भ्रष्ट्राचार में लिप्त सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों के पासपोर्ट होंगे रद्द , नहीं मिलेगा पासपोर्ट , अब नहीं भाग पायेंगे विदेश , छत्तीसगढ़- मध्यप्रदेश में भ्रष्ट्राचारियों की भरमार  

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दिल्ली वेब डेस्क /  केंद्र सरकार ने फैसला लिया है कि अगर किसी सरकारी कर्मचारी को भ्र्ष्टाचार के आरोप में निलंबित कर दिया गया है या फिर उसके खिलाफ मुकदमें को मंजूरी दे दी गयी है,वह पासपोर्ट नहीं हासिल कर पायेगा | भ्रष्ट्र अफसरों को पूर्व में जारी पासपोर्ट भी रद्द होंगे | कार्मिक मंत्रालय ने केंद्रीय सर्तकता आयोग और विदेश मंत्रालय के साथ मिलकर इस संबंध में लागू मौजूदा दिशा-निर्देशों की समीक्षा करने के बाद इस आशय का आदेश जारी किया है |

केंद्र के इस फैसले के बाद छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश में सरकारी नौकरी में रहकर आय से अधिक संपत्ति ही नहीं बल्कि आकूत दौलत कमाने वाले अफसरों के अरमानों पर पानी फिर गया है | ज्यादातर अफसर कोर्ट कचहरी का काम निपटाकर विदेशों में बसने की योजना पर अमल कर रहे थे | लेकिन केंद्र के इस फैसले से उन्हें तगड़ा झटका लगा है | भ्रष्ट्र अफसरों के खिलाफ EOW , ACB और स्थानीय पुलिस अब उनका पासपोर्ट रद्द करने के लिए सीधे पासपोर्ट दफ्तर को सिफारिश कर सकती है |

मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ दोनों ही राज्यों में दर्जनों ऐसे अफसर है , जिनके खिलाफ EOW ,ACB , पुलिस के अलावा सीबीआई और आयकर-ईडी भी जांच में जुटी है | कई अफसरों के खिलाफ अदालत में चालान पेश कर दिया  गया है | जबकि कई अफसरों की अभियोजन स्वीकृति केंद्रीय गृह मंत्रालय में लंबित है | ऐसे तमाम अफसरों का अब पासपोर्ट भी जब्त होगा | बताया जाता है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय में चंद अफसरों के ही मामले लंबित है | ऐसे तमाम अफसरों का अब पासपोर्ट भी जब्त होगा | बताया जाता है कि छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश में पदस्थ कई अफसरों ने अपने कार्यकाल में करोड़ों रूपये विदेश भेजने में रूचि दिखाई थी | सालाना कई बार वे देश विदेश आवाजाही भी करते है | हालांकि विदेशों में रकम ठिकाने लगाने के बाद ऐसे अफसर क़ानूनी चक्कर में भारत में अपनी चप्पलें रगड़ रहे थे | उन अफसरों पर भी गाज गिरना तय मानी जा रही है |  

सरकारी आदेश के मुताबिक, अगर किसी सरकारी अधिकारी-कर्मचारी को भ्रष्टाचार के आरोप में निलंबित कर दिया गया है या फिर उसके खिलाफ मुकदमे को मंजूरी दे दी गई है, तो वह पासपोर्ट नहीं हासिल कर पाएगा। कार्मिक मंत्रालय ने विदेश मंत्रालय और केंद्रीय सतर्कता आयोग के साथ मिलकर मौजूदा दिशानिर्देशों की समीक्षा के बाद यह फैसला किया है।

कार्मिक मंत्रालय द्वारा केंद्र सरकार के सभी विभागों के सचिवों को जारी आदेश के मुताबिक, ऐसे कर्मचारियों को पासपोर्ट मंजूरी के लिए सतर्कता अनापत्ति जरूरी है। अगर कोई अधिकारी निलंबित है या उसके खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दायर हो चुकी है तो सतर्कता आयोग अनापत्ति को रोक सकता है। आदेश के मुताबिक, सरकारी बाबुओं की पासपोर्ट प्राप्त करने के लिए सतर्कता अनापत्ति तब भी रोकी जा सकती है, अगर सक्षम प्राधिकार ने भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम या किसी अन्य आपराधिक मामले में मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी हो या अदालत ने मामले का संज्ञान ले लिया हो।



इसके अलावा सभी विभागों को यह जांचने को कहा गया है कि क्या उनके यहां काम करने वाले बाबुओं को भारतीय पासपोर्ट हासिल करने के मामले में पासपोर्ट अधिनियम, 1967 की धारा 6 (2) का प्रावधान इससे जुड़ा है या नहीं। यह धारा संबंधित प्रशासन को आवेदक को पासपोर्ट देने से इनकार करने का अधिकार देती है अगर भारत से बाहर उसकी मौजूदगी किसी देश के साथ भारत के मैत्रीपूर्ण संबंधों को प्रभावित कर सकती है या केंद्र सरकार को यह लगता है कि आवेदक को यात्रा दस्तावेज जारी करना जनहित में नहीं है।