कोरबा। बंगलादेश से आए भारत में बसाए गए रिफ्यूजी आज भी नागरिकता के अभाव में बहुत सारी समस्याओं से जूझ रहे हैं। इनमें रायपुर के माना से शिफ्ट कर कोरबा में बसाए गए 40 रिफ्यूजी परिवार भी शामिल हैं। लोकसभा में पारित हुए बिल को लेकर इनमें उम्मीद जगी है। उनका मानना है कि आज भी उन्हें अपना कारोबार शुरू करने के लिए लोन की आवश्यकता होती है, तो बैंक उस जमीन के कागजात लाने को कहता है जो आज भी केन्द्र सरकार के नाम पर है। आलम ये है कोरबा के रिफ्यूजी आज भी खुद को उपेक्षित समझते हैं। इस बस्ती में पूर्वी पाकिस्तान से बेघर होकर भारत में शरण लेने वाले 40 रिफ्यूजी परिवार निवास करते हैं।
साल 1970 में जब इन लोगों को तात्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने यहां शरण दिया था, तो इन्हें विश्वास था कि इनको भी तमाम ऐसी सुविधाएं दी जाएगी, जो आम भारत के नागरिकों को दी जाती हैं, मगर ऐसा नहीं हुआ । अव्यवस्थाओं के बीच रहकर ये लोग अपना जीवन यापन कर रहे हैं। सरकारी मदद के बगैर ये लोग न तो अपने बच्चों को अच्छी तालिम देने में समर्थ हैं और न ही अच्छे से घर चला पा रहे हैं। इनकी बड़ी समस्या ये हैं कि सालों बाद भी इनका आशियाना इनके नाम पर नहीं हो सका ।
संसद के लोकसभा में नागरिकता संसोधन बिल पारित होने पर इन रिफ्यूजियों में एक बार फिर नई उम्मीद जगी है। इनके पास राशन कार्ड व अन्य परिचय पत्र मौजूद हैं। ये लोग वोट भी डालते हैं लेकिन इन्हें मलाल है कि इन्हें भारतीय नागरिकों की तरह सम्मान भरी नजरों से नहीं देखा जाता है। नागरिकता संशोधन बिल पास होने से इन्हें पूरी नागरिकता मिलने की आशा है। हालांकि सरकार के इस बिल को अभी राज्यसभा के दूसरे पड़ाव से पार होना है।