ठीक होने के बाद दोबारा कोरोना होगा या नहीं? कोई गारंटी नहीं , अमेरिकी लताड़ के बाद हरकत में आया WHO , रिसर्च पर दिया जोर , राष्ट्रपति ट्रंप ने WHO को दी जाने वाली आर्थिक सहायता पर लगाई रोक के बाद विश्व समुदाय को किया आगाह

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दिल्ली वेब डेस्क / चीन की चाल को समझने में नाकाम और कोरोना संक्रमण को लेकर लचीला रुख अपनाने के आरोपों से दो चार हो रहा विश्व स्वास्थ्य संगठन अचानक सक्रीय हो गया है | WHO ने कहा है कि इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि जो मरीज कोरोना से ठीक हो चुके हैं, उन्हें दोबारा कोरोना संक्रमण नहीं होगा | एक रिपोर्ट के मुताबिक, WHO ने उन देशों को चेतावनी दी है जो एंटीबॉडीज टेस्ट पर काफी पैसे खर्च करने की प्लानिंग कर रहे हैं | इसमें भारत भी शामिल है | WHO ने कहा है कि कोरोना संक्रमित मरीजों की इम्यूनिटी की कोई गारंटी नहीं है |

(प्रतीकात्मक फोटो)

इससे पहले कई मेडिकल एक्सपर्ट की ओर से ये कहा जाता रहा है कि एक बार संक्रमित होने के बाद ज्यादातर लोगों में इम्यूनिटी डेवलप हो जाएगी. हालांकि, चीन में 500 से ज्यादा और दक्षिण कोरिया में 100 से अधिक मरीजों के दोबारा संक्रमित होने की खबर आ चुकी है | कोरिया ने इस मामले की जांच के आदेश दिए थे |

हालांकि, कुछ मेडिकल जानकारों ने कहा था कि हो सकता है कि पहली बार गलती से ऐसे मरीजों के टेस्ट निगेटिव आ गए होंगे | लेकिन चीन में कोरोना पॉजिटिव ठीक हुए , घर लौटे और फिर हॉस्पिटल में भर्ती हो गए | उन्हें संक्रमण ने दोबारा अपनी चपेट में ले लिया | अब तक काफी लोग ये समझ रहे थे कि कोरोना से पीड़ित होने के बाद दोबारा बीमार पड़ने का खतरा कम है. लेकिन WHO ने कहा है कि इस विचार को लेकर ठोस सबूत नहीं हैं | भारत में कोरोना से ठीक हुए मरीजों को अस्पताल से छुट्टी देने के बाद पूरी तरह से होम क्वारंटाइन किया गया है | उन पर सरकार और डॉक्टर दोनों निगाह बनाये हुए है | (प्रतीकात्मक फोटो)

(प्रतीकात्मक फोटो)

ब्रिटिश सरकार ने चीन से 3 करोड़ 50 लाख और स्पेन व इटली ने करीब डेढ़ करोड़ एंटीबॉडीज टेस्ट किट खरीदने की योजना बनाई थी | इसके जरिए ये पता लगाना था कि कोई व्यक्ति पहले कोरोना से संक्रमित हो चुका है या नहीं. लेकिन जब मालूम चला कि चीनी कंपनी की ओर से बनाए गए किट बिल्कुल सही परिणाम नहीं देते तो सरकार अब अपना पैसा वापस लेने की कोशिश कर रही है | कुछ इसी तरह के किट चीन से एशिया के बाजारों में भी खपाये गए थे | लेकिन रिजल्ट फेल होने के चलते नए किट पर जोर दिया जा रहा है |

हालांकि भारतीय बाजारों में स्वदेशी किट ज्यादा कारगर साबित हो रहे है | अब भी कई देशों की सरकार बड़े पैमाने पर एंटीबॉडी टेस्टिंग की योजना बना रही है ताकि ये पता चले कि कौन लोग कोरोना से संक्रमित होकर अब ठीक हो चुके हैं. ऐसे लोगों को दोबारा काम पर भेजने की बात भी कही जा रही है. लेकिन WHO के इमरजेंसीज प्रोग्राम के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर माइक रयान ने कहा कि इसको लेकर सीमित सबूत हैं कि कोरोना से लड़ चुके लोग भविष्य में बीमारी से इम्यून हो जाएंगे. उन्होंने कहा- किसी भी व्यक्ति को ये पता नहीं है कि जिन लोगों के शरीर में एंटीबॉडीज हैं वे पूरी तरह बीमारी से सुरक्षित हैं. साथ ही कई टेस्ट में सेन्सिटिविटी इश्यू भी देखा गया है. उनमें गलत परिणाम मिल सकता है.

डॉ. रयान ने कहा कि एंटीबॉडी टेस्ट पर नैतिकता के सवाल भी हैं. हमें सावधानी से इस पर काम करना होगा. हमें यह भी देखना होगा कि एंटीबॉडी कितने वक्त तक हमें सुरक्षा दे सकता है. WHO के ही अधिकारी डॉ. मारिया वैन केरखोव ने कहा कि कई देश Serological Test के इस्तेमाल की बात कर रहे हैं. लेकिन इस बात के सबूत नहीं हैं कि ये टेस्ट बता पाएं कि कोई व्यक्ति कोरोना से इम्यून हो चुका है या नहीं | फ़िलहाल WHO की इस पड़ताल के बाद कई देशों ने इस मामले को लेकर नए सिरे से रिसर्च शुरू की है | इसमें अमेरिका और जर्मनी के कई रिसर्च सेंटर पड़ताल में जुटे है |

उधर अमेरिका ने WHO को सालाना दी जाने वाली लगभग 28 हजार करोड़ की आर्थिक मदद पर रोक लगा दी है | अमेरिका में कोरोना संक्रमण से होने वाली मौतों को लेकर राष्ट्रपति ट्रंप WHO पर भड़के हुए है | उन्होंने खुले तौर पर WHO को लताड़े लगाते हुए कहा है कि उसने चीन का बचाव करते हुए इस वायरस से पूरी दुनिया को मुसीबत में डाल दिया |