मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और छत्तीसगढ़ सरकार के खिलाफ नई याचिका दायर करने की तैयारी में कुख्यात आरोपी मुकेश गुप्ता , हप्तेभर बाद निलंबन की पहली बरसी | 

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रायपुर / छत्तीसगढ़ कैडर के वर्ष 1988 बैच के कुख्यात आईपीएस अधिकारी मुकेश गुप्ता के निलंबन की पहली बरसी दिसंबर माह में ही होने जा रही है | फ़िलहाल ये अफसर अपने कर्तव्य स्थल रायपुर के बजाए देश की राजधानी दिल्ली में डेरा डाले हुए है | जानकारी के मुताबिक अब वो अपनी आमद दरज करना चाहता है | इसके लिए वो नए क़ानूनी दांवपेच आजमाने में व्यस्त है | उसे इस बात का अंदेशा है कि नए प्रकरणों में उसके खिलाफ दर्ज होने वाली FIR में गिरफ्तारी ना हो जाए | सूत्र बता रहे है कि इसी अंदेशे के चलते वो नई याचिका दायर करने की तैयारी में है | इसी हप्ते यह याचिका बिलासपुर हाईकोर्ट या फिर सुप्रीम कोर्ट दिल्ली में दाखिल करने की नई कवायत को वो अंजाम देने में जुटा है | उसे इस बात का अंदेशा है कि उसके गुनाहों को संज्ञान में लेकर छत्तीसगढ़ पुलिस उसके गिरेहबान में हाथ डालकर कहीं उसके असली ठिकाने में ना पंहुचा दे | लिहाजा नए प्रकरणों को क़ानूनी दांवपेच के सहारे अदालत में चुनौती देने के लिए उसने इल्ल-लीगल रायचंदों की एक नई टोली में शरण ली है | दिल्ली की एक होटल में छत्तीसगढ़ सरकार का  कुख्यात आरोपी इन दिनों सुबह से शाम तक रायशुमारी कर रहा है |

जानकारी के मुताबिक आरोपी मुकेश गुप्ता के खिलाफ आधा दर्जन अपराधिक प्रकरणों पर अलग-अलग जांच चल रही है | ये जांच उस विचाराधीन प्रकरणों से अलग है , जिसमे बिलासपुर हाईकोर्ट ने नो कोरेसिव एक्शन के निर्देश दिए थे | डॉक्टर मिक्की मेहता हत्याकांड की जांच में पुलिस कई ऐसे आपत्तिजनक प्रमाण मिले है , जिससे साबित होता है कि रायपुर के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक मुकेश गुप्ता की पत्नी मिक्की गुप्ता मेहता की हत्या की साजिश उन्ही के बंगले में रची गई थी | बताया जाता है कि डॉक्टर मिक्की मेहता को जहर देकर मारा गया था | जब वो अपने पति मुकेश गुप्ता के बंगले में तड़प रही थी तब उसे सरकारी अस्पताल जिसमे वेंटिलेटर हो , वहां ले जाने के बजाए पहले रायपुर सिविल लाइन स्थित एक अपात्र क्लिनिक ले जाया गया | इस क्लिनिक से रायपुर के सरकारी मेकाहारा अस्पताल और मेडिकल कॉलेज ले जाने के बजाए भिलाई के सेक्टर – 9 अस्पताल ले जाया गया था | ताकि मृतक मिक्की मेहता को जिंदा दर्शाया जा सके | जानकारी के मुताबिक रायपुर के तत्कालीन एसपी मुकेश गुप्ता के सरकारी बंगले में ही उनकी पत्नी डॉक्टर मिक्की मेहता की मौत हो चुकी थी | लेकिन उसके पोस्टमार्टम की प्रक्रिया से बचने के लिए उसे रायपुर के किसी भी अस्पताल के बजाए सुनियोजित रूप से भिलाई में सेक्टर – 9 अस्पताल में जिन्दा दर्शाकर दाखिल कराया गया था | हालांकि कुछ घंटों बाद वहां के डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था | बताया जाता है कि छत्तीसगढ़ के तत्कालीन डीजी गिरधारी नायक ने अपनी जांच रिपोर्ट में डॉक्टर मिक्की मेहता की संदेहास्पद मौत की गुत्थी पूरी तरह से सुलझा दी है | इस जांच रिपोर्ट के तथ्यों से साफ़ होता है कि मुकेश गुप्ता ने ही डॉक्टर मिक्की मेहता की मौत की साजिश रची थी | डीजी गिरधारी नायक की रिपोर्ट में इस तथ्य को भी गंभीरता से लिया गया है कि डॉक्टर मिक्की मेहता की मौत की मजिस्ट्रियल जांच आखिर क्यों नहीं कराई गई थी | इतनी बड़ी क़ानूनी त्रुटि किसे बचाने के लिए बरती गई ? जांच रिपोर्ट में कई ऐसे तथ्य और बिंदु है जिसके आधार पर अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि डॉ. मिक्की मेहता को जान से मारने की सुनियोजित साजिश रची गई थी | डॉक्टर मिक्की मेहता के परिजन मुकेश गुप्ता के अलावा इस प्रकरण में उसकी सहायता करने वाले और सबूत नष्ट करने वाले पुलिस अधिकारियों और डाक्टरों के खिलाफ दफा 302 , 34 के तहत अपराधिक प्रकरण दर्ज करने की मांग कर रहे है |  

