महाराष्ट्र में मचे सियासी घमसान के बीच सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई की वो महत्वपूर्ण खबर खो गई थी ,जिसमे आरोपी मुकेश गुप्ता ने उसके ओर उसके परिजनों के अवैध रूप से फोन टेंप करने की याचिका दायर की थी | इस मामले की 25 अक्टूबर को सुनवाई हुई थी | आरोपी के फोन टेपिंग को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार ने जो हलफनामा पेश किया ,उसे देखकर आरोपी के वकीलों की आंखे फ़टी की फ़टी रह गई | इस हलफनामे का जवाब देने के लिए मुकेश गुप्ता के वकीलों ने अदालत से पंद्रह दिनों का वक्त मांगा है |
सुप्रीम कोर्ट में कुख्यात आरोपी मुकेश गुप्ता के उस प्रकरण पर सुनवाई हुई ,जिसमे आरोपी ने छत्तीसगढ़ सरकार पर उसके फोन अवैध रूप से टेप करने का आरोप लगाते हुए अदालत में दस्तावेजी प्रमाण सौपे थे | मुकेश गुप्ता की इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को हलफनामा दायर कर जवाब पेश करने के निर्देश दिए थे | छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रख दिया गया है | राज्य सरकार ने पुख्ता सबूतों के साथ दलील दी है कि आखिर क्यों इस कुख्यात आरोपी की फोन टेपिंग की जनहित में जरुरत पड़ी |
दरअसल डॉ मिक्की मेहता हत्याकांड को लेकर रायपुर के तत्कालीन पुलिस अधिक्षक मुकेश गुप्ता से पूछताछ होना जरुरी है | इस मामले में सुनियोजित रूप से अपराधिक साजिश का खुलासा उस समय हुआ जब पूर्व डीजीपी गिरधारी नायक ने राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट सौपी थी | इस रिपोर्ट में डॉ मिक्की मेहता की संदेहस्पद मौत और उसके उपरांत अपनाई गई पुलिस की क़ानूनी प्रक्रिया ना केवल लीक से हटकर पूरी की गई बल्कि मुख्य आरोपी को बचाने के लिए के कागजी खानापूर्ति में भी फर्जीवाड़ा किया गया था | जांच में यह तथ्य सामने आया है कि डॉ मिक्की मेहता की मौत की असलियत छिपाने के लिए रायपुर से लेकर भिलाई तक मुकेश गुप्ता का रोल रहा है | उस दौरान मुकेश गुप्ता रायपुर के पुलिस अधिक्षक थे और उन्होंने अपने बचाव में अपने पद और प्रभाव का दुरूपयोग किया था | यही नहीं डॉ मिक्की मेहता को अपनी पत्नी स्वीकारते हुए मुकेश गुप्ता और उसके परिजनों ने बिलासपुर में अपने पैतृक निवास में अंतिम संस्कार में अपनाई जाने वाली परंपराओ और रीति -रिवाजों का पालन किया था | रिपोर्ट में यह तथ्य भी सामने आया है कि पहली पत्नी के जीवित रहते आरोपी मुकेश गुप्ता ने शासन प्रशासन की आँखों में धूल झोंकते हुए दूसरी शादी की थी | दूसरी पत्नी से उन्हें एक पुत्री प्राप्त है ,जो दिल्ली में उनके साथ रहती है | इस मामले में कई अपराधिक साजिशे सामने आई है | मुकेश गुप्ता के अपने कर्तव्य स्थल से अचानक गायब हो जाने से उनसे पूछताछ संभव नहीं हो पा रही है | लिहाजा मामले की विवेचना हेतु उनकी लोकेशन जानना पुलिस के लिए काफी जरुरी था |
गौरतलब है कि आरोपी मुकेश गुप्ता को EOW ने विभिन्न अपराधिक मामलो में अपना बयान दर्ज कराने के लिए अलग -अलग तिथियों में कुल 13 नोटिस जारी किए थे | लेकिन जाँच में सहयोग ना करते हुए वे उपस्थित नहीं हुए | जबकि हाईकोर्ट बिलासपुर ने उन्हें नो कोरेसिव एक्शन की राहत देते हुए जांच में सहयोग करने के लिए निर्देश दिया था | यही नहीं निलंबित होने के बाद आरोपी मुकेश गुप्ता ने PHQ में आमद नहीं दी और लगातार गैर-हाजिर रहने और अन्य अनियमितता के चलते विभागीय जांच में भी सहयोग नहीं किया था | आरोपी मुकेश गुप्ता के खिलाफ पेश कई तथ्यात्मक सबूतों को अदालत ने काफी गंभीरता से लिया है |
उधर राज्य सरकार के हलफनामे में दर्ज आरोपी मुकेश गुप्ता की एक से बढ़कर एक कारस्तानी और अनुशासनहीनता देखकर उसके वकील भी हैरत में पड़ गए | उन्होंने इस हलफनामे पर अपना जवाब पेश करने के लिए अदालत से पंद्रह दिनों की मोहलत मांगी | इसे अदालत ने स्वीकार कर लिया है | अब यह देखना गौरतलब होगा कि अगली तिथि में आरोपी मुकेश गुप्ता छत्तीसगढ़ शासन द्वारा पेश हलफनामे का क्या जवाब देते है |




