दिल्ली वेब डेस्क / दिल्ली के निर्भयागैंगरेप केस में दिल्ली हाईकोर्ट की तरफ से बुधवार को फैसला सुनाया जाएगा। ट्रायलकोर्ट की तरफ से 2012 दिल्ली गैंगरेप रेप के दोषियों की फांसी पर लगाईगई रोक के खिलाफ तिहाड़ जेल और केन्द्र की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाईहोगी। इसके बावजूद कहा जा रहा है कि निर्भया के दोषियों के पास इस फैसले के बावजूद फांसी टालने के कई विकल्प अब भी मौजूद है | दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने दोषियों की दयायाचिका राष्ट्रपति के पास लंबित रहने के चलते दोषियों के खिलाफ जारी डेथ वारंट परअनिश्चितकालीन रोक लगा दी थी। केन्द्र सरकार की तरफ से अदालत में पेश हुएसॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जजों से कहा कि निर्भया के दोषी देश के धैर्य कीपरीक्षा ले रहे हैं। मामले को लेकर कानून के जानकर अलग अलग मत दे रहे है |
उधर आम आदमी पार्टी ने निर्भया मामले के दोषियों को फांसी दिए जाने में हो रहे विलंब का मुद्दा उठाते हुए राज्यसभा में मंगलवार को मांग की कि सजा की तामील के लिए राष्ट्रपति या भारत के प्रधान न्यायाधीश को हस्तक्षेप करना चाहिए। सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि यह अत्यंत संवेदनशील एवं गंभीर मुद्दा है और अदालत केआदेश का यथाशीघ्र कार्यान्वयन किया जाना चाहिए। शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुएआम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने कहा कि चारों दोषियों को मौत की सजा सुनाई जा चुकीहै लेकिन सजा की तामील में विलंब होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस मामले कोलेकर राजनीतिक बयानबाजी भी हो रही है जो दुर्भाग्यपूर्ण है। हालांकि संसद के बाहर आप के इस मुद्दे को राजनैतिक करार दिया गया | बीजेपी समेत कई राजनैतिक दलों ने इसे आप की सोची समझी चाल बताया |
दिल्ली के बसंत विहार इलाके में 16दिसंबर, 2012 की रात को 23 साल की पैरामेडिकल छात्रा के साथ चलती बस में बहुत ही बर्बर तरीके से सामूहिक दुष्कर्म किया गया था । इस जघन्य घटना के बाद पीड़िता को इलाज के लिए सरकार सिंगापुर ले गई जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। इस मामले में दिल्ली पुलिस ने बस चालक सहित छह लोगों को गिरफ्तार किया था। इनमें एक नाबालिग भी शामिल था।इस मामले में नाबालिग को तीन साल तक सुधार गृह में रखने के बाद रिहाकर दिया गया था । जबकि एक आरोपी राम सिंह ने जेल में खुदकुशी कर ली थी । फास्ट ट्रैक कोर्ट अदालत ने इस मामले में चार आरोपियों पवन, अक्षय, विनय और मुकेश को दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। फास्ट ट्रैक कोर्ट के इस फैसले को उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय ने भी बहाल रखा था। फ़िलहाल देश की निगाहें क़ानूनी दांवपेचों के साथ साथ अदालत के फैसले पर टिकी हुई है |