यहां कैसे तीन कमरों 8 कक्षाओं के 160 बच्चे पढ़ते हैं , देखिए तस्वीरें |

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गरियाबंद जिले की बदहाल शिक्षा व्यवस्था की तस्वीरें देखकर आप हैरान रह जाएंगे |  यहां तीन कमरों के एक छोटे से स्कूल में कैसे 8 कक्षाओं के 160 बच्चे पढ़ते हैं  | कैसे एक ही कमरे में तीन-तीन कक्षाएं लगती है | 
गरियाबंद जिले की शिक्षा व्यवस्था किसी से छिपी नही है, अधिकांश स्कूलों की स्थिति कुछ ऐसी है कि कहीं शिक्षक है तो भवन नही है |  कही भवन है तो शिक्षक नही है  | बदहाल शिक्षा व्यवस्था का खामियाजा जिले के स्कूलों में पढने वाले बच्चों को भुगतना पड रहा है | ऐसा ही एक मामला सुकलीभाठा पंचायत में देखने को मिला है | यहॉ भवन की कमी के कारण पहली से आठवीं तक की 8 कक्षाएं 3 कमरों में संचालित हो रही है |  शासन द्वारा दो साल पहले प्राथमिक शाला के लिए भवन स्वीकृत किया जा चुका है मगर अबतक पूर्ण नही हो पाया  है | जिसके चलते प्राथमिक और मिडिल स्कूल के 160 बच्चे एक साछ बैठकर पढाई करने पर मजबूर हो रहे है |  निर्माधीन भवन को लेकर सबके अपने तर्क और मजबूरियां है  | मगर नुकसान केवल बच्चों को भुगतना पड रहा है | 


     जिला प्रशासन का दावा है कि भवन स्वीकृत हो चुका है  |  निर्माण एजेंसी ग्राम पंचायत की दलील है कि जितनी राशि जारी हुयी उतना काम हो चुका है |  वही ग्रामीणों का कहना है कि काम अच्छा नही हो रहा है और स्कूल में पढाने वाले शिक्षकों को पीडा है कि जगह कम और बच्चे ज्यादा होने के कारण वे ठीक से पढा नही पा रहे है | लेकिन इन सबके बीच इन बदहाल व्यवस्था के चलते बच्चों का भविष्य सवरने की वजह बिगड़ता नजर आ रहा है |  बिना सुविधा के के स्कूल बच्चों को जरूरी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं  |  कुल मिलाकर नुकसान केवल बच्चों का हो रहा है और इसकी चिंता किसी को है ऐसा लग नहीं रहा है  | शासन-प्रशासन तो खानापूर्ति की तरह अपनी जिम्मेदारियों से बचने का प्रयास करता नजर आ रहा है |