छस्तीसगढ़ पुलिस मुख्यालय की गोपनीयता सवालों के घेरे में ,ख़ुफ़िया विभाग के एक और पत्र की चर्चा चाय-पान के ठेलो में ,गोपनीय और सार्वजनिक दस्तावेजों में कोई अंतर नहीं | 

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छत्तीसगढ़ पुलिस मुख्यालय के कई जिम्मेदार विभागों में गोपनीयता का संकट गहरा गया है | कई महत्वपूर्ण और ख़ुफ़िया दस्तावेजों की गोपनीयता लगातार भंग हो रही है | सूत्र तो दावा कर रहे है कि कौन सा पत्र चाहिए ?  इस हाथ दो उस हाथ लो , गोपनीयता का तो कोई सवाल ही नहीं |  जिस तरह से सरकारी गोपनीयता की सील भंग हो रही है ,उससे साफ़ है कि ख़ुफ़िया विभाग का नाम बदलकर सार्वजिनक सूचना केंद्र कर दिया जाना चाहिए | ताजा मामला उस गोपनीय पत्र के सार्वजनिक होने से जुड़ा है ,जो सामाजिक कार्यकर्ताओ से लेकर पत्रकारों के वाट्सअप नंबरों पर तेजी से वायरल हो रहा है | दिलचस्प बात यह है कि सार्वजिनक हो चुके इस पत्र के ऊपर गोपनीय की इबारत दर्ज है | इस पत्र में छत्तीसगढ़ शासन व्दारा प्रदेश में संचालित सभी खनन परियोजनाओं में तैनात सुरक्षा बलों  की जानकारी चाही गई है । इस संबंध में प्रदेश की समस्त खदानों में तैनात पैरा मिलिट्री फोर्स, स्पेशल आर्म्स फोर्स और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल का ब्यौरा भेजने के लिए निर्देशित किया गया है । इस पत्र की गोपनीयता भंग करने का मकसद आखिर क्या है ? इसे लेकर माथापच्ची जारी है | इस पत्र पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए बीजेपी के कई नेताओ ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को कटघरे में खड़ा किया  है | इन नेताओ ने आरोप लगाया है कि केंद्र और राज्य सरकार के बीच टकराव की स्थिति निर्मित करने के लिए चल रहे षड्यंत्र को अंजाम देने की नींव रखी जा रही है | बीजेपी नेताओ ने अंदेशा जाहिर किया है कि केंद्र की आर्थिक नाकेबंदी का राजनैतिक षड्यंत्र कर राज्य सरकार गैर क़ानूनी कदम उठाने वाली है | उनके मुताबिक कांग्रेस के घोषणा पत्र के वादे अनुरूप धान  खरीदी के मुद्दे पर छत्तीसगढ़ सरकार के दो मंत्रियों और पार्टी अध्यक्ष ने खनिजों की आवाजाही पर रोक लगाने की घोषणा की थी | कारण जो भी हो लेकिन सरकार की गोपनीयता भंग होने से प्रशासनिक गुणवत्ता का अंदाजा लगाया जा सकता है | गोपनीय पत्र में  उक्त जानकारी मुहैया कराये जाने को लेकर सरकार की मंशा क्या है ? इसका कहीं कोई जिक्र पत्र में नहीं है ।

छत्तीसगढ़ शासन द्वारा इस संबंध में जानकारी जुटाने के लिए पांच नवंबर को एडीजी गुप्तवार्ता को गोपनीय निर्देश पत्र भेजा गया था । इस पत्र का हवाला देते हुए एडीजी गुप्तवार्ता ने भी गोपनीय पत्र को प्रदेश के सभी पुलिस अधीक्षकों को प्रेषित कर दिया था | खनन क्षेत्रो में सुरक्षा बलों की उपलब्धता की रिपोर्ट मांगे जाने को लेकर राज्य सरकार की जो भी मंशा हो लेकिन सार्वजनिक हुए इस गोपनीय पत्र ने राजनैतिक रंग ले लिया है | बीजेपी के आलावा अन्य कई राजनैतिक और सामाजिक संगठन इस पत्र को केंद्र और राज्य सरकार के बीच टकराव की स्थिति निर्मित करने से जोड़ कर देख रहे है | विभागीय गोपनीयता भंग होने का यह प्रदेश में दूसरा बड़ा मामला है । इसके पूर्व ख़ुफ़िया शाखा के एक अन्य गोपनीय पत्र के निलंबित एडीजी मुकेश गुप्ता के हाथो में पहुंच जाने के मामले से मचा बवाल अभी तक थम नहीं पाया है | कुख्यात आरोपी मुकेश गुप्ता ने इस गोपनीय पत्र  को हथियार बनाकर शीर्ष अदालत में पेश कर दलील दी है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनकी सरकार फोन टेप कर निजता का हनन कर रही है | इस मामले की सुनवाई 25 नवंबर को है | आरोपी के फोन टेपिंग को लेकर अदालत ने राज्य सरकार को हलफनामा पेश करने के लिए कहा है | फोन टेपिंग को जायज ठहराने के लिए राज्य के गृहमंत्रालय को एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है |  

अवर सचिव छत्तीसगढ़ शासन गृह विभाग, मंत्रालय महानदी भवन नवा रायपुर अटल नगर से जारी सभी खनन परियोजनाओं की सुरक्षा में तैनात कंपनियों की जानकारी मंगाए जाने संबंधी पत्र क्रमांक/2159/382/गृह-सी/2019 दिनांक 5 नवंबर 219 को एडीजी गुप्तवार्ता पुलिस मुख्यालय को पत्र प्राप्त हुआ था । इस पत्र के आधार पर एडीजी गुप्तवार्ता ने अति आवश्यक/तत्काल और गोपनीय पत्र क्रमांक वि.शा./6/पीए/2019-10(4569) जारी कर  दिनांक 6 नवंबर 2019 को समस्त पुलिस अधीक्षक छत्तीसगढ़ शासन के नाम से प्रेषित किया |  इस पत्र पर विधिवत एडीजी गुप्तवार्ता के हस्ताक्षर दर्ज है । इस गोपनीय पत्र की प्रतिलिपि भी समस्त रेंज पुलिस महानिरीक्षक को सूचनार्थ भेजी गई है । 

फ़िलहाल छत्तीसगढ़ सरकार के ख़ुफ़िया विभाग के गोपनीय पत्रों का लगातार तार -तार होना पुलिस मुख्यालय की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा रहा है | अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि  गोपनीय पत्रों का सार्वजिनक होना कभी भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की गले की ना केवल फांस बन सकता है ,बल्कि उनकी साख पर बट्टा लगाने के लिए काफी है  |