नई दिल्ली | केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने 2000 रुपए से संबंधित खबरों को ख़ारिज करते हुए कहा की चिंता की कोई बात नहीं है | भविष्य में 2000 के नोटों को चलन से बाहर करने की सरकार की योजना है या नहीं, इस बारे में राज्य सभा में ठाकुर ने कहा, नोटबंदी को लेकर अब एक और चिंता सामने आई है | मुझे लगता है कि आपको ऐसी चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है |’ समाजवादी पार्टी के संसद विश्वंभर प्रसाद निषाद ने कहा,’ 2000 रुपय के नोट चलन में आने से काला धन का संग्रह बढ़ा है | लोगो के बीच यह गफलत है कि आप 2000 रुपए के नोटों को चलन से बाहर कर एक बार फिर 1000 रुपय के नोट लाने जा रहे है |
प्रश्नकाल में ही विभिन्न पूरक सवालों के जवाब में ठाकुर ने नोटबंदी को देश की अर्थव्यवस्था के लिए लाभकारी फैसला करार देते हुए कहा कि इससे न सिर्फ मुद्रा की मात्रा बढ़ी है बल्कि जाली मुद्रा पर भी रोक लगी है। साथ ही डिजिटल भुगतान में इजाफे से नोटों के परिचालन को कम करने में सफलता मिली है।
वित्त राज्य मंत्री ठाकुर ने नोटबंदी के फैसले के प्रभाव से जुड़े एक पूरक प्रश्न के उत्तर में कहा कि सरकार ने आठ नवंबर 2016 को पांच कारणों से 1000 और 500 रुपये के नोट के वैध मुद्रास्वरूप को समाप्त करने का निर्णय लिया था। ठाकुर ने कहा कि कालेधन को खत्म करने, जाली नोट की समस्या से निपटने, आतंकवाद के वित्तपोषण की जड़ पर प्रहार करने, गैर औपचारिक अर्थव्यवस्था को औपचारिक अर्थव्यवस्था में रूपांतरित करने और भारत को कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था बनाने के लिये डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यह फैसला किया गया था।
इस फैसले से अर्थव्यवस्था में नोटों की कमी आने से जुड़े पूरक प्रश्न के उत्तर में कहा कि चार नवंबर 2016 को 17741.87 अरब रुपये के नोट प्रचलन में थे, इसकी मात्रा दो दिसंबर 2019 को बढ़कर 22356.48 अरब रुपये हो गयी। ठाकुर ने कहा कि नोटबंदी और इसके बाद डिजिटलीकरण तथा अनौपारिक अर्थव्यवस्था में नकदी के प्रयोग की कमी से 3046.05 अरब रुपये के नोटों के परिचालन को कम करने में सफलता मिली है।
नोटबंदी के बाद जाली नोटों में कमी आने के बारे में उन्होंने बताया कि आरबीआई ने सूचित किया है कि बैंकिंग प्रणाली में 2016-17 के दौरान 7.62 लाख नोट, 2017-18 में 5.22 लाख और 2018-19 में 3.17 लाख जाली नोटों की पहचान की गयी थी। अत: नोटबंदी के बाद जाली मुद्रा पर रोक लगी है | आतंकवाद के खिलाफ नोटबंदी के सकारात्मक प्रभाव के बारे में ठाकुर ने बताया कि 1000 और 500 रुपये के नोटों के विमुद्रीकरण के बाद आतंकवादियों के पास पड़ी अधिकतर नकदी बेकार हो गयी।
ठाकुर ने कालेधन के खिलाफ अभियान में मिली कामयाबी का जिक्र करते हुये कहा कि नवंबर 2016 से मार्च 2017 के दौरान आयकर विभाग की 900 टीमों ने तलाशी और जब्ती की कार्रवाई कर 636 करोड़ रुपये की नकदी और 7961 करोड़ रुपये की अघोषित आय की स्वीकृति सहित 900 करोड़ रुपये की जब्ती की।