यह भी बताया जाता है कि पहली पत्नी उमा गुप्ता के जीवित रहते मुकेश गुप्ता ने दूसरा विवाह डॉक्टर मिक्की मेहता के साथ किया था | इस विवाह के उपरांत मुकेश गुप्ता और डॉक्टर मिक्की की एक पुत्री का जन्म हुआ था | बताया जाता है कि इस गंभीर प्रकरण को लेकर डीजी गिरधारी नायक की रिपोर्ट में कड़ी टिप्पणी की गई है | उन्होंने डॉक्टर मिक्की मेहता को मुकेश गुप्ता की दूसरी पत्नी करार दिया है | सबूतों से पता चलता है कि मुकेश गुप्ता ने मिक्की मेहता के साथ गंधर्व विवाह किया था | विवाह के चंद माह उपरांत ही उनकी संदेहजनक मौत हो गई थी | इसके उपरांत अपने पैतृक घर बिलासपुर में गुप्ता परिवार ने मिक्की गुप्ता का अंतिम संस्कार और अन्य क्रिया कर्म किया था | यह मामला भी हिन्दू विवाह अधिनियम के उल्लंघन के दायरे में पाया गया है | जानकारी के मुताबिक ऐसे प्रकरणों को गंभीरता से लेते हुए भारत सरकार के कार्मिक मंत्रालय ने कई आईएएस और आईपीएस अधिकारियों की नौकरी से ही छुट्टी कर दी थी | बताया जाता है कि इस मामले में भी कार्मिक मंत्रालय की गाज गिर सकती है | लिहाजा मुकेश गुप्ता ने रायपुर पुलिस पर जबरदस्त दबाव बनाया हुआ है | इसका मकसद सिर्फ यही है कि स्थानीय पुलिस डॉक्टर मिक्की मेहता को किसी भी सूरत में उनकी पत्नी ना मानें | हालांकि जांच रिपोर्ट में शामिल कई तथ्यों और सबूतों को झुठलाना पुलिस अफसरों को मुनासिब नजर नहीं आ रहा है | बताया जाता है कि मुकेश गुप्ता के अनुचित दबाव के चलते डीजी गिरधारी नायक जांच कमेटी की रिपोर्ट अब तक लंबित पड़ी है | 

MGM ट्रस्ट की गड़बड़ी और इसे मनी लॉन्ड्रिंग सेंटर में तब्दील किये जाने को लेकर भी रायपुर जिला प्रशासन की कार्रवाई जारी है | जिला प्रशासन ने MGM ट्रस्ट को कई नोटिस तामील किये है | लेकिन आरोपी मुकेश गुप्ता की तर्ज पर MGM ट्रस्ट भी प्रशासन को जांच में कोई सहयोग नहीं कर रहा है | बताया जाता है कि MGM ट्रस्ट के जरिये बड़े पैमाने पर ब्लैकमनी को व्हाइट मनी में तब्दली करने का खेल तत्कालीन बीजेपी सरकार के संरक्षण में चलता रहा | इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह से लेकर कॉन्कर रेलवे ने करोड़ों की सरकारी रकम इस ट्रस्ट के खाते में डलवाई थी | इसके अलावा शराब और कोयला ठेकेदारों , माफियाओं , उद्योगपतियों और व्यापारियों ने भी मुकेश गुप्ता के प्रभाव में लाखों रूपये दान दिए थे | हालांकि कांग्रेस सरकार के गठन के बाद से दानदाताओं की दानवीरता पर ब्रेक लग गया है | बताया जा रहा है कि  MGM ट्रस्ट को भंग कर उसकी सम्पत्ति और इमारत को राजसात करने की प्रक्रिया के शुरू होने के अंदेशे के चलते मुकेश गुप्ता की बेचैनी बढ़ी हुई है | प्राप्त जानकारी के अनुसार भारतीय पुलिस सेवा में कार्यरत रहते मुकेश गुप्ता ने अपनी वर्दी , पद और प्रभाव का जमकर दुरूपयोग कर MGM ट्रस्ट का गठन किया था | क़ानूनी दांवपेचों और संभावित कार्रवाई से बचने के लिए उसने इस ट्रस्ट के संचालन की कागजी जिम्मेदारी अपने पिता बीडी गुप्ता को सौंपी है | आरोपी मुकेश गुप्ता की विभागीय जांच भी लंबित है | लगातार गैर हाजिर रहने और जांच में सहयोग नहीं करने के चलते पुलिस मुख्यालय भी हैरत में है |  एडीजी स्तर के इस अफसर की गैर-क़ानूनी गतिविधियों की लंबी फेहरिस्त है | फ़िलहाल देखना होगा कि अपने बचाव के लिए कुख्यात आरोपी मुकेश गुप्ता इस याचिका में क्या नई दलीले पेश करता है |