छत्तीसगढ़ में देश के दुश्मनों का ठिकाना , कांकेर में नक्सलियों का शहरी नेटवर्क ध्वस्त ,लेकिन असल सरगना पुलिस पकड़ से दूर , नक्सलियों के मददगार ठेकेदार समेत 5 गुर्गों को  छुड़ाने के लिए राजनैतिक दांवपेंच शुरू , पीड़ितों को बड़ी कार्रवाई का इंतजार

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कांकेर / छत्तीसगढ़ के कांकेर में नक्सलियों का शहरी नेटवर्क चलाने वाले राजनांदगांव के एक ठेकेदार सहित पांच आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। ये आरोपी नक्सलियों को बड़े पैमाने पर हथियार और दूसरी वस्तुएं सप्लाय किया करते थे | ताकि पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों पर होने वाले हमलों को कामयाबी के साथ अंजाम दिया जा सके | बताया जाता है कि शहरी नेटवर्क के जरिये नक्सलियों को भारी मदद मिलती है | इसी के सहारे वे कभी जनप्रतिनिधियों को मौत के घाट उतारते है , तो कभी पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों पर हमला कर उन्हें जानमाल का नुकसान पहुंचाते है | 

जानकारी के मुताबिक बस्तर में कार्यरत कई ठेकेदार और कंपनियां नक्सलियों को ना केवल आर्थिक मदद करती है | बल्कि उन्हें हथियार और असलाह-बारूद की आपूर्ति भी करती है | इसके जरिये नक्सली बारूदी सुरंग विस्फोट कर लोगों को जानमाल का नुकसान पहुंचाते है | दरअसल लॉकडाउन के दौरान कुछ लोग एक वाहन में दैनिक उपयोग सामग्री और बम बनाने का सामान लेकर नक्सलियों तक इसे पहुंचाने जा रहे थे। जांच में लगी पुलिस ने वाहन की तलाशी ली तो यह सारा सामान मिला। कांकेर पुलिस ने इस सिलसिले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया है | उनके कब्जे से दो कार और दस मोबाईल फोन भी बरामद किये गए है | खबर है कि नक्सलियों के इशारे पर इस मामले को रफा-दफा करने के प्रयास किये जा रहे है | इसके लिए कुछ राजनेता पुलिस पर दबाव भी बना रहे है | 

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छत्तीसगढ़ पुलिस ने लम्बे अरसे बाद नक्सलियों के शहरी नेटवर्क के एक दस्ते को खोज निकालने में कामयाबी हासिल की है | नक्सलियों के ये मददगार सिर्फ एक आरोपी नहीं बल्कि देश के वो दुश्मन है , जो आम जनता और पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों को जानमाल का नुकसान पहुंचाने के लिए नक्सलियों के साथ खड़े है | कांकेर पुलिस को नक्सलियों के मददगारों के बारे में सूचना मिली थी। इस सूचना के आधार पर उन्हें पकडने के लिए बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक पी सुंदरराज ने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कांकेर कीर्तन राठौर के नेतृत्व में विशेष अनुसंधान टीम का गठन किया था। यह टीम लगातार नक्सलियों के शहरी मददगारों की गतिविधियों पर नजर रखे हुए थी। 

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पुलिस ने जंगलों में नक्सलियों के मददगारों को धर दबोचा | इनके पास से दो कार, दस नग मोबाईल फोन, 45 जोड़ी जूते, नक्सल वर्दी के लिए 75 मीटर कपड़ा, दो नग वॉकी टॉकी, दो सौ मीटर इलेक्ट्रिक वायर सहित अन्य सामग्री बरामद की गई है | पुलिस का कहना है कि अभी मामले में आरोपियों से और पूछताछ की जा रही है। नक्सलियों के शहरी नेटवर्क को लेकर और भी खुलासे हो सकते हैं। उधर बस्तर में जान गवाने वाले पुलिस कर्मियों के परिजन और स्थानीय नागरिकों ने इस कार्रवाई के लिए पुलिस की पीठ थपथपाई है | साथ ही पीड़ितों ने छत्तीसगढ़ सरकार और आला पुलिस अफसरों से नक्सलियों के असल मददगारों का पर्दाफाश कर उन्हें भी जल्द जेल की सैर कराने की मांग की है |  

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विवेचना के दौरान यह तथ्य सामने आए कि लैंडमार्क इंजीनियरिंग कंपनी बिलासपुर के निशांत जैन और लैंडमार्क रायल इंजीनियरिंग कंपनी राजनांदगांव के वरुण जैन के नाम से कांकेर जिले में पीएमजेएसवाई के तहत अंतागढ़, आमाबेड़ा, सिकसोड़, कोयलीबेड़ा जैसे नक्सल प्रभावित में सड़क निर्मांण का काम दिया गया है जिसे वे एक पार्टनर फर्म रूद्रांश अर्थ मूवर के अजय जैन और कोमल वर्मा के माध्यम से करा रहे हैं।

बताया जाता है कि ठेकेदार समेत कई लोग नक्सल प्रभावित इलाकों में सरकार के खिलाफ बगावत को लेकर सक्रिय हो गए | उनके द्वारा अंदरूनी इलाके में PMGSY के तहत काम कराने की आड़ में नक्सलियों को शहर से आवश्यक सामग्रियों की आपूर्ति और आवाजाही में मदद करने लगे। उधर स्थानीय पुलिस ने नक्सल प्रभावित इलाकों में जारी PMGSY के कार्यों को लेकर विकास भवन रायपुर से जानकारी मांगी है | ताकि विवेचना कर असल गुनहगारों को सामने लाया जा सके |  

जानकारी के मुताबिक विभिन्न मुठभेड़ में घायल हुए या फरार नक्सलियों को पनाह देने के लिए उनका शहरी नेटवर्क काफी सक्रिय रहता है | यही नहीं नक्सल प्रभावित इलाकों में जारी विकास कार्यों की एक मोटी रकम नक्सलियों को बतौर नजराना पेश की जाती है | यह रकम नक्सली बजट का हिस्सा होती है , जिसके जरिये वे हथियारों और अन्य वस्तुओं की खरीदी करते है | ताकि सरकार , पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों को जानमाल का नुकसान पहुंचाया जा सके |  

बताया जा रहा है कि नक्सलियों के शहरी नेटवर्क में शामिल अजय जैन, कोमल वर्मा, रोहित नाग, सुशील शर्मा और सुरेश शरणागत को गिरफ्तार किया है। जबकि उनके असल आका भूमिगत हो गए है | गौरतलब है कि बस्तर में इसके पूर्व एस्सार कंपनी से जुड़े कई ठेकेदार और कर्मी पुलिस के हत्थे चढ़े थे | लम्बे अंतराल बाद PMGSY से जुड़े ठेकेदारों और उनके सहयोगियों को पुलिस ने रंगे हाथों धरा है | 

बताया जा रहा है कि गिरफ्तार आरोपी सिर्फ गुर्गे की तरह इस्तेमाल होते है | जबकि नक्सलियों के असल मददगार बड़े शहरों में अपने ठिकानों पर शरण लिए हुए है | जानकारी के मुताबिक नक्सलियों के बड़े सहयोगी अपने प्रभाव और ऊँची राजनैतिक पहुंच का इस्तेमाल कर इस मामले को रफा-दफा करने के लिए प्रयासरत है | फ़िलहाल देखना होगा कि गुर्गों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस के हाथ नक्सली नेटवर्क के असल सरगनाओं तक पहुंचने में कितना वक्त लेते है |