छत्तीसगढ़ ओडिशा सीमा पर बुरजाबहाल के किसानों की जमीन विवाद का मामला रुकने का नाम नहीं ले रहा हैं | दोनो प्रदेशों के बीच पिछले साल जून में सामने आये जिस जमीन विवाद को आपसी सहमति से सुलझाने की बात हुयी थी उसी जमीन पर ओडीसा ने अब अपना कब्जा जमा लिया है | यही नही ओडिशा प्रशासन ने विवादित जमीन पर एक बोर्ड भी खडा कर दिया है | जिसमें उन्होंने ओडिया भाषा में बडे तल्ख शब्दों का इस्तेमाल किया है, बोर्ड में लिखा है कि ” किसी भी बाहरी व्यकित का इस जमीन में प्रवेश करना दण्नीय अपराध है ” | सीमा पर या बोर्ड लगाए जाने के बाद प्रशासन में काफी नाराजगी देखी जा रही है जहां तक ग्रामीणों की बात है तो छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इस बोडँ के लगाए जाने के बाद से काफी आक्रोशित हैं | अगर यही स्थिति रही तो निश्चित है कि यह तनातनी जबरदस्त विवाद का रूप ले सकती है दोनों प्रदेश के निवासियों के दिलों में दरार पैदा करेगी
छत्तीसगढ के बुरजाबहाल के जिन किसानों के नाम पर ये जमीन दर्ज है और अबतक जो इसका इस्तेमाल करते आ रहे थे वे भी ओडीसा सरकार के इस रवैये से घबरा गये है और कुछ भी बोलने से डर रहे है | बता दे कि 22 एकड जमीन का ये विवाद पिछले साल जुलाई में दोनो प्रदेशों के बीच विवाद का कारण बना था | विवादित जमीन बुरजाबहाल के किसानों के नाम पर दर्ज होने के बाद भी ओडिशा के कुछ किसानों ने अपना बताकर कब्जा करने की कोशिश की थी | तब दोनों राज्यों के अधिकारियों ने मिलकर मामले को सुलझाने पर सहमति जताई थी | मगर अब ओडिसा प्रशासन ने उस सहमति को तोडते हुए एक तरफा कार्यवाही करते हुए विवादित जमीन पर अपना कब्जा जमा लिया है | जिससे एक बार फिर दोनो प्रदेशों में विवाद बढने के आसार तेज हो गये है | वहीं स्थानीय प्रशासन इस संबंध में मौके पर पहुंच स्थिति को देखने की बात कर रही है तो वहीं क्षेत्र के ग्रामीणों के दिलों में एक नया भय पैदा हो गया है कि उनकी जमीन अब उड़ीसा की सरकार ले जाएगी जिसके चलते उनमें काफी आक्रोश है | निश्चित है आने वाले दिनों में यही स्थिति रही तो दोनों प्रदेश की सीमाओं में रहने वाले ग्रामीणों के दिलों में भी जबरदस्त दरार पड़ेगी जो कि भविष्य में उग्र रूप लेकर तकलीफ दायक स्थिति पैदा कर सकती है | 24 फरवरी को लगाए गए इस धमकी भरे बोर्ड की जानकारी शुक्रवार को देवभोग एसडीएम को दी गई है | एसडीएम निर्भय साहू ने बताया कि नियमत यह कार्यवाही गलत है | बोर्ड में उल्लेखित चेतावनी भी मानव अधिकार के उल्लंघन के दायरे में आता है | इसकी जानकारी कलेक्टर को दिया गया है | आधिकारिक स्तर पर समाधान किया जा रहा है |