जबलपुर में पब्जी, गेम के चक्कर में छात्र की बिगड़ी मानसिक दशा, डॉक्‍टर बोले उपचार मुश्किल, हप्ते भर से दिन – रात जागता रहा छात्र, जोखिम में जान 

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जबलपुर वेब डेस्क / ‘मैं हाइड्रा डायनेमो हूं, कितने चाहिए 40 करोड़, मेरा मोबाइल दो, एक मिनट में पैसे आ जाएंगे ।’ जबलपुर के पुलिस अधीक्षक कार्यालय में एक छात्र की ऐसी बाते और उसकी हरकत देखकर आस पास के लोग ठिठके गए। यह छात्र मौके से बार-बार भागने की कोशिश कर रहा था और उसके माता-पिता उसे अपने कब्जे में जकड़े रहने की कोशिशें कर रहे थे | पूछताछ के दौरान परिजनों ने बताया कि पब्जी गेम खेलने के चक्कर में उनके बेटे की यह दशा हुई है।

पीड़ित परिवार नरसिंहपुर के गाडरवारा निवासरत है | छात्र के माता-पिता ने कहा कि बड़े अरमानों से उन्होंने अपने बेटे को जबलपुर पढ़ने के लिए भेजा था, लेकिन पब्जी गेम के चक्कर में उसने अपना मानसिक संतुलन खो दिया है। यह बताते हुए उनकी आखे नम हो गई | आंसू भरी आंखों से माता-पिता ने कहा कि मोबाइल पर गेम खेलने के चक्कर में उनके बेटे ने छह दिनों से सोना और खाना पीना तक छोड़ दिया है | वो दिन रात जागता है | उन्होंने बताया जाता है कि जूते-चप्पल पहने बगैर छात्र कॉलेज पहुंच गया और वहां भी पागलों जैसी हरकतें करने लगा।

उसकी हालत देखकर कॉलेज के अन्य छात्रों ने उन्हें सूचित किया | इस छात्र को अपने कब्जे में लेने के बाद उसके माता-पिता ने सबसे पहले उसका मोबाइल छीना और डॉक्टर के पास ले गए | प्राथमिक चिकित्सा के बाद उन्होंने अपनी आपबीती  पुलिस अधीक्षक कार्यालय में मौजूद अफसरों को बताई | यहां भी वह छात्र बवाल कर रहा था | वो कभी दौड़ लगा रहा था, तो कभी परिसर से बाहर निकलने की तरकीब भिड़ा रहा था | वह अपने माता पिता से बार-बार अपने मोबाइल की मांग कर रहा था। माता-पिता ने बमुश्किल उसे नियंत्रित किया और फिर दोबारा  अस्पताल ले गए। 

डॉक्‍टर के मुताबिक कई दिनों तक नींद नहीं आने की वजह से छात्र की मनोदशा बिगड़ गई है। फ़िलहाल इस छात्र को अस्पताल में भर्ती कर उसका उपचार किया जा रहा है। विक्टोरिया अस्पताल के मानसिक रोग विशेषषज्ञ डॉ. रत्नेश कुररिया के मुताबिक नशे की लत से ज्‍यादा मुश्किल है मोबाइल एडिक्‍शन का उपचार | उन्होंने बताया कि ड्रग एडिक्ट मरीज से ज्यादा कठिन उपचार मोबाइल एडिक्ट का होता है। पब्जी गेम के कारण इस तरह की घटनाएं बढ़ रही हैं। उन्होंने भी मांग की है कि सरकार को इस गेम पर रोक लगानी चाहिए। उन्होंने कहा कि गेम एडिक्ट से मरीज का मानसिक संतुलन तक बिगड़ जाता है | हालत बिगड़ने पर वह विक्षिप्तता की चपेट में आ सकता है।