महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगने के बावजूद नई सरकार के गठन को लेकर कवायत जारी है | मुंबई में NCP चीफ शरद पवार से मिलने के लिए कांग्रेस के तीन बड़े नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ,वेणुगोपाल और अहमद पटेल पहुंचे है | वही अपने विधायकों को ताजा राजनैतिक हालात से वाकिफ कराने के लिए शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने भी उस होटल का रुख किया है, जहां पार्टी विधायकों को ठहराया गया है | इस होटल में शिवसेना के 56 और आठ निर्दलीय विधायकों ने हफ्ते भर से डेरा डाला हुआ है | बताया जाता है कि कांग्रेस ने NCP के साथ मिलकर सरकार के गठन का नया फार्मूला पेश किया है | इस फार्मूले में NCP ,कांग्रेस और शिवसेना तीनो ही दलों के बीच समान पावर शेयरिंग का समीकरण दिया गया है | NCP लीडर शरद पवार सरकार की स्थिरता को लेकर कांग्रेस को सरकार गठन में शामिल करना चाहते है | इसके लिए उन्होंने सीएम और डिप्टी सीएम के पदों को लेकर भी प्लान तैयार किया है | इस समीकरण के तहत नई सरकार के गठन की नींव रखी जा सकती है | सूत्र बता रहे है कि मुख्यमंत्री के पद को लेकर भी निश्चित समय सीमा तय करने की शर्त नए फार्मूले में रखी गई है | इसके तहत तीनो ही दलों के नेताओ को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने का मौका मिलेगा | सूत्र बता रहे है कि नई सरकार अपना पूरा कार्यकाल बगैर किसी कठिनाई के पूरा कर सके ,इसके लिए तीनो ही दलों को 20-20 माह तक मुख्यमंत्री का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलेगा | बताया जाता है कि मौजूदा राजनैतिक संकट में सबसे ज्यादा फजीहत शिवसेना की हो रही है | लिहाजा उसके तेवर काफी नरम पड़ते भी दिखाई देने लगे है | माना जा रहा है कि इस नए फार्मूले को वो स्वीकार करने में देर नहीं करेगी | सूत्र यह भी बता रहे है कि नए फार्मूले के तहत तीनो ही दलों के बीच सहमति के आसार काफी ज्यादा है | हालांकि मुख्यमंत्री पद को लेकर पहला ,दूसरा और तीसरा कार्यकाल किस दल को मिलेगा इस गुत्थी को तीनो ही दलों के बड़े नेताओ को सुलझाना होगा | न्यूनतम साझा कार्यक्रम के फार्मूले पर यदि सहमति बनी तो जल्द ही राज्य में नई सरकार के गठन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी |
उधर कैबिनेट की सिफारिश के बाद महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया है | मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर्स ने कहा है कि राज्यपाल ने नई सरकार की गठन को लेकर हर संभव कोशिश की ,लेकिन सरकार बनने के आसार नहीं नजर आने के कारण राज्यपाल को राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करनी पड़ी | हालाकि शिवसेना ने राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है | इस पर बुधवार को सुनवाई के आसार है |
उधर महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन को लेकर कांग्रेस और NCP से ज्यादा फजीहत शिवसेना की हो रही है | आम मतदाताओं ने उसके रुख की आलोचना करना शुरू कर दिया है | ना माया मिली ना राम का तंज कसकर शिवसेना की जमकर आलोचना हो रही है | इस बीच केंद्रीय मंत्रिमंडल में शिवसेना कोटे से मंत्री बने अरविन्द सावंत का इस्तीफा मंजूर कर लिया गया है | उनके विभाग का प्रभार केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावेड़कर को सौपा गया है | शिवसेना के रुख पर अन्य राजनैतिक दलों ने भी अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की है | जेडीयू ने कहा है कि NDA से उसका अलग होना दुर्भाग्यजनक है | इधर पूरे राजनैतिक घटनाक्रम पर BJP मुकदर्शक बनी हुई है | सरकार ना बनाने का फैसला कर उसने तीनो ही दलों को उलझा दिया है | राजनैतिक गलियारों में इस बात की भी चर्चा खूब हो रही है कि सरकार के गठन के बाद क्या शिवसेना NCP और कांग्रेस को भी वैसे ही आँखे दिखा पाएगी ,जैसे की वो बीजेपी के साथ पेश आती थी ? फ़िलहाल शिवसेना की याचिका पर अदालती रुख से साफ हो जाएगा कि मौजूदा राजनैतिक संकट के मद्देनजर महाराष्ट्र के राज्यपाल का कदम कितना कारगर साबित हुआ |