नई दिल्ली वेब डेस्क / निर्भया के दोषियों को फांसी की राह क़ानूनी दावंपेंचो के चलते आसान नज़र नहीं आ रही है | यह तय है कि फांसी होगी लेकिन यह अब तक तय नहीं हो पाया है कि दोषियों को फंदे पर कब लटकाया जायेगा ? दरअसल दोषियों के पास अभी भी कई क़ानूनी विकल्प ऐसे है, जिस पर अंतिम फैसला सुप्रीम कोर्ट को देना होगा | यह भी कहा जा रहा है कि दोषियों को एक साथ फांसी दिए जाने के विकल्प भी काफी सीमित है | इसलिए दोषियों की दया याचिका ख़ारिज होने पर अलग फांसी भी संभव है | दोषियों के वकील बोले -अभी क़ानूनी विकल्प है दोषियों के वकील ने कहा, संविधान में फांसी देने के लिए निर्धारित समय नहीं दिया है | दया याचिका ख़ारिज होने के बाद भी फांसी देने के लिए 14 दिन का समय मिलता है | इस मामले में इतनी जल्दबाजी क्यों ? इन दलीलों से निर्भया के दोषियों को फांसी टालने का पर्याप्त मौका मिल रहा है |
उधर सॉलिसिटर जनरल तुषार महेता ने कहा कि दोषी पवन जानबूझकर दया याचिका दाखिल करने में देर कर रहा है | अगर ट्रायल कोर्ट का आदेश बरकरार रहता है तब पवन भी क्यूरेटिव, दया याचिका दाखिल कर सकता है | ऐसे में दूसरों को भी फांसी नहीं होगी | मेहता ने कहा कि दोषी न्यायिक मशीनरी से खेल रहे है और देश के धैर्य की परीक्षा ले रहे है | फांसी देने नहीं होनी चाहिए देरी सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि दोषियों की ओर से जानबूझकर देरी की जा रही है | उन्होंने कहा कि न्याय हिट में फांसी देने में कोई देरी नहीं होनी चाहिए | दोषियों को फांसी जल्द से जल्द देना चाहिए | उन्होंने कहा कि दोषियों की हरकतें बहुत घृणित थीं और समाज की अंतरात्मा को झकझोर दिया था |
निर्भया केस में दोषियों की वैधानिक स्थिति इस प्रकार है, मुकेश सिंह और विनय शर्मा के दोनों विकल्प क्युरेटिव पिटीशन और दया याचिका ख़त्म हो चुकी है | जबकि अक्षय ठाकुर की सिर्फ क्यूरेटिव पिटीशन ख़ारिज हुई है, लेकिन उसकी दया याचिका राष्ट्रपति के पास विचाराधीन | हालाँकि पवन गुप्ता ने न तो क्यूरेटिव पिटीशन दायर की है और न ही राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजी है | लिहाजा उसके दोनों विकल्प जीवित है | इसका इस्तेमाल करने पर वो फांसी की तिथि टालने में कर सकता है | बहरहाल निर्भया के दोषियों को जल्द से जल्द फांसी दिए जाने की मांग को लेकर केंद्र सरकार की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने रविवार को सुनवाई पूरी कर ली | अब फैसले का इंतज़ार हो रहा है |