रायपुर / छत्तीसगढ़ कैडर के 1988 बैच के कुख्यात आईपीएस अधिकारी मुकेश गुप्ता ने क्या राज्य की कांग्रेस सरकार की मशीनरी को ठप्प कर दिया है | क्या अदालत के निर्देशो के बावजूद भी छत्तीसगढ़ पुलिस मुकेश गुप्ता के खिलाफ नई FIR दर्ज नहीं करेगी | यह सवाल पूछ रहे है , वो पीड़ित जिन्हे मुकेश गुप्ता ने अपना शिकार बनाया है | पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के कार्यकाल में दमन , आतंक और गैर क़ानूनी गतिविधियों के संचालक एडीजी मुकेश गुप्ता के गुनाहों की लंबी फेहरिस्त , पीड़ितों के दामन पर आज भी दंश की तरह चुभ रही है | उन्हें उम्मीद है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जल्द ही इस ओर भी गौर फरमाएंगे |
दरअसल बिलासपुर जिला अदालत ने आरोपी मुकेश गुप्ता के खिलाफ नई FIR दर्ज करने के निर्देश दिए है | यह मामला EOW में भ्रष्ट्राचार से घिरे सिंचाई विभाग के तत्कालीन ईई आलोक अग्रवाल की दर्ज FIR को फाड़ कर रफा-दफा करने से जुड़ा है | बिलासपुर सीजेएम अदालत ने मुकेश गुप्ता समेत तत्कालीन 9 अधिकारियों के खिलाफ दर्ज FIR को नष्ट करने के आरोप में आईपीसी की धारा 420,120 B , 467 , 471 , 472 , 213 , 217 , 166 A , 166 B , 167 , 34 के तहत अपराध दर्ज करने के निर्देश दिए थे | लेकिन पुलिस महकमे में जबरदस्त दबाव के चलते आरोपी मुकेश गुप्ता के खिलाफ लगभग तीन माह पूरे होने के बावजूद FIR दर्ज नहीं हो पाई है | बताया जाता है कि इस कुख्यात आरोपी के खिलाफ अदालत के निर्देश का हवाला देते हुए बिलासपुर रेंज के आईजी ने पुलिस मुख्यालय को FIR दर्ज करने के लिए पत्र भी भेजा था | लेकिन यह पत्र रद्दी की टोकरी में डाल दिया गया है | जानकारी के मुताबिक आरटीआई कार्यकर्ता पवन अग्रवाल ने दर्ज FIR को नष्ट करने के अपराध में मुकेश गुप्ता के खिलाफ बिलासपुर सीजेएम की अदालत में परिवाद पेश किया था | अदालत ने तत्कालीन एडीजी EOW-ACB मुकेश गुप्ता समेत दो एसपी , तीन डीएसपी समेत कुल 9 आरोपियों के खिलाफ FIR के निर्देश दिए थे |
सिर्फ यही नहीं डॉ. मिक्की मेहता हत्याकांड , MGM ट्रस्ट की अवैधानिक गतिविधियां , EOW की आड़ में अवैध उगाही , वर्दी का दुरूपयोग कर बेगुनाहों के खिलाफ फर्जी FIR दर्ज करने , बेनामी संपत्ति और राजनांदगांव के मदनवाड़ा में नक्सली साजिश के तहत तत्कालीन एसपी विनोद चौबे समेत 29 पुलिस कर्मियों की मौत से जुड़े सभी मामलों में जांच लगभग ठप्प पड़ी है | जबकि इन तमाम गुनाहों में ना तो कोई अदालती अड़चन है और ना ही कोई विवाद | ऐसे में तमाम मामलों को लेकर पुलिस और स्थानीय जांच एजेंसियों की सुस्ती ने आरोपी मुकेश गुप्ता के हौसले बढ़ा दिए है | बताया जाता है कि वर्दीधारी इस कुख्यात आरोपी ने पीड़ितों को कुचलने के लिए कोई कसर बाकि नहीं छोड़ी थी |
