रायपुर / छत्तीसगढ़ में समाज कल्याण विभाग में करोड़ों के घोटाले में अफसरों ने भ्रष्ट्राचार के एक से बढ़कर एक नुस्खे आजमाए है | इस विभाग में प्याज की छिलकों की तरह एक बाद एक नए घोटाले सामने आ रहे है | ताजा मामला एक ट्रेवल एजेंसी के भुगतान और दिव्यांग बच्चों के कागजी सर्वे से जुड़ा है | इस पर नजर दौड़ाई जाए , तो लगेगा की किस तरह से अफसरों ने अपनी जेब ही नहीं बल्कि तिजोरियां भरी | विभाग का जो कारनामा सामने आया है ,वो निःशक्जनों के ऑनलाइन सर्वेक्षण की राशि की बंदरबांट से जुड़ा है | पूरा मामला 2016-17, 2017-18 के सर्वेक्षण खर्च का है | हैरानी की बात ये है कि घोटाले को अंजाम देने के लिए अफसरों को निःशक्तजनों के सर्वेक्षण में खर्च होने वाली रकम को AC खरीदने , होटलों में निजी पार्टी, बिना ऑर्डर नंबर के होर्डिग्स और अन्य विज्ञापन बिल, आरामदायक कुर्सी समेत अन्य कई खर्चों में व्यय करना दर्शाया है | दिलचस्प बात यह है कि कोई भी सामान ना तो कार्यालय में है और ना दिव्यांग बच्चों के सेल्टर होम में |
भारत सरकार ने दिव्यांग बच्चों के सर्वेक्षण के लिए एक करोड़ की रकम आवंटित की थी | लेकिन अफसरों ने इस रकम को कागजों में चंद जिलों को वितरित करने की खानापूर्ति की , शेष रकम से गैर-आवश्यक वस्तुओं की खरीदी के फर्जी बिल संलग्न कर एक करोड़ की रकम पर हाथ साफ़ कर दिया | नतीजतन सर्वेक्षण हुआ ही नहीं | मामले की पड़ताल करने पर पता पड़ा कि ज्यादातर जिलों में सर्वेक्षण की रकम वितरित ही नहीं की गई | यह रकम अपनी जेब में डालने के लिए समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों ने अपने चहेते अधिकारियों की पदस्थापना वाले जिले को एक से अधिक बार आवंटित कर दी | ताकि सर्वेक्षण व्यय कागजों में दर्शाया जा सके | इसमें रायपुर के व्यापक इंटरप्राइजेस और सिक्यूर्ड सर्विसेस अमलीडीह के लाखों के बिल संलग्न किये गए | इन बिलों में ना तो ऑर्डर नंबर है और ना ही जीएसटी विवरण | अफसरों ने विज्ञापनों के लिए होर्डिंग्स के खर्चे में लाखों की रकम दर्शाया है | लेकिन होर्डिग्स किस लोकेशन और किस विषय को लेकर लगाई गई इसका कोई विवरण नहीं है | घोटाले को अंजाम देने के लिए अफसरों ने लाखों की सरकारी रकम राज्य संसाधन एवं पुनर्वास केंद्र को देना बताया | लेकिन व्यय बिल लगा सिक्योरिटी सर्विस का |
राज्य संसाधन एवं पुनर्वास केंद्र माना को जारी 18 लाख रुपए के बिल सिक्योर्ड सर्विसेस अमलीडीह और सिक्योरिटी कंपनी के दर्शाये गए | इसके अलावा श्री साई इंटरप्राइजेस भनपुरी से कम्प्यूटर टेबल, सोफा, राउंड टेबल समेत अन्य, मेसर्स रॉय किराना एंड जनरल स्टोर माना से राशन, होटल विनायक इंटरनेशनल में लंच, डिनर और रुम बुकिंग, ओम साई मोबाइल्स एंड कम्प्यूटर से लैपटॉप, डेस्कटॉप समेत अन्य उपकरणों की खरीदी के लाखों रुपए के बिलों का भुगतान किया गया है | हालांकि इन सामानों के बजाये सिर्फ बिल ही आया | जो धड़ल्ले से पास भी हो गया |
ट्रेवल एजेंसी ने इवेंट मैनजमेंट का बिल जमा कर पांच लाख निकाले :
बताया जाता है कि घोटालेबाजों ने अपने परिवार के साथ देश-विदेश की कई यात्राएं की | लाखों रूपये मौज मस्ती में फूंके | लेकिन इस रकम का भुगतान समाज कल्याण विभाग के इस एनजीओं के जरिये ही किया गया | इस व्यय को समायोजित करने के लिए बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा किया गया | ज्वांइट डायरेक्टर राज्य संसाधन एवं पुनवार्स केंद्र माना के नाम से जारी 5 लाख रुपए के बिल का भुगतान किया गया है | शांति टूर्स एंड सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड से जारी इस बिल में इसे टूर पैकेज दिखाया गया है | इस फर्म के बिल में नीचे अंग्रेजी में जो लिखा है वह काफी चौकाने वाला है | फर्म ने इवेंट ऑर्गनाइज फॉर डिसेबल स्टूडेंट्स माना कैंप रायपुर में आयोजित कार्यक्रम का हवाला दिया है | इस बिल को देखकर आप भी चौक जायेंगे | आखिर कैसे कोई ट्रेवल एजेंसी दिव्यांग बच्चों का मनोरंजन कर सकती है | वह भी टूर पैकेज के नाम पर | .
फ़िलहाल इस फर्जीवाड़े की एक अलग फाइल सीबीआई को सौंपी जा रही है | ताकि विवेचना के दौरान यह स्पष्ट हो सके कि जिम्मेदार अफसरों ने अपनी तिजोरी भरने के लिए सरकारी रकम की आपराधिक अफरा-तफरी की थी |