वेब डेस्क / गुजरात के शहरी क्षेत्रों में दोपहिया वाहनों पर हेलमेल की अनिवार्यता ख़त्म हो गई है| बुधवार को कैबिनेट ने इसकी मंजूरी दी| सरकार के मुताबिक लोगों को सब्जी लाने या श्मशान जाने पर हेलमेट रखने में समस्या होती है| इसके पूर्व नए यातायात नियमों को दरकिनार करते हुए गुजरात सरकार ने हेलमेट न पहनने पर जुमार्ना घटाकर 500 रु. कर दिया था | और अब हेलमेट की अनिवार्यता खत्म कर लोगों को सकते में डाल दिया है | दरअसल विभिन्न सामाजिक संगठनों और एनजीओं ने गुजरात सरकार को हेलमेट से होने वाली समस्याओं से वाकिफ कराया था | इसमें यह तथ्य रखे गए थे कि शहरों में आवागमन सुगम है , बाइक के स्पीड भी काफी नियंत्रित होती है | यातायात पुलिस ट्रैकर और इनसेप्टर के साथ जगह – जगह तैनात रहती है | इसके चलते बाइक सवार यातायात के नियमों का पालन करता है और दुर्घटनाओं का खतरा कम होता है | वही दूसरी ओर शहरी बाइक सवारों के लिए हेलमेट बोझ बनते जा रही है | दैनिक कामकाज के दौरान हेलमेट को साथ रखना बड़ी समस्या बन गया है | सरकार के ध्यान में यह तथ्य भी लाया गया कि पार्किंग स्थल से अक्सर हेलमेट गायब हो जाया करती है | थानों में हेलमेट चोरी की शिकायतें दर्ज होने के बाद ना तो तहकीकात होती है , और ना ही हेलमेट की बरामदगी | यह भी कहा गया कि बाइक सवार अक्सर कानों में इयरफोन लगाए रहते है , उसके ऊपर हेलमेट पहनने से ध्वनि और बाधित होती है | ऐसे में शहरी क्षेत्रों में हेलमेट की अनिवार्यता समाप्त की जाये |
जन भावनाओं के अनुरूप गुजरात सरकार ने शहरी क्षेत्रों में हेलमेट की अनिवार्यता खत्म कर दी है | लेकिन सरकार के लिए अब एक नई मुसीबत खड़ी हो गई है | ग्रामीण इलाकों के लोग भी अब सवाल करने लगे है कि उन्हें क्यों अनिवार्यता के दायरे में रखा जा रहा है | ग्रामीणों के मुताबिक शहर वासियों के लिए जैसे हेलमेट बोझ बन गई है , वैसे ही उनके लिए भी मुसीबत है | बगैर हेलमेट पहने गाड़ी चलाने पर उन्हें आय दिन जुर्माना भरना पड़ता है | नए यातायात नियमों का उल्लंघन करने पर लाइसेंस रद्द होने का खतरा भी उन पर मंडराता है |
फ़िलहाल नए यातायात नियमों को मुंह चिढ़ाता गुजरात सरकार का यह फैसला सुर्ख़ियों में है | इसकी देखा सिखी अन्य राज्य भी इस नीति को अपना ले तो कोई हैरत नहीं |