प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी फाल्गुन कृष्णपक्ष की त्रयोदशी, चतुदर्शी तिथि के अवसर पर महाशिवरात्रि का पर्व पुरे प्रदेश भर में धूमधाम से मनाया जा रहा है । भगवान-शिव पूजा के सबसे बड़ा और पावन दिन महाशिवरात्रि को माना गया है | इसीलिए आज हम आपको छत्तीसगढ़ ही नहीं पूरे विश्व के सबसे विशालतम प्राकृतिक शिवलिंग के दर्शन कराने जा रहे हैं | यह ऐसा शिवलिंग है जिसके बारे में मान्यता है कि यह आज भी बढ़ रहा है | हरी-भरी प्राकृतिक वादियों के बीच जिला मुख्यालय गरियाबंद से महज 3 किलोमीटर दूर अद्भुत अकल्पनीय यह शिवलिंग पूरे छत्तीसगढ़ के शिव भक्तों की आस्था का केंद्र बन गया है |
हजारो के तादाद में श्रद्धालु पहुँचते है
आज महाशिवरात्रि पर दूर-दूर से यहां भक्त जल लेकर भगवान शिव अर्पित करने पहुंचे हैं | भोले बाबा भी उनकी मन मांगी मुराद जरूर पूरी करते हैं | यही कारण है कि बीते 8 -10 सालों में यहां पहुंचने वाले भक्तों की संख्या में कई गुना बढ़ गई है | महाशिवरात्रि के दिन लगभग 50,000 से अधिक श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं | वही सावन भर यहां भक्तों और कांवरियों का रेला लगा रहता है इतना सब होने के बावजूद यहां प्रशासन ने कोई खास व्यवस्था नहीं है केवल कुछ समुदायिक भवन जैसे कमरे बनवा कर छोड़ दिया है आज महाशिवरात्रि पर यहां 3 दिन का मेला लग रहा है | वही दोपहर 1:30 बजे तक लगभग 20,000 भारत भूतेश्वर नाथ धाम पहुंच चुके हैं | दिन भर यहां भक्तों की भीड़ लगी रहेगी |
अपने आप में बढ़ता है शिवलिंग
विश्व प्रसिद्ध भूतेश्वरनाथ में आज महाशिवरात्रि की धूम है । चलो बुलावा आया है भुतेश्वरनाथ ने बुलाया है । यही जयकारा लगाते लोग यहां खिंचे चले आतें है महादेव के भक्त द्वादष ज्योतिर्लिगों की भांति छत्तीसगढ़ में एक विशाल प्राकृतिक शिव लिंग हैं , जो विश्वप्रसिद्ध विषालतम शिवलिंग के नाम से प्रसिध्द हैं | एैसी मान्यता है कि यह शिव लिंग हर साल अपने आप में बढ़ता जा रहा हैं | नगे पांव मीलो दूर से आते है भोले के भक्त । छत्तीसगढ़ी भाषा में हुकारने की आवाज को भकुर्रा कहते हैं | इसी से छत्तीसगढ़ी में इनका नाम भकुर्रा पड़ा हैं । यहां हर वर्ष महाशिवरात्रि और सावन माह पर्व पर मेले जैसे महौल रहता हैं, यहां पर दूर दराज से भक्त आकर महादेव की अराधना करते हैं । सावन माह के समय शिव भक्त अनायास ही गरियाबंद की ओर खिंचे चले आते है और एक लोटा जल चढाकर अपनी सारी चिंताओं को त्याग कर भूतेश्वर नाथ की शरण में पहुंच जाते है । गरियाबंद से 3 किलो मीटर दूर घने जंगलो के बीच बसा है ग्राम मरौदा सुरम्य वनों एवं पहाडियों से घिरे अंचल में प्रकृति प्रदत्त विश्व का सबसे विशाल शिवलिंग विराजमान है ।
इस शिवलिंग के बारे में बताया जाता है कि आज से सैकडो वर्ष पूर्व जमीदारी प्रथा के समय पारागांव निवासी शोभासिंह जमींदार की यहां पर खेती बाडी थी । शोभा सिंह शाम को जब अपने खेत मे घुमने जाता था तो उसे खेत के पास एक विशेष आकृति नुमा टीले से सांड के हुंकारने (चिल्लानें) एवं शेर के दहाडनें की आवाज आती थी । अनेक बार इस आवाज को सुनने के बाद शोभासिंह ने उक्त बात ग्रामवासियों को बताई । ग्राम वासियो ने भी शाम को उक्त आवाजे अनेक बार सुनी । तथा आवाज करने वाले सांड अथवा शेर की आसपास खोज की । लेकिन दूर दूर तक किसी जानवर के नहीं मिलने पर इस टीले के प्रति लोगो कीश्रद्धा बढने लगी । लोग इस टीले को शिवलिंग के रूप में मानने लगे । इस बारे में पारागावं के लोग बताते है कि पहले यह टीला छोटे रूप में था । धीरे धीरे इसकी उचाई एवं गोलाई बढती गई । जो आज भी जारी है । इस शिवलिंग में प्रकृति प्रदत जललहरी भी दिखाई देती है । जो धीरे धीरे जमीन के उपर आती जा रही है ।
शिव पूजा का पावन दिन आज
पंडितों का कहना है कि भगवान शंकर के भक्तों के लिए महाशिवरात्रि सबसे बड़ा दिन और पर्व होता है । शिव पूजा का सबसे बड़ा और पावन दिन महाशिवरात्रि को माना गया है । शिव पुराण के मुताबिक यह दिन उनके साधकों और भक्तों के लिए मनोकामनाओं की पूर्ति और भक्ति का सबसे उत्तम दिन होता है ।
चप्पे चप्पे पर होंगे जवान
भुतेश्वर नाथ मे लगने वाले मेले मे पुलिस ने भी खास सुरक्षा इन्तजाम किये है | यहा चप्पे चप्पे पर पुलिस जवान नजर आ रहे है सुरक्षा के संबंध मे आज भुतेश्वर पहुच थाना प्रभारी राजेश जगत ने बता कि 100 से अधिक जवानो कि डयुटी यहां लगाइ गई है | इसके अलावा सादी वर्दी मे जवान भी तैनात रहेंगे 8 सी सी टीवी कैमरा के माध्यम से भी निगरानी हो रही है |