सरकारी रिकार्ड में रोजाना पांच किलों पपीता खाने वाले भालू की भूख से मौत , पोस्टमार्टम रिपोर्ट से खुलासा , भालुओं का खाना तक हजम कर जाते है वन अधिकारी , कानन पेंडारी जू में भालू की रहस्यमय मौत पर से हटा पर्दा  

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बिलासपुर /  छत्तीसगढ़ में जंगल राज का एक और नया खुलासा हुआ है | आप जानकर हैरत में पड़ जायेंगे कि वन विभाग के अफसर जंगली जानवरों का खाना तक हजम कर जाते है , ऐसे में जंगलों और वहां बसी आबादी के विकास और अन्य सरकारी योजनाओं का किस तरह से हाल बेहाल करते होंगे , यह सोचनीय है | दरअसल पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के कार्यकाल में वन विभाग का जंगलराज चर्चा का विषय बना हुआ था | लेकिन अब समझ में आ रहा है कि इसकी जड़े इतनी मजबूत है कि कांग्रेस शासनकाल में भी वो फल फूल रही है | ताजा मामला उस भालू का है , जो रोजाना पांच किलों पपीता खाता था और दो किलों दूध पीता था | लेकिन इस भालू की मौत भूख से तड़प-तड़प कर हुई | ऐसे में कम से कम इस तथ्य की जांच होनी चाहिए कि आखिर किस अफसर ने इस भालू का निवाला छीन लिया ?  
 

बिलासपुर स्थित कानन पेंडारी जू में दो महीने पहले भूख से एक भालू की मौत हो गई थी | हालांकि वन विभाग ने भालू की मौत बीमारी से होना बताया था | लेकिन अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने वन विभाग के दावे की असलियत जनता के सामने ला दी है | पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कहा गया है कि भालू की मौत लगातार भूखे रहने की वजह से हुई थी | वन अधिकारीयों का कहना है कि भालू हर दिन पांच किलो पपीता खता था | ऐसे में उसका भूख से मारा जाना सवालों के घेरे में है | 
उधर वन विभाग के रिकार्ड में दर्शाया गया है कि इस भालू को रोजाना पांच किलों पपीता व अन्य खाद्य सामग्री परोसी जाती है | भालू की देखभाल के लिए प्रतिमाह हजारों रूपये खर्च होते है | इसके बावजूद आखिर क्यों यह भालू भूखा मारा गया , इस बारे में वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने चुप्पी साध ली है | यही नहीं पोस्टमार्टम रिपोर्ट को भी जिम्मेदार अधिकारियों ने अपनी आलमारी में कैद करके रखा था | 27 दिसंबर को पीएम रिपोर्ट तैयार करने के बाद भी इसे अब तक छिपाकर रखा गया था | सूचना के अधिकार के तहत इसे 14 फरवरी 2020 को सौंपा गया | 

यही नहीं इस भालू पीएम रिपोर्ट निजी चिकित्सक के जरिए बनवाई गई | इस दौरान पीएम की वीडियों रिकॉर्डिग भी नहीं कराई गई | जबकि नियमानुसार अनुसूची एक के तहत आने वाले वन्य प्राणी का पीएम करते समय उसकी वीडियोग्राफी कराया जाना जरूरी है | वन्य जीव प्रेमियों ने आशंका जताई है कि पुरे मामले में पर्दा डालने और राज्य सरकार को गुमराह करने के लिए ही निजी चिकित्सक को बुलवाया गया था | अब इस पोस्टमार्टम रिपोर्ट के खुलासे से कानन पेंडारी मैनजमेंट की कलई भी खुल गई है | 

रायगढ़ के खरसिया वनमंडल के देवगांव में 21 दिसंबर 2019 को  भालू को पकड़ा गया था | इस भालू के हमले से दो ग्रामीणो की मौत हुई थी , जबकि तीन लोगों को इसने जख्मी किया था | रेस्क्यू के दौरान इस जख्मी भालू को उपचार के लिए कानन पेंडारी जू लाया गया था | अपनी रिपोर्ट में वन विभाग के अधिकारीयों ने उसे स्वस्थ बताते हुए 5 किलो पपीता और 2 किलों दूध रोजाना परोसा जाना बताया था | लेकिन, 25 दिसंबर को अचानक इस भालू की मौत हो गई थी | इस दौरान वन विभाग ने उसे किसी संक्रमण से ग्रसित बताया था | भालू की मौत के बाद पीएम कर उसका अंतिम सस्कार कानन पेंडारी जू में कर दिया गया था |  
वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने भालू के हिस्से का खाना खाने वाले वन विभाग के दोषी अधिकारीयों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है | उन्होंने वन विभाग के प्रमुख सचिव मनोज पिंगुआ को पीएम रिपोर्ट के साथ दस्तावेजी साक्ष्य भी उपलब्ध कराया है |