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शरीर के अंदर जाने और अनजाने तरीके से जाने वाले एंटीबायोटिक के कारण आने वाले 10 साल में अत्यधिक इंटिबीयोटिक के सेवन से मत्यु होने का खतरा मंडराने लगा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेताया है कि शरीर में बैक्टेरिया रोधक क्षमता बेहद कम होते जा रही है. आने वाले दिनों में इसके भयंकर परिणाम भी दिख रहे हैं. इस बात की भी चेतावनी दी गई है कि साल 2050 तक सलाना तकरीबन 1 करोड़ लोगों के मौत का कारण भी अत्यधिक एंटीबायोटिक का सेवन हो सकता है. विश्वस्तर पर तकरीबन तकरीबन साल 2030 तक इस कारण 24 करोड़ लोग प्रभाव में आ सकते हैं. खान-पान सहित लोगों के एंटीबायोटिक के बारे में नीम हकीम जानकारी, इस बाबत खतरनाक साबित हो रही है.
इसकी वजहें :
जांच में इस बात का जिक्र किया गया है कि पोल्ट्री और डेयरी कारोबार में जानवरों को तंदुरुस्त रखने के लिए किए गए एंटीबायोटिक का असर मानव शरीर पर धीरे-धीरे प्रतिकूल असर डाल रहा है. इस अत्यधिक एंटिबायोटिक शरीर में जाने की कई वजहें सामने आ रही हैं. चिकन और मटन को सेहत मंद रखने के लिए दिए जाने वाले अत्यधिक एंटीबायोटिक सब्जी और फल को ज्यादा ताजी रखने के लिए रखने के लिए दिए जाने वाले एंटीबायोटिक डेयरी व्यवसाय में जानवरों के अच्छी सेहत के लिए इसके अलावा बगैर डॉक्टरी सलाह के ही मेडिकल स्टोर के जरिए दिए जाने वाली दवाईयां खासकर के एंटीबायोटिक भी शरीर में नुकसान पहुंचाती है. इसके अलावा अत्यधिक और गलत तरीके के एन्टीबायोटिक लेने से एन्टीबायोचिक के जीवाणु ज्यादा प्रतिरोधी हो जाते हैं. नए प्रतिरोधी जीवाणु सुपरबग के रूप में जाने जाते हैं जिस पर कोई भी दवा असर करती है और ये हालात किसी भी रोग और रोगी के लिए भयवह स्थिति में हैं.