आँख खोलने वाली रिपोर्ट : भारत में 21 दिन के लॉकडाउन से कोरोना वायरस पर नियंत्रण पाना मुमकिन नहीं , कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने मॉडल जारी कर भारत में कोरोना संक्रमण की भयावह स्थिति पेश की , जरूर पढ़े इस शोध के तथ्यों को 

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दिल्ली वेब डेस्क / भारत में कोरोना स्टेज-3 की ओर बढ़ने लगा है | कोरोना वायरस महामारी का संकट हिंदुस्तान में बढ़ता जा रहा है  सोमवार सुबह तक देश में कोरोना वायरस पीड़ितों की संख्या 1200 के पार कर गई है, जबकि 30 से अधिक लोग अब तक अपनी जान गंवा चुके हैं | देश के तमाम राज्यों में संक्रमित मरीजों का आंकड़ा जिस तेजी से बढ़ रहा है | उसी तेजी से लॉक डाउन और सोशल डिस्टेंसिग के मामले भी सामने आ रहे है | अब खतरे की घंटी बजने लगी है | अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि आने वाले दिन काफी कठिनाई भरे हो सकते है | पूरी दुनिया न दिखाई देने वाले एक दुश्मन से जंग लड़ रही है |

पॉलिसीमेकर्स और रिसर्चर्स दिन रात कोरोना वायरस के फैलाव और असर का अनुमान लगाने के लिए समाधानों की तलाश कर रहे है | अभी तक नोवेल कोरोना वायरस उनके प्रयासों से कहीं तेज़ साबित हुआ है जिसकी वजह से उस पर नियंत्रण रख पाना मुश्किल हो रहा है |  कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से जुड़े भारतीय मूल के दो स्कॉलर्स ने एक नया मैथमेटिकल मॉडल तैयार किया है |  इस मॉडल का अनुमान है कि भारत में 21 दिन के मौजूदा लॉकडाउन से वायरस पर नियंत्रण पाना मुमकिन नहीं लगता | ये और बात है कि सोमवार को भारत सरकार ने साफ कर दिया कि 21 दिन तक चलने वाले लॉक डाउन की मियाद आगे बढ़ाने को लेकर अभी कोई विचार नहीं किया गया है | 

(Source: Rajesh Singh, R. Adhikari, Cambridge University)

इधर कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर मैथमेटिकल साइंस से जुड़े राजेश सिंह और आर अधिकारी ने एक मॉडल तैयार कर देश  को सोच में डाल दिया है | इसमें भारत के सामाजिक संपर्क को आधार बनाया गया है | इसका हवाला देते हुए शोधकर्ताओं की दलील है कि भारत के सामाजिक ढांचे की वजह से वायरस यहां चीन और इटली की तुलना में अलग बर्ताव कर सकता है |  इनके मॉडल में केस की संख्या, आयुवर्ग के हिसाब से बंटवारा, सामाजिक संपर्क ढांचे के हिसाब से भारत, चीन और इटली की तुलना की गई है | इसमें Prem et.al. नाम के एक दूसरे चर्चित संकलन का भी इस्तेमाल किया गया है जो कॉन्टेक्ट सर्वे और जनसांख्यिकीय आंकड़ों (डेमोग्रेफिक डेटा) के जरिए 152 देशों के सामाजिक संपर्क सांचे को प्रोजेक्ट करता है.

जानकारों ने मॉडल में संक्रमण के तीन पीढ़ियों में फैलने की वजह के लिए ठेठ भारतीय घरों के स्वरूप की पहचान की है |   भारत की तुलना में चीन में इस तरह के संपर्क की संख्या कम है, वहीं इटली में ये नगण्य है | जर्मनी में Covid19 के खिलाफ रणनीति बनाने में सामाजिक संपर्क ढांचे का इस्तेमाल मुख्य आधार रहा है | यूरोप में कोरोना वायरस संकट में जर्मनी की मृत्यु दर सबसे कम रही है | साधारण भाषा में कहें तो जर्मनी ने ये सुनिश्चित किया कि वहां दादा-दादी या नाना-नानी, जिनमें संक्रमण की संभावना सबसे अधिक है, वो युवा पीढ़ी से दूर रहें | क्योंकि युवा पीढ़ी के जरिए दूसरों में संक्रमण तेजी से फैल सकता है | 

(Source: Rajesh Singh, R. Adhikari, Cambridge University)

शोधकर्ताओं का मानना है कि इस स्टेज पर 21 दिन का लॉकडाउन ही सिर्फ वायरस के फैलाव को काबू में रखने के लिए पर्याप्त नहीं है | लॉकडाउन को हटाते ही तेजी से दोबारा फैलाव देखा जा सकता है | मॉडल ने लॉकडाउन के बावजूद 73 दिन के अंतराल में संभावित 2,727 मौतों की गणना की है | मॉडल ने घरों में तीन पीढ़ियों में संभावित संक्रमण के फैलाव का अनुमान व्यक्त किया है | भारत में 15-19 आयुवर्ग सबसे बड़ा संवाहक या कैरियर हो सकता है | भारत में 60-64 आयुवर्ग को सबसे ज्यादा मृत्यु-दर का सामना करना पड़ सकता है | मैथमेटिकल मॉडल ने लॉकडाउन की दो किस्मों की अवधि और अंतराल की गणना की है जो असल में संक्रमण के स्तर को 50 से कम लोगों तक ला सकता है | मॉडल ने दो परिदृश्यों का पूर्वानुमान व्यक्त किया है | 

गणित के मुताबिक तीन लगातार लॉकडाउन, (पहला 21 दिन का, दूसरा 28 दिन का और तीसरा 18 दिन का) कारगर हो सकते हैं | हर लॉकडाउन के बीच पांच दिन के अंतराल का सुझाव दिया गया है | ऐसा करने से संक्रमण की संख्या जून के मध्य तक 50 के नीचे आ सकती है | मॉडल एक और गणित विकल्प 49 दिन के लगातार लॉकडाउन का सुझाव देता है | 49 दिन का लगातार लॉकडाउन मध्य मई तक संक्रमण को 50 के नीचे लाना सुनिश्चित कर सकता है | 

भारत सरकार ने अब तक लॉकडाउन को आगे बढ़ाए जाने की रिपोर्ट्स को खारिज किया है | हालांकि इस प्रक्रिया के जानकार कुछ अधिकारियों ने संभावना जताई है कि ऐसे क्षेत्र जहां Covid19 मरीजों की खासी संख्या होगी उन्हें लॉकडाउन के बाद हॉट जोन्स की तरह चिह्नित किया जा सकता है | ऐसे क्षेत्रों के लिए अलग तरह के उपाय काम में लाए जा सकते हैं | इस तरह के वैज्ञानिक मॉडल हॉट जोन जैसी स्थिति को काबू रखने में कारगर सकते हैं | हालांकि ऐसे मामलों में लॉकडाउन की अवधि कितनी रहनी चाहिए इसे लेकर कोई स्पष्ट राय नहीं है | जानकार बता रहे है कि ये स्थानीय डेटा के हिसाब से अलग अलग हो सकती है | बहरहाल देश के लिए यह मॉडल पथ प्रदर्शक साबित हो सकता है |