मध्यप्रदेश विधानसभा अब निर्णायक मोड़ पर , फ्लोर टेस्ट ना होने से नाराज राज्यपाल कड़ी कार्रवाई के मूड में , राष्ट्रपति शासन की ओर मध्यप्रदेश , विधि विशेषज्ञों से मांगी गई राय , बीजेपी विधायकों को वैधानिक कार्रवाई का भरोसा 

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भोपाल / मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार का विधानसभा 26 मार्च तक स्थगित करने का फैसला उस पर भारी पड़ सकता है | बीजेपी ने राजभवन में 107 में से 106 विधायकों की परेड कराकर साफ़ कर दिया है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ अल्पमत में है | राज्यपाल लालजी टंडन भी फ्लोर टेस्ट ना होने से नाराज बताये जा रहे है | सम्भवतः राजभवन अब कड़े फैसले को लेकर विधि विशेषज्ञों से राय ले रहा है | उधर बीजेपी ने कमलनाथ सरकार की बर्खास्तगी को लेकर दबाव बढ़ा दिया है | पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कमलनाथ को रणछोर दास करार दिया है | 

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि वो सुप्रीम कोर्ट भी गए है | लेकिन राजभवन से विधायकों के वैधानिक अधिकारों की रक्षा  की मांग की गई है | बीजेपी ने कहा कि कमलनाथ को अब कोई भी फैसला लेने का अधिकार नहीं है  क्योकि उनके पास बहुमत ही नहीं है | इस सरकार को एक क्षण भी सरकार चलाने का अधिकार नहीं है | कांग्रेस के मात्र 92 विधायक बचे है | जबकि बीजेपी के 106 विधायक सशरीर राजभवन पहुंचकर परेड की है | उन्होंने कहा कि यह सरकार सिर्फ टाइम काटू सरकार है | 

मध्यप्रदेश में गहराते राजनैतिक संकट के बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा है कि जब उनके 22 विधायक बंधक है , तो फिर कैसे फ्लोर टेस्ट हो सकता है | उन्होंने उन विधायकों की रिहाई की मांग की है | कमलनाथ ने कहा है कि कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए सत्र को 26 मार्च तक टाला गया है | उधर राजभवन ने विधि विशेषज्ञों से राय मांगी है | इसमें राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने से पूर्व कमलनाथ सरकार की बर्खास्तगी को लेकर पेश किये गए तथ्यों पर कानूनन और संवैधानिक राय मांगी गई है |