नई दिल्ली / भारत में मोबाइल अब ग्राहकों को झटका भी देगा | अभी तक ग्राहक सस्ती दरों पर कॉल टाइम और डाटा का उपयोग कर रहे थे | हमारा देश उन देशों में शुमार है जहां पर मोबाइल डाटा काफी सस्ता है | लेकिन अब जल्द ही मोबाइल कंपनियां फायदे की ओर छलांग लगाने वाली है | साफ़ है , ग्राहकों के जेब कटेंगे | अगर टेलीकॉम कंपनियों की सिफारिशों को मंजूरी मिल जाती है तो वो दिन दूर नहीं जब मोबाइल डाटा की कीमतों में 10 गुना उछाल देखने को मिल सकता है. अभी भारत में मोबाइल डाटा की औसत कीमत लगभग 19 रुपये प्रति जीबी है | वहीं विश्व में मोबाइल डाटा की औसत कीमत लगभग 650 रुपये प्रति जीबी है |
दरअसल मोबाइल सर्विस
प्रोवाइर कंपनियां मोबाइल डाटा के लिए फ्लोर रेट तय करने की मांग लंबे समय से कर रही हैं | घाटे का हवाला देकर उसने फ्लोर रेट में बढ़ोत्तरी के लिए सरकार को राजी कर लिया है | फ्लोर रेट मोबाइल डाटा के लिए न्यूनतम मूल्य होगा. ऐसा होने पर सभी कंपनियों को
न्यूनतम मूल्य पर ही अपने मोबाइल डाटा के पैक की कीमतें तय करनी होंगी. गौरतलब है कि वोडाफोन-आइडिया जैसी कंपनियां कर्ज में डूबी हुई हैं | जबकि रिलायंस जिओ की भी कोई अच्छी स्थिति नहीं है | लिहाजा तमाम कंपनियां चाहती है कि फ्लोर रेट तय किए जाएं | जानकारी के मुताबिक वोडाफोन ने 35 रुपये प्रति जीबी डाटा देने की मांग की है. वहीं एयरटेल ने 30 रुपये प्रति जीबी और रिलायंस जिओ ने 20 प्रति जीबी फ्लोर
रेट रखने की मांग की है |
मोबाइल डाटा की
कीमतों में उछाल की संभावनाएं इसीलिए भी है , क्योंकि नीति आयोग के मुखिया
अमिताभ कांत ने भी मोबाइल डाटा के लिए फ्लोर रेट तय करने की मांग की है | अमिताभ
कांत ने कहा है कि भारत का टेलीकॉम सेक्टर कर्ज में डूबा है | उसे इससे उबारने की जरूरत है | लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया सिर्फ ऐसा
करने से दिक्कतें दूर नहीं होंगी | क्योकि फ्लोर रेट न होने के कारण
टेलीकॉम कंपनियां मोबाइल डाटा की कीमतें खुद तय करती हैं | ऐसे में उनको मार्केट की
दौड़ में बने रहने के लिए सस्ता मोबाइल डाटा देना पड़ता है |
माना जा रहा है कि टेलीकॉम कंपनियों की सिफारिशें मान ली जाती हैं तो ग्राहकों को औसतन 25 रुपये प्रति जीबी तक डाटा की कीमतें चुकानी पड़ सकती हैं | ऐसे में एक महीने के लिए अगर आप 1.5 जीबी रोजाना के हिसाब से 45 जीबी डाटा यूज करते हैं तो इसके लिए आपको एक हजार रुपये से ज्यादा चुकाने पड़ सकते हैं |