनके खिलाफ मामला दर्ज किया है। सीबीआई अधिकारियों ने न्यूज टुडे को बताया कि एसबीआई द्वारा इनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराए जाने से पहले ही ये देश से भाग चुके हैं।
सीबीआई ने हाल में पश्चिम एशियाई देशों और यूरोपीय देशों को बासमती चावल का निर्यात करने वाली कंपनी और उसके निदेशकों नरेश कुमार, सुरेश कुमार और संगीता के खिलाफ एसबीआई की शिकायत पर मामला दर्ज किया था। एसबीआई ने आरोप लगाया है कि इन लोगों ने उसको 173 करोड़ रुपये का चूना लगाया है।
करनाल में इस कंपनी की तीन चावल मिल और आठ छंटाई और ग्रेडिंग यूनिट स्थापित है | अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि भागीदार प्रमोटर अरब देशों में छिपे हो सकते है | दरअसल कामकाज के दौरान डिफाल्टरों ने अरब देशों में अपनी अच्छी पकड़ बना ली थी | करीब दो सालों से वे भारत में अपना कामकाज सिमटा कर दुबई और मस्कट में नए कारोबार की नीव डालने के लिए हाथ-पैर मार रहे थे | एसबीआई ने शिकायत में कहा है कि कंपनी की करनाल जिले में तीन चावल मिलें, आठ छंटाई और ग्रेडिंग इकाइयां हैं। शिकायत के मुताबिक कंपनी ने व्यापार के लिए सऊदी अरब और दुबई में कार्यालय भी खोले हुए हैं। एसबीआई के अलावा कंपनी को ऋण देने वाले बैंकों में कैनरा बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, आईडीबीआई, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और कॉर्पोरेशन बैंक शामिल हैं।
सीबीआई अधिकारियों ने बताया कि कोरोना वायरस की वजह से लागू लॉकडाउन के चलते अभी तक इस मामले में छापेमारी की कार्रवाई नहीं की गई है। जांच एजेंसी इस मामले में आरोपियों को समन की प्रक्रिया शुरू करेगी। अधिकारियो ने कहा कि यदि आरोपी जांच में शामिल नहीं होते हैं, तो उनके खिलाफ उपयुक्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। एसबीआई की शिकायत के अनुसार इस कंपनी का खाता 27 जनवरी, 2016 को गैर निष्पादित आस्तियां (एनपीए) बन गया था। इसके साथ ही सवाल उठ रहा है कि कई महीने बीत जाने के बावजूद आखिर क्यों एसबीआई के आलाधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे | क्या उन्होंने पूर्व फरार हुए कुख्यात कारोबारी विजय माल्या , नीरव मोदी और मेहुल चौकसी प्रकरण से कोई सीख नहीं ली |