दिल्ली / रायपुर – हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार को तगड़ा झटका दिया है | राज्य में एक हजार करोड़ से ज्यादा के हुए घोटाले की सीबीआई जांच पर अड़ंगा लगाने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की नेतृत्व वाली सरकार और उसके अफसरों ने सुप्रीम कोर्ट में डेरा डाला हुआ है | हालांकि हाईकोर्ट से उन्हें निराशा हाथ लगी है | समाज कल्याण विभाग में हुए इस घोटाले की सीबीआई जांच पर पर्दा डालने के लिए कथित आरोपी अफसरों ने हाईकोर्ट में दो याचिकाएं दायर की थी | गुरुवार को इन दोनों ही याचिकाओं पर हाईकोर्ट ने गौर फ़रमाया और पहले ही नजर में इसे ख़ारिज कर दिया |
एक हजार करोड़ से ज्यादा के एनजीओ घोटाला मामले में आईएएस अधिकारी बीएल अग्रवाल और सतीश पाण्डेय को हाईकोर्ट ने तगड़ा झटका दिया है | हाईकोर्ट ने दोनों नौकरशाहों की रिव्यू पेटीशन खारिज कर दिया है | आरोपियों में कई वर्तमान और कई पूर्व आईएएस अधिकारी शामिल हैं | घोटाले के मामले में फंसे कई अन्य आरोपी अधिकारियों ने भी कोर्ट में रिव्यू पीटिशन लगाया है | बीएल अग्रवाल द्वारा दायर किये गए रिव्यू पेटीशन की सुनवाई जस्टिस प्रशांत मिश्रा और जस्टिस पीपी साहू के बेंच ने की | कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए 3 फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था |
आरोपी आईएएस अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में दलील दी थी कि इस घोटाले से उनका दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं है | जबकि जनहित याचिका दायर करने वाले कुंदन सिंह ने अदालत में कैविएट लगाने के साथ ही दलील दी थी कि आरोपी अफसर आखंठ भ्रष्ट्राचार में डूबे हुए है | दिलचस्प बात यह है कि राज्य की कांग्रेस सरकार ने कथित भ्रष्ट्र अफसरों की क़ानूनी सहायता के लिए बिलासपुर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में कोई कसर बाकि नहीं छोड़ी थी |
इस मामले में छत्तीसगढ़ शासन को पार्टी ना बनाये जाने के बावजूद राज्य सरकार ने आरोपी अफसरों को बचाने के लिए अदालत में रिव्यू पिटीशन दायर कर जनता को हैरत में डाल दिया है | माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की भ्रष्ट्राचार के खिलाफ जारी मुहीम को विवादित बनाने के लिए आरोपी अफसरों ने ये क़ानूनी दांवपेच खेला था |