नवजात का सौदा कर मोटी रकम में बेचने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश |

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पुलिस ने दूध मुँह बच्चे का सौदा कर मोटी रकम में बेचने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश किया है | पुलिस ने गिरोह के एक युवक एवं दो महिलाओ को गिरफ्तार किया है | यह गिरोह  लंबे समय से ऐसे कारोबार में लिप्त थी । फ़िलहाल पुलिस दोनों आरोपी महिलाओ और युवक को  जेल भेज दिया है | आरोपियों से पूछताछ कर रही है | 

जानकारी के मुताबिक  बलौदाबाजार की रहने वाली एक महिला दो महीने पहले अंबेडकर अस्तपताल में गर्भपात कराने आई थी । इसी दौरान उसकी मुलाकात एक अन्य आरोपी  महिला से हुई । उसने गर्भपात कराने आई महिला को गर्भपात न कराने की सलाह देते हुए अपने साथ ले गई । आरोपी ने रायपुर के पुरानी बस्ती में गर्भवती महिला को रखकर उसकी देखभाल की । जिसके बाद 9 मार्च को अम्बेडकर अस्पताल में बच्चे के जन्म के बाद, नवजात की मां और आरोपी महिला ने रूपा नाम की दूसरी महिला के साथ मिलकर बच्चे को महासमुंद के दो युवकों भूपेश माखिजा और संजय को 50 हजार में बेच दिया । मामले का खुलासा तब हुआ जब महिला बाल विकास विभाग को जब इस गोरखधंधे की भनक लगी और उन्होंने इसकी शिकायत मौदहापारा थाने में की । 

बताया जा रहा है कि ईवीएफ सेंटरों के दलालों के तार ईरान, इराक, सऊदी अरब, कनाडा और अन्य देशों तक फैले हुए हुए हैं । वहां के दंपती छत्तीसगढ़ी सरोगेट मदर्स से संतान का सुख ले रहे हैं । पिछड़े इलाकों में सक्रिय दलाल गरीब महिलाओं की मजबूरी का फायदा उठाते हैं । वे उन्हें 50  से 1 लाख रुपए देते हैं और खुद 12 से 18 लाख रुपए तक कमाते हैं । विदेशी दंपती 10-11 माह का टूरिस्ट वीजा लेकर प्रदेश के सेंटरो में पहुंचते हैं । रिकॉर्ड में विदेशी महिला को प्रेगनेंट होना दिखाया जाता है । मोटी रकम लेकर किराए की कोख दी जाती है और 9 माह बाद बच्चा देकर उन्हें रवाना कर दिया जाता है ।