भोपाल वेब डेस्क / मध्यप्रदेश में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद पार्टी विरोधियों को ठिकाने लगाने का काम जोरों पर है | मुख्यमंत्री बनते ही शिवराज सिंह चौहान ने राज्य के चीफ सेक्रेटरी की छुट्टी कर अपने मन पसंद अफसर इकबाल सिंह बैस को चीफ सेक्रेटरी की कुर्सी पर बैठाया | दूसरे दिन उन्होंने राजगढ़ कलेक्टर और एसडीएम को निलंबित कर दिया | कलेक्टर निधि निवेदिता और एसडीएम प्रिया वर्मा इसी साल जनवरी महीने में सीएए समर्थित प्रदर्शनकारियों से झड़प को लेकर विवादों में आई थीं। उस दौरान बीजेपी ने दोनों महिला अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए प्रदर्शन भी किया था। कामकाज संभालते ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान नए समीकरण बुनने में जुट गए है | अब उनका ध्यान पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की राज्यसभा की कुर्सी पर टिक गया है |
कोरोना वायरस संक्रमण के चलते मध्य प्रदेश की तीन राज्यसभा सीटों पर होने वाला चुनाव फिलहाल स्थागित हो गया है | लेकिन इसने कांग्रेस उम्मीदवारों की धड़कने बढ़ा दी है | जानकारी के मुताबिक दिग्विजय सिंह और फूल सिंह बरैया की मुश्किलें बढ़ गई हैं | इसमें सबसे बड़ी चिंता अब दिग्विजय सिंह की है, जिन्हें राज्यसभा में जाने से रोकने के लिए उनकी विरोधी लॉबी सक्रिय हो गई है | वहीं, ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के चलते कमलनाथ की सत्ता जा चुकी है और अब दिग्विजय सिंह की राज्यसभा सीट पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं |
दिग्विजय सिंह के विरोधी गुट ने कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को इस बात का संदेश दिया है कि फूल सिंह बरैया को पार्टी अगर प्रथम वरियता देती है तो इससे अनुसूचित जाति और आदिवासी समुदाय को साधने का सियासी फायदा मिल सकता है | हालांकि, फूल सिंह बरैया का कहना है कि हम से ज्यादा दिग्विजय सिंह का राज्यसभा जाना जरूरी है | उधर अब कमलनाथ भी दिग्विजय सिंह से दूरियां बनाना ही मुनसिब समझ रहे है | मुख्यमंत्री की कुर्सी से उतरने के बाद कमलनाथ ने दिग्विजय सिंह से कई स्थानों और बैठकों में मंच साझा नहीं किया | दोनों के बीच बढ़ती दूरियां बता रही है कि अब कमलनाथ अपनी राह खुद तय कर रहे है | यह भी खबर आ रही है कि मध्यप्रदेश में नेता प्रतिपक्ष के लिए कमलनाथ के अलावा अन्य नामों पर भी विचार हो रहा है | अन्य नामों में दिग्विजय सिंह समर्थक नेताओं का नाम सुर्ख़ियों में है |