जानकारी के मुताबिक अपने खिलाफ लंबित तमाम शिकायतों के सबूतों को नष्ट करने और जांच को प्रभावित कर आधे अधूरे साक्ष्यों को आधार बनाकर मामले की खानापूर्ति करने को लेकर इस आरोपी ने पुलिस पर जबरदस्त दबाव बनाया हुआ है | यह कुख्यात आरोपी इन दिनों रायपुर-बिलासपुर आवाजाही के लिए नागपुर एयरपोर्ट का इस्तेमाल करता है | दुर्ग-भिलाई के फार्महाउस इसका ठिकाना है , तो बिलासपुर में कोल माफियाओं के ठिकाने इसकी शरण स्थली | सूत्र बता रहे है कि कुछ पुलिस अफसरों और सफेदपोश अपराधियों से मुकेश गुप्ता की नियमित मेल मुलाकात इन्ही ठिकानों पर होती है |
जानकारी के मुताबिक EOW में पदस्थ आला अधिकारीयों से लेकर मामलों से जुड़े जांच अधिकारियों के खिलाफ रायपुर से लेकर दिल्ली तक साजिशे रची जा रही है , ताकि आरोपी मुकेश गुप्ता को उसके खिलाफ दर्ज FIR की विवेचना में क़ानूनी दांवपेचों का फायदा मिल सके | यह भी बताया जा रहा है कि MGM ट्रस्ट और डॉ मिक्की मेहता हत्याकांड की जांच प्रभावित करने के लिए आरोपी मुकेश गुप्ता ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है | MGM ट्रस्ट से जुडी तमाम जांच ठप्प है | इसमें MGM में अवैध निर्माण को लेकर PWD , नगर निगम और टाउन एण्ड कंट्री प्लानिंग की मूल्यांकन रिपोर्ट साल भर बाद भी तैयार नहीं हो पाई है | “काडा” दफ्तर से MGM ट्रस्ट के भवन निर्माण संबंधी तमाम दस्तावेज गायब होने के बावजूद FIR अब तक दर्ज नहीं कराई गई है | अस्पताल के उपकरणों के मूल्यांकन संबंधी स्वास्थ्य विभाग की जांच लंबित है | यही नहीं स्वास्थ्य विभाग ने इस अस्पताल की मान्यता रद्द कर दी है | बावजूद इसके आयकर विभाग द्वारा 80- C के प्रावधानों के तहत दी जाने वाली छूट को रद्द करने के लिए राज्य शासन ने कोई कदम नहीं उठाया है |
MGM ट्रस्ट के खिलाफ रजिस्ट्रार फर्म एण्ड सोसायटी से जुडी तमाम जांच रद्दी की टोकरी में डाल दी गई है | MGM अस्पताल में कार्यरत कर्मचारियों को श्रम कानून के तहत दी जाने वाली सुविधाएं और वेतन को लेकर भी नियमानुसार कार्रवाई नहीं की गई है | निलंबित अवधि में पुलिस मुख्यालय से नदारत रहने के मामले की ना तो नई जांच शुरू की गई और ना ही पूर्व निर्धारित तमाम जांच भी ठंडे बस्ते में डाल दी गई है | यही नहीं आरोपी की खासम-खास राजदार और बेनामी संपत्ति की हकदार हवलदार रेखा नायर की जांच रिपोर्ट भी लंबे अरसे से सरकारी आलमारी में कैद है | बताया जाता है कि पूर्व डीजी गिरधारी नायक जांच कमेटी की रिपोर्ट के बावजूद डॉ. मिक्की मेहता हत्याकांड की जांच फाइलों में कैद है | किसी ना किसी कारण से जांच लंबित रखना ही मुनासिब समझा जा रहा है |
फ़िलहाल पीड़ितों को उम्मीद है कि मौजूदा राजनैतिक-प्रशासनिक हालातों के मद्देनजर उनकी फरियाद भी सुनी जाएगी | मुकेश गुप्ता की आपराधिक कार्यप्रणाली का शिकार लोगों ने न्यूज टुडे छत्तीसगढ़ से चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से उन्हें न्याय दिलाने की मांग की है |